बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 से सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी इस चुनाव की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिसने 101 सीटों में से 89 जीत ली हैं. करीब 90 प्रतिशत की स्ट्राइक रेट के साथ बीजेपी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और चुनावी पकड़ बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में भी बेहतरीन ढंग से काम करती है.
महागठबंधन के दावे धरे रह गए
आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों वाले महागठबंधन की हालत बेहद खराब है. चुनाव पूर्व में आए सर्वे और ओपिनियन पोल ने तेजस्वी यादव को पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरा बताया था, लेकिन नतीजे बताते हैं कि गठबंधन 35 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई. तेजस्वी खुद राघोपुर से शुरुआती चरण में पीछे चल रहे थे, हालांकि बाद में उन्होंने बढ़त बनाई और जीत गए.
बीजेपी की जबरदस्त वापसी
बीजेपी की यह जीत न केवल उसकी राजनीतिक ताकत को और मजबूत करेगी, बल्कि लोकसभा चुनाव 2024 में झेल चुके झटके को भी संतुलित करेगी. पार्टी को केंद्र में सत्ता बनाए रखने के लिए सहयोगियों की जरूरत पड़ी थी, लेकिन बिहार में उसके रफ्तार ने एक बार फिर उसकी चुनावी मशीनरी की ताकत साबित कर दी है.
महिलाओं ने बदला चुनाव का गणित
इस बार महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक रही. विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, बिहार की महिलाएं एनडीए के समर्थन में अधिक झुकाव रखती हैं, और इस चुनाव में भी उनकी भूमिका निर्णायक साबित हुई.
बिहार चुनाव की विस्तृत कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें
मोदी मैजिक के साथ चली जेडीयू
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मोदी और केंद्रीय मंत्रियों का मजबूत समर्थन मिला, जिसका सीधा फायदा जेडीयू को मिला है. 2020 में महज़ 43 सीटों पर सिमटी जेडीयू इस बार 85 सीटें जीतने में कामयाब रही. यह उसके लिए एक बड़ी वापसी है. जेडीयू का वोट शेयर भी लगभग 19 प्रतिशत से ज्यादा है.
चिराग पासवान की पार्टी ने भी दिखाया दम
एलजेपी(रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जो खुद को पीएम मोदी का ‘हनुमान’ कहते हैं, इस बार 28 उम्मीदवार ही उतार पाए. फिर भी उनकी पार्टी ने 19 सीट जीत ली.
‘डबल इंजन सरकार’ ने लोगों को लुभाया
इस चुनाव में 125 यूनिट मुफ्त बिजली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी और 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपये की सहायता ने जनता पर गहरी छाप छोड़ी. महागठबंधन बीजेपी पर हमले करता रहा, लेकिन "जंगल राज" का मुद्दा इस बार भी तेजस्वी यादव के खिलाफ गया.
अगले चुनावों का भी ट्रेलर?
बिहार जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि आने वाले छह महीनों में बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव होने हैं. एनडीए का यह प्रदर्शन उन राज्यों के लिए भी एक बड़ा संदेश माना जा रहा है.
जीत पर जगह-जगह जश्न
पटना में बीजेपी और जेडीयू दोनों कार्यालयों के बाहर खूब जश्न मनाया गया. ढोल-नगाड़ों के साथ कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और नेताओं के समर्थन में नारे लगाए.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर के बाहर पोस्टर लगा 'टाइगर अभी ज़िंदा है'. जिस पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने खुशी जाहिर की. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी नीतीश की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी नेतृत्व क्षमता निर्विवाद है.
महागठबंधन की करारी हार
आरजेडी, जो खुद को ‘सबसे बड़ी पार्टी’ बताती आई थी, इस बार उसकी हालत बहुत खराब रही. कांग्रेस की स्थिति और भी खराब है. 61 में से केवल 6 सीटें जीत पाई.
अन्य दलों की स्थिति
ओवैसी की एआईएमआईएम ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की. जीतन राम मांझी की हम भी 5 सीटें जीतने में कामयाब रही. उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 4 सीटों पर जीत मिली.
जन सुराज पार्टी का बुरा हाल
प्रशांत किशोर की बहुचर्चित जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. किसी भी सीट पर वे आगे नहीं बढ़ पाए. अधिकांश सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त होती दिख रही है.
बीजेपी में सीएम को लेकर चर्चा
बीजेपी लगातार दूसरी बार जेडीयू से बेहतर प्रदर्शन कर रही है. ऐसे में पार्टी के भीतर 'अपना मुख्यमंत्री' लाने की मांग तेज हो सकती है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने अब तक साफ किया है कि बिहार एनडीए का नेतृत्व नीतीश कुमार ही करेंगे.
बिहार उन गिने-चुने राज्यों में है जहां बीजेपी अभी तक अकेले सरकार नहीं बना पाई है. और केंद्र सरकार के लिए जेडीयू और टीडीपी का समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है. इस तरह एनडीए की यह शानदार जीत न केवल बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाती है, बल्कि देश की राजनीति में भी नए सियासी संकेत देती है.