नीट पेपर गड़बड़ी को लेकर घमासान जारी है. सवाल ये कि आखिर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले कौन हैं. एक के बाद एक नए किरदार सामने आ रहे हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे हैं. मामले की जांच में जुटी EOU की विज्ञप्ति में कहा गया है कि एनटीए द्वारा पेपर के स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन और हैंडओवर के बारे में दी गई जानकारी से पता चलता है कि एनटीए के सिस्टम में खामियां हैं और यह लीक किस प्वॉइंट पर हुआ, इसकी अभी भी जांच चल रही है.
इस मामले में अब तक 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. काजू, जिसे अन्य संदिग्धों के साथ देवघर से पकड़ा गया था, को ईओयू द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया है. जांच में संजीव मुखिया गिरोह की संलिप्तता का पता चला है, जो नालंदा, बिहार का रहने वाला है.
ब्लू डॉर्ट और एसबीआई के कर्मचारियों से पूछताछ
पेपर के स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट का जिम्मा एसबीआई और ब्लू डार्ट के पास था जिनके कर्मचारियों से ईओयू ने पूछताछ की है. ईओयू की जांच में खुलासा हुआ है कि पेपर की पैकेजिंग के माध्यम से कस्टडी की चेन टूटी थी और इसी दौरान इसमें टैंपरिंग (छेड़छाड़) हुई.
इस बीच, एनडीए और महागठबंधन पेपर लीक को लेकर एक-दूसरे पर हमलावर हैं. EoW की विज्ञप्ति में राजनीतिक संलिप्तता के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा गया. विज्ञप्ति में सिकंदर प्रसाद यादवेंदु, प्रीतम जैसे लोगों और सरकारी गेस्ट हाउस का कोई जिक्र नहीं है.
कैसे हुआ लीक का शक
5 मई, 2024 को आयोजित नीट यूजी-2024 परीक्षा के परिणाम घोषित होने पर तुरंत बाद सवाल खड़े होने शुरू हो गए.दरअसल ऐसा पहली बार हुआ था जब नीट की परीक्षा में 67 छात्रों ने 720/720 अंक प्राप्त किए थे. क्योंकि अक्सर ऐसा होता रहा है कि 2 या 3 ही टॉपर रहे थे. जैसे ही यह पता चला कि 67 लोग टॉपर हैं तो शक की सुई घूमने लगी. मामला हाइलाइट हुआ और मेडिकल छात्रों और शिक्षकों ने ने चिंता जताते हुए अनियमितताओं को चिन्हित किया और जांच की मांग की.
पटना पुलिस के एक्शन से पेपर लीक मामला प्रकाश में आया
परीक्षा के दिन, पटना पुलिस (शास्त्री नगर पुलिस स्टेशन) ने एक टिप के आधार पर कथित पेपर लीक पर मामला दर्ज किया था, जिसके बाद छापेमारी और गिरफ्तारियां हुईं. पटना पुलिस ने इस मामले में कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जो शास्त्रीनगर एसएचओ अमर कुमार के बयान के आधार पर दर्ज किया गया था, जिन्हें नीट उम्मीदवारों द्वारा खुद व्यक्तिगत सूचना दी थी. कॉल करने वाले ने पेपर लीक में शामिल नीट उम्मीदवारों को ले जा रही एक डस्टर कार के बारे में विस्तार से बताया था.
उन्होंने बताया कि 5 मई 2024 को दोपहर 2:05 बजे (2 बजे नीट यूजी का पेपर शुरू हुआ था.) गश्ती के क्रम में सूचना मिली कि आज नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) का पेपर लीक किया गया है. आगे बताया गया कि सफेद रेनॉल्ट डस्टर गाड़ी में गिरोह के सदस्य परीक्षा केंद्र आसपास ही घूम रहे हैं. एसएचओ ने आगे बताया कि (FIR के आधार पर) गाड़ी की तलाश के लिए बेली रोड पर राजवंशी नगर मोड के पास गाड़ी चेकिंग शुरू किया.
चेकिंग के दौरान बेली रोड पर पटेल भवन की तरफ से सफेद रंग की रेनॉल्ट डस्टर गाड़ी सामने आते हुए दिखाई दी, जिसकी घेराबंदी करके रोका गया. गाड़ी में तीन लोग थे, जो गाड़ी रोककर तेजी से भगाने की कोशिश करने लगे. पुलिस ने उन्हें बल के सहयोग से पकड़ा. पकड़े गए लोगों से जब नाम पूछा गया तो एक का नाम सिकंदर यादवेंदु (56 वर्षीय), दूसरे का अखिलेश कुमार (43 वर्षीय) और तीसरे के नाम बिट्टू कुमार (38 वर्षीय) बताया.
