लोकसभा में आज चुनाव सुधारों पर एक महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील बहस शुरू हुई, जिसकी शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने की. स्पीकर ओम बिरला ने चर्चा शुरू करने से पहले संवैधानिक संस्थाओं पर आरोप-प्रत्यारोप से बचने की अपील की.
बहस की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र में 98 करोड़ मतदाता और राजनीतिक दल दो बड़े स्तंभ हैं, इसलिए एक निष्पक्ष "न्यूट्रल अंपायर" के तौर पर चुनाव आयोग की पारदर्शिता सबसे अहम है.
उन्होंने कहा कि चुनाव सुधार की सबसे बड़ी जरूरत 2023 में बने कानून में संशोधन की है. मनीष तिवारी ने मांग की कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति में दो सदस्य सरकार से, दो विपक्ष से और एक सीजेआई होना चाहिए, तभी "खेला होबे" सही मायने में होगा.
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मनीष तिवारी ने ईवीएम पर उठाए सवाल
उन्होंने ईवीएम की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए और कहा कि या तो 100% वीवीपैट लागू हों या फिर पेपर बैलेट पर लौटना पड़ेगा. साथ ही यह स्पष्ट किया जाए कि ईवीएम का सोर्स कोड किसके पास है- चुनाव आयोग या मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के.
तिवारी ने एसआईआर पर चुनाव आयोग की शक्तियों पर भी सवाल उठाया. उनका कहना था कि न संविधान और न ही कानून में इसका स्पष्ट प्रावधान है. यदि सरकार किसी निर्वाचन क्षेत्र में एसआईआर कर रही है, तो सदन में यह बताए कि किन खामियों के आधार पर ऐसा किया गया. उन्होंने चुनाव के दौरान सीधे खातों में पैसे भेजने को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ बताया और सरकारों के कर्ज–GDP अनुपात के आधार पर कैश ट्रांसफर पर कानूनी सीमा तय करने की मांग की.
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अखिलेश यादव बोले- SIR नहीं NRC जैसे काम हो रहे हैं
बहस में हिस्सा लेते हुए अखिलेश यादव ने यूपी के उपचुनावों में "निष्पक्षता के अभाव" और प्रशासनिक दखल का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि रामपुर उपचुनाव में पुलिस-प्रशासन ने वोटरों को घर से निकलने तक नहीं दिया और चुनाव आयोग को दी गई शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. अखिलेश ने कहा कि चुनाव आयोग पूर्वाग्रह से ग्रस्त लगता है और यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
उन्होंने चंडीगढ़ चुनाव में कथित वोट चोरी, बूथ कैप्चरिंग, एफिडेविट न मिलने, घूस देकर वोट प्रभावित करने जैसी घटनाओं का भी उल्लेख किया और कहा कि सुधार की शुरुआत चुनाव आयोग से होनी चाहिए. अखिलेश ने फिर दोहराया कि ईवीएम पर भरोसा खत्म हो रहा है और लोकतंत्र में विश्वास कायम करने के लिए बैलट पेपर से चुनाव कराए जाने चाहिए.
उनका आरोप था कि यूपी में एसआईआर नहीं, बल्कि "अंदर ही अंदर एनआरसी जैसे काम" किए जा रहे हैं. साथ ही यह कहा कि चुनाव आयोग किसी एक विचारधारा का गुट न बने और पूरी पारदर्शिता व निष्पक्षता के साथ काम करे.