scorecardresearch
 

बाहर शोर-भीतर शांति... तीसरे दिन बगैर हंगामा चला संसद का शीतकालीन सत्र

संसद के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन लोकसभा और राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई. प्रदूषण, संचार साथी ऐप विवाद, श्रम संहिताओं पर विपक्ष का विरोध और केंद्रीय उत्पाद शुल्क संशोधन विधेयक पारित हुआ.

Advertisement
X
संसद के शीतकालीन सत्र की तीसरे दिन की कार्यवाही संपन्न
संसद के शीतकालीन सत्र की तीसरे दिन की कार्यवाही संपन्न

संसद के चालू शीतकालीन सत्र का बुधवार को तीसरा दिन रहा. पहले दिन एसआईआर पर खूब बहस हुई. पक्ष और विपक्ष के बीच चली रार और विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही में बार-बार बाधा आई. वहीं, राज्यसभा में भी विपक्ष के वॉकआउट के बाद जीरो ऑवर और स्पेशल मेंशन की कार्यवाही चली. दूसरे दिन की कार्यवाही में बीच का रास्ता निकालने पर बात हो रही थी, लेकिन दूसरा दिन संचार साथी ऐप के मुद्दे के नाम रहा.

संसद सत्र का तीसरा दिन, बीते दो दिनों की अपेक्षा शांतिपूर्ण रहा. इस दौरान प्रदूषण, SIR, रेणुका चौधरी का कुत्ता लाने का विवाद भी मुद्दा बना. इसके साथ ही बुधवार को संसद में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक पर चर्चा हुई और संसद से यह विधेयक पास हो गया. इसी के साथ तीसरे दिन की कार्यवाही संपन्न हो गई. संसद की कार्यवाही अब गुरुवार को सुबह 11 बजे से प्रारंभ होगी.

संसद के शीतकालीन सत्र में तीसरे दिन क्या-क्या घटित हुआ, एक नजर में पूरे दिन की रिपोर्ट

पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और बीएल संतोष की बैठक

संसद में प्रधानमंत्री के साथ गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष की बैठक हुई. लगभग एक घंटे तक चली इस बैठक में पार्टी और सरकार के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. भाजपा संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष ने संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. पीएम से बैठक खत्म होने के बाद अब वह गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की. सूत्रों के मुताबिक, बैठक को लेकर राजनीतिक हलकों में अटकलें तेज हो गई हैं

Advertisement

पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के सांसदों से मुलाकात की
संसद सत्र के तीसरे दिन के मौके पर पीएम मोदी ने बंगाल के बीजेपी सांसदों से मुलाकात की. सूत्रों के मुताबिक पीएम ने सांसदों से कहा कि हमें कड़ी मेहनत करनी है और यह सुनिश्चित करना है कि हम पश्चिम बंगाल में यह चुनाव जीतें. आप लोग बहुत आगे बढ़ चुके हैं बंगाल में इस सत्ता के खिलाफ लड़ाई को जारी रखना होगा.

प्रियंका गांधी ने उठाया प्रदूषण का मुद्दा, मास्क लगाकर पहुंचे सांसद

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सत्र के तीसरे दिन संसद पहुंचीं. इस दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "हमें प्रदूषण जैसी अन्य चीजों पर भी चर्चा करनी चाहिए. हमें कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करनी चाहिए जो महत्वपूर्ण हैं. " वायु प्रदूषण के विरोध में विपक्षी सांसदों ने गैस मास्क पहनकर संसद भवन में प्रवेश किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा बुधवार को दिल्ली के खतरनाक प्रदूषण के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराते हुए मास्क लगाकर संसद भवन पहुंचे. इससे पहले कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी आजतक से बातचीत में कहा दिल्ली की हवा बहुत जहरीली हो गई है. विरोध स्वरूप वह भी ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर संसद पहुंचे.

Advertisement

Sansad

कुत्ता लाने का मामला बना मुद्दा, रेणुका चौधरी ने किए पलटवार

शीतकालीन सत्र में बुधवार का दिन लोकसभा के भीतर तो शांतिपूर्ण रहा, लेकिन बाहर का पारा गर्म रहा. दिन की शुरुआत हुई कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की कंट्रोवर्सी से. वह संसद सत्र के पहले दिन एक Pet को साथ लेकर पहुंची थीं. जिसे उन्होंने बचाया था. सामने आया है कि राज्यसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया जा सकता है. हालांकि, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस विवाद पर तंज कसते हुए कहा था कि लगता है कि आजकल चर्चा का विषय यही हो गया है. रेणुका चौधरी से जब बुधवार को संसद परिसर में ये सवाल पूछा गया 'आपके खिलाफ प्रिविलेज मोशन लाया जा रहा है तो उन्होंने कहा भौं भौं....' और इतना कह कर चली गईं.

कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा- लोग प्रदूषण से मर रहे हैं, किसी को चिंता नहीं है. बीएलओ (BLO) आत्महत्या कर रहे हैं, उनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं, उन्हें इसकी चिंता नहीं है. मजदूर कानून हम पर थोपे जा रहे हैं. संचार साथी ऐप हम पर थोपा जा रहा है, लेकिन रेणुका चौधरी का कुत्ता सबको खटक गया. अब मैं क्या कहूं? मैं जानवरों की देखभाल करती रहूंगी. कोई कानून नहीं है जो संसद परिसर में कुत्तों के आने पर रोक लगाता हो. अटल बिहारी वाजपेयी जी तो एक बार बैलगाड़ी पर भी आए थे... कुत्ते कितने वफादार होते हैं, इन्हें वफादारी का क्या पता... अब किरेन रिजिजू जी हमें चरित्र प्रमाणपत्र दे रहे हैं? पहले अपनी पार्टी के अंदर झाँक कर देखें. आपके मंत्री किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर मार देते हैं. रिजिजू जी पहले अपनी पार्टी को सुधारें, फिर हमें चरित्र प्रमाणपत्र दें... मुझे कैसे पता (कि मेरे खिलाफ प्रिविलेज मोशन कौन ला रहा है)? अगर उन्हें इतना टाइम है तो करने दें जो करना है. मुझे चिंता करने की क्या जरूरत है?"

Advertisement

विपक्ष का आरोप – मोदी सरकार की नई श्रम संहिताएं मजदूर-विरोधी, पूंजीपतियों को खुली छूट!

संसद के शीतकालीन सत्र में बुधवार को विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामदल समेत तमाम विपक्षी दलों ने एक स्वर में नई चार श्रम संहिताओं को “मजदूर-विरोधी, श्रमिक-विरोधी और पूंजीपति मित्रों की पक्षधर” करार दिया. सदन में नारेबाजी, तख्तियां और जोरदार प्रदर्शन के बीच विपक्ष ने संहिताओं को वापस लेने की मांग की. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में लिखा कि, 'ये नई संहिताएं नौकरी की सुरक्षा छीन रही हैं, काम के घंटे बढ़ा रही हैं, ट्रेड यूनियनों को कमजोर कर रही हैं और असंगठित व प्रवासी मजदूरों को पूरी तरह असुरक्षित छोड़ रही हैं.

संचार साथी ऐप पर हंगामा

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को लोकसभा में दो टूक कहा कि सरकार की साइबर सिक्योरिटी ऐप ‘संचार साथी’ से न तो जासूसी संभव है और न ही कभी जासूसी होगी. प्रश्न काल के दौरान विपक्ष के सदस्यों द्वारा ऐप को सभी नए स्मार्टफोन में पहले से इंस्टॉल करने के मंत्रालय के आदेश पर सवाल उठाए जाने के बाद सिंधिया ने कहा, 'संचार साथी ऐप से न स्नूपिंग संभव है, न स्नूपिंग होगा. यह ऐप जनता की सुरक्षा के लिए है, जासूसी के लिए नहीं. हम जनता के हाथ में ताकत देना चाहते हैं ताकि वह खुद अपनी सुरक्षा कर सके.'

Advertisement

संचार मंत्रालय ने 28 नवंबर को सभी मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को निर्देश दिया था कि भारत में बिकने वाले सभी नए हैंडसेट में ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल (प्री-लोडेड) होनी चाहिए. साथ ही मौजूदा डिवाइस में सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह ऐप अनिवार्य रूप से डाली जाए.

क्या है सरकार का दावा?

सरकार का दावा है कि यह ऐप उपभोक्ताओं को साइबर फ्रॉड से बचाने का एक सशक्त हथियार है. विपक्षी सदस्यों ने हालांकि इसे “निजता पर हमला” और “जबरन थोपी जा रही सरकारी जासूसी” करार देते हुए आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग की. कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर और टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने ऐप को “डिजिटल जासूस” बताया. सिंधिया ने सदन में भरोसा दिलाया कि ऐप में यूजर का कोई भी निजी डेटा सरकार के पास नहीं जाता और यह पूरी तरह पारदर्शी एवं सुरक्षित है. इस मुद्दे पर सदन में काफी हंगामा हुआ और विपक्ष ने मामले को स्थगन प्रस्ताव के जरिए उठाने की कोशिश की, जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया.

