बिहार में मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision - SIR) चल रहा है. इस बीच, कई जिलों से अनियमितताओं, अव्यवस्थाओं और लापरवाहियों की खबरें सामने आ रही हैं. मुजफ्फरपुर, रक्सौल, कटिहार, बेगूसराय और अररिया में ग्राउंड पर तमाम खामियां मिली हैं, जो सिस्टम की मंशा पर सवाल खड़े कर रही हैं. कहीं BLO को बिना पूर्व जानकारी के नए क्षेत्रों में भेजा गया है तो कहीं आधार कार्ड के सहारे ही फॉर्म भरे जा रहे हैं. कुछ जिलों में शिकायतों पर FIR, निलंबन और इस्तीफे जैसे सख्त कदम भी उठाए गए हैं.
मुजफ्फरपुर: घर-घर पहचान में आ रही दिक्कत
मुजफ्फरपुर से आई ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक यहां कई BLO को बिना किसी पूर्व जानकारी के सीधे पत्र देकर नए क्षेत्रों में भेज दिया गया, जिससे उन्हें घर-घर जाकर मतदाताओं की पहचान करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. BLO अजय कुमार ने बताया कि उन्हें 1354 मतदाताओं की सूची मिली है, जिनमें से करीब 750 फॉर्म अपलोड हो चुके हैं, लेकिन चूंकि क्षेत्र नया है, इसलिए घर ढूंढने में समय लग रहा है. उन्होंने बताया कि स्थानीय पार्षदों की मदद से वे लोगों तक पहुंच रहे हैं.
जब उनसे पूछा गया कि कितना काम पूरा हो चुका है तो उन्होंने दावा किया कि 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है. हालांकि, उनके हाथों में मौजूद सैकड़ों खाली फॉर्म की गड्डी ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए. BLO को साइकिल पर घूमते हुए भी देखा गया, जो यह दर्शाता है कि क्षेत्रीय संसाधन भी सीमित हैं.
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आजतक से क्या बोले BLO?
रिपोर्टर: कितने मतदाताओं की सूची मिली है?
BLO: कुल 1354 मतदाता हैं.
रिपोर्टर: अब तक कितने फॉर्म अपलोड हो चुके हैं?
BLO: करीब 750 अपलोड हो चुके हैं.
रिपोर्टर: क्या समस्याएं आ रही हैं?
BLO: नए क्षेत्र में भेजा गया है. घर ढूंढने में समय लग रहा है. पार्षदों की मदद ले रहे हैं.
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बीएलओ का कहना था कि लोग अधिकतर आवासीय प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट और 2003 की वोटर लिस्ट की कॉपी दे रहे हैं, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं, उनके फॉर्म फिलहाल ले लिए जा रहे हैं और बाद में डॉक्यूमेंट मंगवाए जाएंगे.
एक ही जगह से आधार कार्ड इकट्ठे कर फॉर्म भरने का आरोप
मुजफ्फरपुर के ही सिकंदरपुर कुंडल इलाके में BLO पंकज कुमार पर सत्यापन के बिना फॉर्म भरने का गंभीर आरोप लगा है. आजतक की टीम जब उनके साथ फील्ड में पहुंची तो उन्होंने एक ही मोहल्ले के एक घर में बैठकर 7-8 आधार कार्ड के आधार पर फॉर्म भरना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि वे आधार कार्ड की जानकारी के आधार पर जन्मतिथि और पिता का नाम भर देंगे, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सत्यापन कैसे करेंगे तो जवाब गोलमोल था.
जब उनसे पूछा गया कि क्या ये मतदाता जीवित हैं, ट्रांसफर हुए हैं या नहीं तो BLO ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया. ये मामले इस ओर इशारा करते हैं कि बिना उचित वेरिफिकेशन के फॉर्म अपलोड किए जा रहे हैं.
रक्सौल और मोतिहारी: सिर्फ आधार कार्ड से जुड़ रहे वोटर
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में भी सिर्फ आधार नंबर और जन्मतिथि के आधार पर फॉर्म भरने के मामले सामने आए हैं. जब इस पर सवाल उठाया गया तो SDM एवं निर्वाची पदाधिकारी मनीष कुमार ने माना कि अभी सिर्फ यह प्रयास है कि कोई भी छूटे नहीं. उनका कहना था कि दूसरे चरण में जरूरी दस्तावेज लिए जाएंगे.
