संसद के दोनों सदनों में विपक्ष बिहार वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है. विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही31 जुलाई को भी नहीं चल पाई थी. 1 अगस्त को भी कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग करते हुए जोरदार हंगामा किया.
हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद चार मिनट के भीतर ही दोपहर दो और राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. कार्यवाही स्थगित करने से पहले राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने सदन में यह बताया कि एसआईआर के मुद्दे चर्चा क्यों नहीं हो सकती.
दरअसल, राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही आसन से हरिवंश ने लिस्टेड बिजनेस लिए. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सदस्य प्रोफेसर मनोज कुमार झा और अन्य सदस्यों की ओर से बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव के नोटिस मिलने की जानकारी दी.
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि इनमें से किसी भी नोटिस को अनुमति नहीं दी गई है. उनके इतना कहते ही प्रोफेसर मनोज कुमार झा अपनी सीट पर खड़े हो गए. उपसभापति ने प्रोफेसर झा से बैठ जाने के लिए कहा, यह भी कहा कि अब जीरो ऑवर है. लेकिन प्रोफेसर झा खड़े रहे. इसके बाद हरिवंश ने उन्हें बोलने की अनुमति दी.
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प्रोफेसर झा ने आसन का धन्यवाद किया और कहा कि बिहार में एसआईआर के नाम पर जो हो रहा है, पूरा देश जान रहा है. उपसभापति हरिवंश ने उन्हें टोकते हुए कहा कि चुनाव आयोग संवैधानिक बॉडी है. सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है. इसलिए मैं अनुमति नहीं दूंगा. उपसभापति के इतना कहने के बाद विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे.
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विपक्षी सदस्यों ने वेल में आकर 'वोट चोरी बंद करो', 'SIR पर हल्लाबोल' के नारे लगाए. विपक्ष के हंगामे पर भड़के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि आपके आचरण रूल्स ऑफ कंडक्ट के खिलाफ हैं. और आप कहते हो कि संसद को लोकतांत्रिक ढंग से चलाने के लिए चश्मा लगा रखे हैं.