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'मेरी दादी हॉस्पिटल में एडमिट, मैं और पिताजी जनता के बीच हैं...,' ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन का Exclusive Interview

मध्य प्रदेश के गुना-शिवपुरी सीट से बीजेपी उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया ने आजतक से बातचीत की है. वे इस समय अपने पिता के लिए चुनावी प्रचार कर रहे हैं. महाआर्यमन ने पिता के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जाने के फैसले पर गर्व जताया है. महाआर्यमन ने कहा, सिंधिया घराने के DNA में जनसेवा है. जनता के बीच रहकर सेवा करना ही लक्ष्य है.

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महाआर्यमन सिंधिया इस समय गुना में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.
महाआर्यमन सिंधिया इस समय गुना में लोगों के बीच पहुंच रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में तीसरे चरण की वोटिंग का वक्त नजदीक आ गया है. इस चुनाव में नेता पुत्र भी मैदान में हैं और पिता की जीत के लिए गांव-गांव और गलियों में घूम रहे हैं. सिंधिया घराने के युवराज यानी केंद्रीय मंत्री और गुना से बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया भी पिता के लिए चुनावी प्रचार कर रहे हैं. महाआर्यमन ने आजतक से बातचीत की है और पिता के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जाने के फैसले पर गर्व जताया है. महाआर्यमन ने कहा, सिंधिया घराने के DNA में जनसेवा है. जनता के बीच रहकर सेवा करना ही लक्ष्य है. पढ़िए पूरी बातचीत...
 
सवाल: चुनाव प्रचार में किस तरह पिता की मदद कर रहे हैं?
महाआर्यमन: सबसे पहला मुद्दा है जनता के बीच में आना और हमारे परिवार का उनसे संबंध और मजबूत करना है. जनसंपर्क का अर्थ है- मंच से कम बोलो और जनता के बीच ज्यादा रहो.

सवाल: आपके पिता ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तब उन पर बड़े हमले हुए. क्या वो कठिन समय था आपके परिवार के लिए?
महाआर्यमन: मेरे पिताजी लंबे समय से कांग्रेस के लिए काम कर रहे थे तो उनके लिए कठिन फैसला था. लेकिन वो फैसला क्यों लेना पड़ा? जनता के लिए फैसला लेना पड़ा, जो उनकी मांगें थी वो पूरी करनी थीं और उन्हें कह दिया गया कि आप सड़क पर आ जाओ तो हमने उसका जवाब दिया और मुझे उनके फैसले पर गर्व है.

सवाल: आपके पिता का क्या फीडबैक रहता है नरेंद्र मोदी के लिए एक प्रधानमंत्री के तौर पर?
महाआर्यमन: मेरे पिताजी प्रधानमंत्री मोदी जी को प्रिंसिपल बोलते हैं. वो हर मंत्री से रिपोर्ट कार्ड मांगते हैं और अगर कोई योजना में देरी हो रही है तो उनको जवाब देना होता है. देरी पर पीएम मोदी खुद अपना डंडा चलाकर प्रोजेक्ट को तीव्र गति से आगे लेकर जाते हैं.

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सवाल: अभी तो आपका पूरा परिवार चुनाव प्रचार में व्यस्त है. आखिरी बार कब सभी एक साथ समय बिता पाए? 
महाआर्यमन: चाहे प्रचार हो या ना हो, मेरे पिता का लक्ष्य जनसेवा है और हां यह सच है कि हम एक-दूसरे के साथ कम समय बिता पाते हैं. पर मैं समझ सकता हूं, क्योंकि वो जनसेवक हैं और जनता से उन्होंने वादा किया है- सेवा का, इसलिए आज भी जब मेरी दादी हॉस्पिटल में एडमिट हैं, तब भी मैं और पिताजी जनता के बीच खड़े हैं.

सवाल: पिछली बार आपके पिता यहां से चुनाव हार गए थे, तब क्या कमी रह गई थी और इस बार लोग क्यों उन्हें वोट दें?
महाआर्यमन: युवाओं को शिक्षा से लेकर औद्योगिक विकास, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर खोलने का अगले 5 साल का लक्ष्य है. गुना और शिवपुरी में एयरपोर्ट ला रहे हैं और अगले 5 साल में बुनियादी ढांचे को विकसित करना है.

सवाल: क्या आप राजनीति में आएंगे? 
महाआर्यमन: अभी तो मैं अपने पिता की मदद कर रहा हूं और बेटे का कर्तव्य निभा रहा हूं. मेरे दादाजी कहते थे कि जनसेवा हमारे डीएनए में हैं. जरिया कुछ भी हो, राजनीति हो, व्यापार हो, चाहे किसी भी क्षेत्र में हूं. मैं यह तो नहीं बता सकता कि राजनीति में आऊंगा या नहीं, लेकिन यह जरूर बता सकता हूं कि चाहे मैं जो करूं, लेकिन जनसेवा जरूर करूंगा.

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