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नेटवर्क का खुलासा: प्रमुख गिरफ्तारियां और छापे
खुफिया जानकारी जुटाने और तकनीकी निगरानी के ज़रिए, EOU ने प्रश्नपत्र लीक के मुख्य मास्टरमाइंड से दो और प्रमुख संदिग्धों की पहचान की और उन्हें गिरफ़्तार किया. झारखंड के देवीपुर में एक फार्महाउस पर एक छापेमारी में संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया. गिरफ़्तार किए गए लोगों में से एक, बलदेव कुमार उर्फ चिंटू, गिरोह के कुख्यात नेता संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया का अहम लिंक था.
बलदेव कुमार को परीक्षा की सुबह हल किए गए NEET प्रश्नपत्र की पीडीएफ़ मिली थी. छपरा में लर्न बॉयज़ हॉस्टल और प्ले स्कूल में वाई-फाई प्रिंटर का उपयोग करके, उसने और उसके साथियों ने प्रतियां छापीं और उन्हें उम्मीदवारों के समूहों में वितरित किया. उम्मीदवारों को पहचान छिपाने के लिए निर्दिष्ट ड्रॉप-ऑफ पॉइंट और टैक्सियों का उपयोग करके सख्त गोपनीयता के तहत इस जगह पर लाया गया था. टैक्सी चालक मुकेश कुमार को भी गिरफ़्तार किया गया और उसका वाहन जब्त कर लिया गया.
जांच में मिले साक्ष्य
जांच में महत्वपूर्ण सफलता तब मिली जब एनटीए ने संदर्भ प्रश्नपत्र की एक प्रति उपलब्ध कराई, जिसका मिलान लर्न बॉयज हॉस्टल से जब्त किए गए आधे जले हुए प्रश्नपत्र से किया गया. जब्त किए गए प्रश्नपत्र पर सीरियल कोड झारखंड के हजारीबाग में एक परीक्षा केंद्र से मेल खाता था. प्रारंभिक जांच में प्रश्नपत्रों की पैकिंग में छेड़छाड़ का पता चला, जो वितरण स्तर पर उल्लंघन की तरफ इशारा करता है.
यहां से हुई लीकेज?
एसआईटी ने परीक्षा केंद्र, एसबीआई बैंक शाखा और ब्लू डार्ट कंपनी के कार्यालयों में कर्मियों का बयान लेने के बाद पेपर लीक श्रृंखला का सत्यापन किया. यह पाया गया कि एनटीए द्वारा निर्धारित कई सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया था, जिससे छेड़छाड़ का पता नहीं चल पाया.
आगे की पूछताछ में गिरोह को डुप्लीकेट सिम कार्ड और मोबाइल फोन उपलब्ध कराने वाले तीन और लोगों की गिरफ्तारी हुई. इन गिरफ्तारियों से एक संगठित अंतर-राज्यीय पेशेवर गिरोह की संलिप्तता का पता चला. डुप्लीकेट सिम कार्ड और मोबाइल फोन बरामद किए गए, तथा आरोपियों के खिलाफ आर्थिक अपराध पुलिस स्टेशन के तहत एक अतिरिक्त मामला दर्ज किया गया.
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संजीव मुखिया पेपर लीक गिरोह
बलदेव कुमार से पूछताछ में संजीव कुमार उर्फ लूटन मुखिया द्वारा रची गई विस्तृत योजना का खुलासा हुआ. गिरोह ने तकनीक और सहयोगियों के एक नेटवर्क का लाभ उठाते हुए सावधानीपूर्वक लीक की योजना बनाई. उम्मीदवारों को लीक हुए पेपर के बारे में बताया गया और उन्हें किसी को पता ना चले, इसलिए गुप्त रूप से ले जाया जा रहा है.
ईओयू द्वारा की गई गिरफ्तारिया:
1. बलदेव कुमार उर्फ चिंटू: लीक में मुख्य व्यक्ति, झारखंड के देवीपुर से गिरफ्तार किया गया.
2. मुकेश कुमार: टैक्सी ड्राइवर जिसने उम्मीदवारों को लाने-ले जाने में मदद की
3. पंकू कुमार: डुप्लीकेट सिम कार्ड और आश्रय मुहैया कराया
4. राजीव कुमार उर्फ करू: लॉजिस्टिक सहायता मुहैया कराने में शामिल
5. परमजीत सिंह उर्फ बिट्टू: लॉजिस्टिक और तकनीकी सहायता नेटवर्क का हिस्सा
सीबीआई कर रही जांच
जांच में एक व्यापक नेटवर्क का खुलासा होने के बाद, मामले को अब आगे की कार्रवाई के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया है. ईओयू की जांच में खुलासा किया है कि परीक्षा पेपर हैंडलिंग के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल में महत्वपूर्ण खामियां थी, जिससे सख्त उपायों की मांग की जा रही है.
पटना पुलिस/बिहार ईओयू की 42-दिवसीय जांच
NEET UG-2024 पेपर लीक ने भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में से एक की पारदर्शिता पर संदेह पैदा कर दिया है. पटना पुलिस द्वारा 42 दिनों की जांच और उसके बाद बिहार के EOU द्वारा की गई जांच शैक्षिक मूल्यांकन की पारदर्शिता बनाए रखने में सतर्कता और मजबूत सुरक्षा के महत्व का प्रमाण है.