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गाजा और ईरान से जंग के बीच इजरायल ने 14 अरब डॉलर के हथियार बेचे... यूरोपीय देश बने सबसे बड़े खरीदार

गाजा और ईरान से जंग लड़ते हुए इजरायल ने 2024 में 14.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे. यूरोपीय देशों ने 54% खरीदे, खासकर एयर डिफेंस सिस्टम. रूस-यूक्रेन युद्ध ने डिमांड बढ़ाई. यह रिकॉर्ड बिक्री इजरायल की अर्थव्यवस्था मजबूत करती है. निर्यात 13% बढ़ा है.

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इजरायल ने गाजा और ईरान के साथ जंग लड़ते-लड़ते सबसे ज्यादा आयरन डोम बेंचा. (File Photo: Getty)
इजरायल ने गाजा और ईरान के साथ जंग लड़ते-लड़ते सबसे ज्यादा आयरन डोम बेंचा. (File Photo: Getty)

इजरायल दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है, लेकिन वह जंग लड़ते हुए भी बड़ा व्यापार कर रहा है. गाजा में लंबी जंग और ईरान के साथ तनाव के बावजूद, 2024 में इजरायल ने रिकॉर्ड 14.7 अरब डॉलर (करीब 1.23 लाख करोड़ रुपये) के हथियार बेचे.

सबसे हैरानी की बात ये है कि इनमें से आधे से ज्यादा यूरोपीय देशों ने खरीदे. इजरायल के रक्षा मंत्रालय ने जून 2025 में यह आंकड़ा जारी किया. यह चौथा साल लगातार है जब इजरायल के हथियार निर्यात ने नया रिकॉर्ड बनाया. 

2024 में हथियार बिक्री का रिकॉर्ड: आंकड़े क्या कहते हैं?

इजरायल के रक्षा उद्योग ने 2024 में 13% की बढ़ोतरी के साथ 14.7 अरब डॉलर का टर्नओवर किया. यह 2023 की तुलना में 1.3 अरब डॉलर से ज्यादा है. मुख्य खरीदार यूरोप था, जिसने कुल निर्यात का 54% (करीब 8 अरब डॉलर) लिया. 2023 में यह हिस्सा सिर्फ 35% था. एशिया-पैसिफिक दूसरे नंबर पर रहा, लेकिन यूरोप ने सबको पछाड़ दिया.

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सबसे ज्यादा बिके हवाई रक्षा सिस्टम, जैसे आयरन डोम के हिस्से. इनकी बिक्री 48% रही. इसके अलावा मिसाइलें, ड्रोन, रडार और साइबर हथियार भी लोकप्रिय रहे. इजरायल एयर इंडस्ट्रीज (आईएआई), राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और एल्बिट सिस्टम्स जैसी कंपनियों ने बड़ा योगदान दिया.

जंग के बीच व्यापार कैसे फला-फूला?

गाजा में 2023 से चल रही जंग ने इजरायल को भारी नुकसान दिया. हजारों सैनिक घायल हुए, लेकिन इसने इजरायली हथियारों की ताकत दिखाई. यूरोपीय देशों को लगा कि इजरायल के हथियार असली जंग में काम करते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोप को हथियारों की भारी जरूरत पड़ी. इजरायल ने मौका लपका और तेजी से डिलीवरी दी.

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Israel sell record weapon

ईरान के साथ तनाव ने भी मदद की. ईरान ने अप्रैल 2024 में इजरायल पर मिसाइल हमला किया, लेकिन इजरायल ने उसे रोक लिया. इससे उसके डिफेंस सिस्टम की डिमांड बढ़ी. यूरोप में भी रूस का खतरा है, इसलिए वे इजरायली तकनीक चाहते हैं. बावजूद बॉयकॉट कॉल्स के (गाजा जंग पर निंदा के कारण) बिक्री बढ़ी.

यूरोपीय देश क्यों खरीद रहे?

यूरोप इजरायल का सबसे बड़ा पार्टनर बन गया. जर्मनी, फ्रांस, इटली और ब्रिटेन जैसे देशों ने बड़े ऑर्डर दिए. उदाहरण के लिए...

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  • जर्मनी: आयरन डोम जैसे सिस्टम के लिए अरबों डॉलर खर्च.
  • पोलैंड: ड्रोन और मिसाइल सिस्टम.
  • रोमानिया: रडार और एयर डिफेंस.

यूरोपीय संघ (ईयू) ने गाजा पर सख्त बातें कीं, लेकिन व्यापार जारी रहा. ईयू इजरायल का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है, जिसने 2024 में 45.5 अरब डॉलर का व्यापार किया. हथियारों पर दबाव है, लेकिन अभी कोई बड़ा प्रतिबंध नहीं. कुछ देशों ने कहा कि अगर गाजा जंग न रुकी, तो ट्रेड बेनिफिट्स काट देंगे.

इजरायल के लिए फायदे और चुनौतियां

यह बिक्री इजरायल की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. रक्षा उद्योग 7% जीडीपी देता है. 50 हजार नौकरियां पैदा करता है. जंग के खर्च (करीब 60 अरब डॉलर) को पूरा करने में मदद मिलती है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय निंदा बढ़ रही है.

संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में 'नरसंहार' का आरोप लगाया. अमेरिका ने 18 अरब डॉलर की मदद दी, लेकिन यूरोप में बॉयकॉट मूवमेंट तेज हो रहा. नेतन्याहू सरकार ने कहा कि यह आत्मनिर्भरता का सबूत है. वे और निर्यात बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, खासकर एशिया और अफ्रीका में. 

दुनिया पर असर: शांति या हथियार दौड़?

यह खबर दिखाती है कि जंग के बीच भी पैसा कमाया जा सकता है. लेकिन गाजा में 40000 से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं. ईरान तनाव बढ़ रहा है. यूरोप के हथियार खरीदने से मिडिल ईस्ट में संतुलन बिगड़ सकता है. हथियार व्यापार को नियंत्रित करने के लिए वैश्विक नियम सख्त करने चाहिए. इजरायल की यह सफलता तकनीकी ताकत दिखाती है, लेकिन नैतिक सवाल भी खड़े करती है. क्या जंग के बीच हथियार बेचना सही है?

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