वहीं, मोतिहारी जिले में लगभग 37 लाख मतदाताओं के लिए 5000 कर्मी लगाए गए हैं. हर 10 बीएलओ पर एक सुपरवाइजर नियुक्त किया गया है, जबकि BDO, SDO और DM इस कार्य की निगरानी कर रहे हैं. लेकिन चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दस्तावेजों की जांच का पालन नहीं किया जा रहा.
चुनाव आयोग की शर्तें...
- 01 जुलाई 1987 से पहले जन्मे मतदाताओं को 2003 की वोटर लिस्ट या 11 विकल्पों में से कोई एक दस्तावेज देना होगा.
- 01 जुलाई 1987 से 02 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाताओं को 11 विकल्पों में से कोई एक दस्तावेज और माता-पिता में से किसी एक का 2003 की वोटर लिस्ट में नाम दिखाना होगा.
- 02 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं को माता-पिता दोनों के दस्तावेज देने होंगे.
- विदेश (जैसे नेपाल) से शादी करके भारत आई बेटियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करनी होगी और शादी के 7 साल बाद ही उन्हें वोटर लिस्ट में जोड़ा जा सकता है.
दरअसल, मतदाता पुनरीक्षण फॉर्म में चुनाव आयोग के द्वारा मांगे गए दस्तावेज अधिकांश मतदाओं के पास नहीं है. रक्सौल के समाजसेवी रंजीत ने चुनाव आयोग के गाइडलाइन पर सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा, नेपाल की जो बेटी भारत में ब्याही गई है. वो वोट देकर मुखिया, विधायक, पार्षद और सांसद चुन चुकी है. लेकिन उसके पास नागरिकता प्रमाण पत्र नहीं है. उसके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड है. उनका नाम तो आसानी से वोटर लिस्ट से हट जाएगा. जबकि बीएलओ का कहना है कि हम चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश पर काम कर रहे हैं. जो 11 दस्तावेज का निर्देश दिया गया है, वही ले रहे हैं.
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अररिया: मतदाता फॉर्म भरे बिना ही ऑनलाइन स्वीकृति
अररिया जिले के रामपुर इलाके में एक नया और चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां के अधिकांश मुस्लिम मतदाताओं का कहना है कि उन्होंने कोई फॉर्म नहीं भरा, BLO कभी घर नहीं आए, लेकिन फिर भी उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि उनका फॉर्म स्वीकृत और अपलोड हो चुका है.
यह सुनकर लोगों में डर और आशंका का माहौल बन गया है कि कहीं भविष्य में उन्हें वोट देने से वंचित न कर दिया जाए. जब हमारी टीम ने BDO को कॉल किया तो उन्होंने भी फोन रिसीव नहीं किया. यह स्थिति पुनरीक्षण अभियान की गंभीर खामियों की ओर इशारा करती है.
बेगूसराय और कटिहार: अफसरों पर कार्रवाई, RJD ने सरकार को घेरा
बेगूसराय में एक BLO पर FIR दर्ज की गई है, जबकि कटिहार में BDO के इस्तीफे और निलंबन की खबर है. इन घटनाओं पर राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यह पूरा अभियान ही सवालों के घेरे में है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और चुनाव आयोग दोनों ही जवाबदेही से भाग रहे हैं. जबकि ग्राउंड पर गड़बड़ियों की बाढ़ है.
'86.32% फॉर्म जमा, 90.84% मतदाता कवर'
बिहार के मुख्य निर्वाचन कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक 25 जुलाई तक EF फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि है. राज्य के 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 6.81 करोड़ (86.32%) मतदाताओं के फॉर्म अब तक जमा किए जा चुके हैं. प्रशासन का दावा है कि 90.84% मतदाताओं को कवर कर लिया गया है. शेष 9.16% मतदाताओं तक पहुंचने के लिए तीसरे चरण का अभियान शुरू किया जा रहा है.
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राज्य के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर लगाए गए हैं और समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी कर लोगों को फॉर्म भरने की अपील की गई है. 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी.