scorecardresearch
 

ऑपरेशन महादेव: सावन के तीसरे सोमवार पर खुला शिव का तीसरा नेत्र, तीन आतंकी ढेर

ऑपरेशन महादेव ने तीसरे सोमवार को सेना ने भगवान शिव के तीसरे नेत्र की तरह आतंक पर प्रहार किया. कम्युनिकेशन डिवाइस की मदद से हाशिम मूसा समेत तीन गुनहगारों का सफाया हुआ. ये भारत की दृढ़ता दिखाता है, लेकिन आतंक का नेटवर्क जिंदा है. सेना को सतर्क रहना होगा ताकि कश्मीर में शांति बनी रहे.

Advertisement
X
माउंट महादेव पर मारे गए तीनों आतंकियों के शव. (Photo: ITG)
माउंट महादेव पर मारे गए तीनों आतंकियों के शव. (Photo: ITG)

आज सावन का तीसरा सोमवार है, जब देशभर में भगवान शिव के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी. लेकिन जम्मू-कश्मीर में इस खास दिन पर भारतीय सेना ने एक अलग ही "तीसरा नेत्र" खोला. ऑपरेशन महादेव के तहत श्रीनगर के लिडवास इलाके में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जो पहलगाम हमले के गुनहगार हैं. ये ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए खूनी हमले के 96 दिन बाद चला, जिसमें 26 बेकसूर पर्यटकों की जान गई थी. 

तीसरे सोमवार को क्यों खुला शिव का तीसरा नेत्र?

आज 28 जुलाई 2025 को सावन का तीसरा सोमवार है, जो भगवान शिव के लिए खास माना जाता है. हिंदू पौराणिक कथाओं में शिव का तीसरा नेत्र तब खुलता है जब वे गलत काम या गलत करने वाले लोगों को खत्म करने के लिए क्रोधित होते हैं. सेना ने इस ऑपरेशन का नाम महादेव इसलिए रखा, क्योंकि यह कश्मीर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान (जैसे अमरनाथ यात्रा) को बचाने की कोशिश है. 

यह भी पढ़ें: Operation Mahadev में मारे गए आतंकियों के पास अमेरिकी असॉल्ट राइफल, जानिए खासियत

operation Mahadev shiva third eye
सबसे दाहिनी तरफ हाशिम मूसा खड़ा है. जिसे आज सेना ढेर किया. 
  • ऑपरेशन की शुरुआत: पिछले दो हफ्ते से 24 RR, 4 पैरा, जम्मू-कश्मीर पुलिस (JKP) और CRPF की टीमें दाचीगाम क्षेत्र में आतंकियों की तलाश में थीं. 26 जुलाई को एक कम्युनिकेशन डिवाइस फिर से एक्टिव हुई, जिसके बाद सुबह 11:30 बजे लिडवास और दाचीगाम जंगलों में ऑपरेशन तेज हुआ.  
  • मुठभेड़: एक संयोगवश मुठभेड़ हुई. 4 पैरा की टीम ने जंगल में आतंकियों के टेंट को देखा, जहां वे सो रहे थे. सेना ने चुपके से हमला कर दिया. 6 घंटे की गोलीबारी के बाद तीनों को मार गिराया गया.  
  • सांस्कृतिक संदेश: इस दिन ऑपरेशन का होना संयोग नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ दृढ़ संकल्प का प्रतीक है.

यह भी पढ़ें: Operation Mahadev: पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड हाशिम मूसा फौजी हुआ ढेर, सामने आई दाचीगाम एनकाउंटर की तस्वीरें

Advertisement

कैसे हुआ आतंकियों का सफाया?

  • कम्युनिकेशन डिवाइस का रोल: एक चीनी सैटेलाइट फोन, जो 11 जुलाई को बाइसरन में एक्टिव हुआ था. इसने सेना को संकेत दिया. इसके बाद सेना, JKP और CRPF ने संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया. खानाबदोशोंसे भी इनपुट मिले कि आतंकी इलाके में घूम रहे हैं.  
  • संयोगवश मुठभेड़: दो दिन पहले कॉर्डन बिछाया गया था. 28 जुलाई को 4 पैरा ने जंगल में आतंकियों के टेंट को देखा. सूत्रों के मुताबिक, आतंकी सो रहे थे, जो उनकी आम रणनीति है- हिलते-डुलते और आराम करते रहना, जिससे वे लंबे समय तक बचते हैं. लेकिन इस बार उनकी किस्मत साथ नहीं दी.  
  • तेज कार्रवाई: 4 पैरा की टीम ने सटीक और चुपके से हमला किया. आतंकियों को संभलने का मौका नहीं मिला, और वे मौके पर ही ढेर हो गए.
operation Mahadev shiva third eye
अमेरिकी असॉल्ट राइफल M4 Carbine. 

आतंकी कौन थे?

हाशिम मूसा (अबू सुलैमान): पहलगाम और सोनमर्ग हमले का मास्टरमाइंड. उसने अपनी शक्ल बदलने के लिए वजन कम किया था, लेकिन सेना ने उसे पहचान लिया.

यासिर और हामजा (संभावित): बाकी दो आतंकी यासिर और हामजा हो सकते हैं, जिनकी पहचान की पुष्टि होनी बाकी है. ये भी लश्कर से जुड़े थे.

आतंकियों के पास क्या मिला?

मुठभेड़ के बाद सेना ने उनके पास से हथियार और सामान बरामद किए...

Advertisement
  • AK-47 राइफल: 300 मीटर तक निशाना लगाने वाली तेज हथियार. 
  • M4 कार्बाइन: 500 मीटर रेंज वाला अमेरिकी हथियार.  
  • हैंड ग्रेनेड: 15-20 मीटर तक विस्फोट करने वाला.  
  • IED (घरेलू बम): बड़े हमले के लिए तैयार.  
  • सैटेलाइट फोन: अभी तक कोई नया कम्युनिकेशन डिवाइस नहीं मिला, लेकिन पुराना फोन सबूत है.

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर में PAK को कहां और कितना नुकसान हुआ? 10 Points

पहलगाम हमला: क्या था वो काला दिन?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसरन घाटी में आतंकियों ने 26 पर्यटकों पर हमला किया था. ये हमला द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने अंजाम दिया था. जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है. आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछा और जो लोग इस्लामिक आयतें नहीं पढ़ सके, उन्हें गोलियों से भून दिया. इस घटना में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए, जिससे पूरे देश में गुस्सा और दुख फैल गया.

पहला जवाब: इसके बाद 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले हुए.  
लंबी रणनीति: लेकिन आतंकियों की जड़ें खत्म करने के लिए सेना ने 96 दिन तक चले एक बड़े अभियान की योजना बनाई, जिसे ऑपरेशन महादेव नाम दिया गया.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement