पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक बार फिर सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का मुद्दा जोर-शोर से उठाया है. उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि चिनाब नदी में पानी का रुख बदलना या रोकना युद्ध का कृत्य (Act of War) माना जाएगा. डार ने कहा कि भारत के "आक्रामक कदम" दक्षिण एशिया की शांति और स्थिरता के लिए बड़ा खतरा हैं.
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी. इस संधि के तहत तीन पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत को और तीन पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित की गईं. यह संधि अब तक कई युद्धों और तनावों के बावजूद कायम रही थी.
यह भी पढ़ें: नए ड्रोन, एयर डिफेंस और अटैक वेपन... 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद डिफेंस बजट में बड़ी बढ़त की तैयारी
लेकिन अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 पर्यटक मारे गए) के बाद भारत ने संधि को एकतरफा रूप से निलंबित (held in abeyance) कर दिया. भारत ने इसे पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद का जवाब बताया. तब से संधि निलंबित अवस्था में है – भारत ने हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना बंद कर दिया. संयुक्त निगरानी तंत्र रोक दिया.

दिसंबर 2025 चिनाब नदी में पानी की मात्रा में अचानक बदलाव देखा गया. पहले 7-8 दिसंबर की रात को अचानक 58,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, फिर 13 दिसंबर से पानी की मात्रा घटकर 870-1,000 क्यूसेक रह गई. पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने बिना पूर्व सूचना के पानी छोड़ा और फिर कम किया, जिससे उनकी फसलें (खासकर गेहूं) प्रभावित हो रही हैं. पाकिस्तान ने इसे 'पानी का हथियार बनाना' और संधि का उल्लंघन बताया.
यह भी पढ़ें: PAK-चीन की पनडुब्बियों को खोजकर खत्म करेगा ये हेलीकॉप्टर... नौसेना में शामिल हुआ रोमियो
डार ने राजनयिकों को ब्रिफिंग देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कई बार यह मामला उठाया है. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के विशेष विशेषज्ञों (Special Rapporteurs) ने भी भारत के कदमों पर चिंता जताई है. उनकी रिपोर्ट में कहा गया कि संधि को एकतरफा निलंबित करना गलत है, पानी के प्रवाह में बाधा डालना लाखों लोगों के मानवाधिकारों (पानी, भोजन, आजीविका) का उल्लंघन है. विशेषज्ञों ने भारत से स्पष्टीकरण, मुआवजा और संधि का पालन करने की मांग की है.

भारत का कहना है कि संधि को निलंबित करना आतंकवाद के खिलाफ जवाब है. भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान सीमा-पार आतंकवाद को समर्थन देता रहा है, जिससे संधि की भावना का उल्लंघन हुआ. भारत ने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद छोड़ नहीं देता, संधि निलंबित रहेगी. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पानी पूरी तरह रोक नहीं रहा, लेकिन डेटा साझा करना और कुछ प्रतिबंध हटा दिए हैं.
यह विवाद दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ा सकता है. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों (UNSC, PCA) पर मामला ले जा रहा है, जबकि भारत इसे द्विपक्षीय और सुरक्षा का मुद्दा बता रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन से यह समस्या और गंभीर हो सकती है.
दोनों देशों को बातचीत से समाधान निकालना चाहिए, वरना क्षेत्रीय शांति खतरे में पड़ सकती है. यह मामला दक्षिण एशिया में पानी को लेकर पुरानी चिंताओं को फिर से उजागर कर रहा है. पाकिस्तान के लिए सिंधु नदी प्रणाली जीवनरेखा है, जबकि भारत इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ रहा है.