Sansad

संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने के विवाद पर लोकसभा में बुधवार को  केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई. मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदन में स्पष्ट किया: “जनता में जो अफवाहें चल रही हैं, उन पर मत जाइए. नियम 7B में कहीं नहीं लिखा है कि यूज़र ऐप को अनइंस्टॉल नहीं कर सकता. समस्या यह है कि बिना डिटेल में गए बहुत सारी सच्चाई खो जाती है.

Advertisement

7B सिर्फ इतना कहता है कि फोन में ऐप इंस्टॉल होनी चाहिए और यूज़र तक उसकी पहुंच में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए, उसे डिसेबल नहीं किया जाना चाहिए ताकि यूज़र इस्तेमाल कर सके. 7B में कहीं नहीं लिखा कि यूज़र ऐप डिलीट नहीं कर सकता. 7B यूज़र के लिए नहीं, निर्माता कंपनियों के लिए है. इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है. मेरा एकमात्र उद्देश्य जनता की सुरक्षा है. हम लोगों को इस कैंसर यानी साइबर फ्रॉड से बचाना चाहते हैं. अब फैसला करना है कि हम लोगों को ठगी से बचाएं या ठगी को चलने दें. जो फीडबैक आया है, उसके आधार पर हम नियम में संशोधन करने को तैयार हैं. मैंने संसद में कह दिया है, हम जिद्दी नहीं हैं.”

संचार साथी ऐप पर कार्ति चिदंबरम का पलटवार

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने तुरंत जवाब दिया- 'अगर ऐसा है तो फिर सरकार निर्माता कंपनियों पर ऐप प्री-इंस्टॉल करने की जिद क्यों कर रही है? अगर यह अनिवार्य नहीं है तो लोग जैसे दूसरे ऐप डाउनलोड करते हैं, वैसे ही डाउनलोड कर लेंगे, प्री-लोडेड करने की क्या जरूरत है? दूसरी बात, जो डायरेक्टिव जारी हुआ है, वह मंत्री जी के बयान का सीधा-सीधा खंडन कर रहा है. अगर वाकई यूज़र को पूरी छूट है तो फिर इस डायरेक्टिव को तुरंत वापस ले लिया जाए.” विपक्ष इस मुद्दे को “नागरिकों की निजता पर हमला” बता रहा है और डायरेक्टिव को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़ा हुआ है.

Advertisement

हरसिमरत कौर बादल ने AAP सरकार पर उठाए सवाल

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब सरकार पर केंद्र से मिली बाढ़ राहत राशि को छिपाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा 'केंद्र का कहना है कि पंजाब सरकार के पास SDRF (राज्य आपदा राहत कोष) में 12,000 करोड़ रुपये पड़े हैं. वहीं पंजाब के वित्त मंत्री कहते हैं कि केंद्र ने बाढ़ राहत के लिए घोषित 1600 करोड़ रुपये अभी तक नहीं दिए. दोनों सरकारों के इन दावे-प्रतिदावों के बीच पंजाब का आम जनता फंसा हुई है. जनता जानना चाहती है कि पैसा आया है या नहीं, और अगर आया है तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ?”

AAP सांसद मालविंदर कांग का पलटवार

आम आदमी पार्टी के सांसद मालविंदर सिंह कांग ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा- 'केंद्र सरकार ने पंजाब को बाढ़ राहत के लिए एक भी पैसा नहीं दिया. सारी घोषणाएं सिर्फ कागजों पर हैं. पंजाब को अभी तक एक रुपया भी नहीं मिला. 'राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारीहरसिमरत कौर ने पंजाब की भगवंत मान सरकार पर बाढ़ प्रभावितों की मदद न करने और केंद्र से मिली राशि को दबाने का आरोप लगाया, जबकि AAP नेताओं ने केंद्र पर पंजाब के साथ सौतेला व्यवहार करने का इल्ज़ाम लगाया. पंजाब में इस साल जुलाई-अगस्त में आई बाढ़ से हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई थी और सैकड़ों गांव पानी में डूब गए थे. दोनों पक्षों के इन परस्पर विरोधी दावों से बाढ़ पीड़ितों में भ्रम और गुस्सा बढ़ता जा रहा है. सदन में इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ. विपक्ष ने केंद्र से स्पष्ट जवाब मांगा कि आखिर पंजाब को कितनी राहत राशि दी गई और वह राशि कहां है.

