सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद चुनाव आयोग द्वारा 2013 में शुरू किए गए नोटा विकल्प को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 9,13,561 मतदाताओं ने तरजीह दी जो कुल मतों का करीब ढाई प्रतिशत है.
अंतिम नतीजों तक बढ़ सकती है संख्या
चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 9,13,561 मतदाताओं ने 'इनमें से कोई नहीं' या नोटा विकल्प के पक्ष में मतदान किया. हालांकि अंतिम नतीजों के आने तक नोटा के आंकड़ों और प्रतिशत में बदलाव हो सकता है. बिहार विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 6.68 करोड़ मतदाताओं यानी 56.80 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था. यह बिहार में लोकसभा या विधानसभा के किसी भी चुनाव में अब तक का सर्वाधिक मतदान है.
इस बार नोटा का भी था चुनाव चिह्न
इस बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा विकल्प का भी अपना एक चुनाव चिह्न था. मतपत्र पर काली स्याही से कटे का निशान इसका चिह्न था. पिछले साल लोकसभा चुनाव में करीब 60 लाख मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. उच्चतम न्यायालय के आदेश के पहले जो मतदाता किसी उम्मीदवार को मत नहीं देना चाहते थे, उन्हें एक फार्म 49..0 भरना होता था. लेकिन चुनाव संबंधी नियमों के अनुसार मतदान केंद्र पर यह फार्म भरने से मतदाता की गोपनीयता प्रभावित होती थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश देने से इंकार कर दिया था कि अगर नोटा विकल्प का उपयोग करने वाले मतदाताओं की संख्या आधे से ज्यादा होती है तो नए सिरे से चुनाव कराएं जाएं.