फेक न्यूज़ भारत के लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा- अश्विनी वैष्णव

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि फेक न्यूज़ भारत की लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बन चुका है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही अफवाहों, गलत सूचनाओं और AI से बनाए जा रहे डीपफेक पर सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया. प्रश्नकाल के दौरान वैष्णव ने कहा, “सोशल मीडिया के दुरुपयोग से कुछ ऐसे इकोसिस्टम तैयार हो गए हैं जो न तो भारतीय संविधान मानना चाहते हैं और न ही संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन करना चाहते. यह बहुत गंभीर मसला है. फेक न्यूज़ और डीपफेक हमारे लोकतंत्र को खोखला कर रहे हैं. इसके खिलाफ मजबूत कानूनी ढांचा बनाना और सख्त कदम उठाना समय की मांग है.'

'विश्वासघात...', जाति जनगणना पर संसद में मिले जवाब पर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को घेरा

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा. राहुल गांधी ने संसद में जाति जनगणना को लेकर किए गए अपने एक सवाल पर मिले जवाब को आधार बनाते हुए मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने जाति जनगणना को सीधे तौर पर विश्वासघात करार दे दिया. एक्स पर एक पोस्ट के जरिए राहुल गांधी ने अपनी बात रखते हुए लिखा- 'संसद में मैंने सरकार से जाति जनगणना पर सवाल पूछा - उनका जवाब चौंकाने वाला है. न ठोस रूपरेखा, न समयबद्ध योजना, न संसद में चर्चा, और न ही जनता से संवाद. दूसरे राज्यों की सफल जाति जनगणनाओं की रणनीति से सीखने की कोई इच्छा भी नहीं. मोदी सरकार की यह जाति जनगणना देश के बहुजनों के साथ खुला विश्वासघात है.'

संसद का शीतकालीन सत्र दूसरी तारीखों पर किया जाए- सांसद पी विल्सन

संसद के शीतकालीन सत्र में डीएमके सांसद पी विल्सन ने वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय आपातकाल बताते हुए केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया कि जब दिल्ली हर साल नवंबर-दिसंबर में गैस चैंबर बन जाती है, तो संसद का सत्र इसी समय क्यों बुलाया जाता है?सांसद ने कहा, “2025 में दिल्ली में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जब हवा सुरक्षित रही हो. हर साल 17 हजार लोग दिल्ली में और 15 लाख लोग पूरे देश में प्रदूषण से मर रहे हैं. दिल्ली वालों की जिंदगी 8 साल तक कम हो रही है. फिर भी हम इसी जहरीली हवा में बैठकर कानून बनाते हैं. क्या ये ठीक है?”उन्होंने सुझाव दिया कि संसद का शीतकालीन सत्र बंद कर दिया जाए या दूसरी तारीखों पर किया जाए. कई मंत्रालय और सरकारी दफ्तर दूसरे राज्यों में शिफ्ट किए जाएँ, ताकि दिल्ली पर बोझ कम हो और यहाँ की हवा साफ हो सके.

'सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय बेंच चेन्नई, मुंबई, कोलकाता में खोली जाए. '

सांसद पी विल्सन ने मणिपुर का मुद्दा भी उठाया और कहा, “मणिपुर वेंटिलेटर पर है. वहाँ जल्दी चुनाव करवाओ, विधानसभा बहाल करो. संसद राज्य का काम कब तक करती रहेगी?”तमिलनाडु के लिए बकाया पैसा न मिलने की शिकायत करते हुए उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत केंद्र से 3,112 करोड़ रुपये अभी भी तमिलनाडु को मिलने बाकी हैं. होगेनक्कल पेयजल परियोजना का तीसरा चरण भी मंजूरी के इंतज़ार में अटका है.सांसद का साफ कहना था, “दिल्ली को डी-कंजेस्ट करो, देश के बाकी शहरों को मज़बूत करो, तभी दिल्ली फिर से साँस ले पाएगी.”

पिछले दस साल में भारतीय रेलवे में बड़े ट्रेन हादसे तेज़ी से कम हुए- रेल मंत्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि पिछले दस साल में भारतीय रेलवे में बड़े ट्रेन हादसे तेज़ी से कम हुए हैं. इसका मुख्य कारण सुरक्षा पर भारी निवेश, आधुनिक सिग्नलिंग और कवच जैसी नई तकनीक है. मंत्री ने सांसद पठान यूसुफ के सवाल के जवाब में आँकड़े पेश किए:

2014-15 में बड़े हादसे: 135

2024-25 में सिर्फ: 31

2025 में नवंबर तक सिर्फ: 11 हादसे

यानी दस साल में हादसे करीब 73% तक कम हो गए.

प्रति मिलियन किलोमीटर हादसों की दर भी 0.11 से घटकर 0.03 रह गई है.

मौतें भी बहुत घटीं:2004-14 में औसतन हर साल 90 से ज्यादा मौतें

 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement