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क्या विमान के लैंडिंग गियर में इतनी जगह होती है कि कोई छुपकर आ जाए? सिक्योरिटी पर बड़ा सवाल

एक अफगान लड़का काबुल से दिल्ली आने वाली फ्लाइट के लैंडिंग गियर में छुपकर पहुंच गया. 2 घंटे की उड़ान में -50 डिग्री ठंड और कम ऑक्सीजन झेली, लेकिन जिंदा बच गया. दिल्ली एयरपोर्ट पर पकड़ा गया. सवाल ये है कि क्या लैंडिंग गियर में बैठकर आ सकते हैं?

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एयर फ्रांस के एक फ्लाइट का लैंडिंग गियर जो आम इंसान की हाइट से दोगुना ऊंचा होता है. (Photo: AFP)
एयर फ्रांस के एक फ्लाइट का लैंडिंग गियर जो आम इंसान की हाइट से दोगुना ऊंचा होता है. (Photo: AFP)

एक 13 साल का अफगान लड़का अपनी जिज्ञासा के चलते मौत के मुंह में कूद पड़ा. काबुल से दिल्ली आने वाली फ्लाइट के लैंडिंग गियर (प्लेन के पहिए वाले हिस्से) में छुपकर वह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच गया. दो घंटे की उड़ान में 36,000 फीट की ऊंचाई पर ठंड, ऑक्सीजन की कमी और तेज हवा का सामना किया, लेकिन जिंदा बच निकला. 

अफगानिस्तान में तालिबान के राज के बाद कई लोग बेहतर जिंदगी की तलाश में ऐसे जोखिम लेते हैं. लेकिन इस घटना ने हवाई यात्रा की सिक्योरिटी पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या कोई आतंकी या बम के साथ ऐसा कर सकता है? 

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लैंडिंग गियर में छुपना कैसे संभव है?

प्लेन के लैंडिंग गियर प्लेन को जमीन पर उतारने-उड़ाने के लिए बने होते हैं. टेकऑफ से पहले जब पहिए नीचे होते हैं, तो उनके आसपास थोड़ी जगह होती है. एक पतला-लंबा इंसान (जैसे बच्चा) वहां चढ़कर छुप सकता है.  

landing gear aircraft stowaway

लेकिन जैसे ही प्लेन उड़ता है, पहिए ऊपर खिंच जाते हैं. तब जगह बहुत तंग हो जाती है - सिर्फ कुछ फीट की चौड़ाई. बड़े प्लेन जैसे बोइंग 737 में भी मुश्किल से जगह मिलती है. लड़का ऊपर के हिस्से में चिपक गया था, जहां थोड़ी ज्यादा जगह थी. लेकिन ज्यादातर केस में लोग गिर जाते हैं या कुचल जाते हैं.

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कितना बड़ा खतरा है इसकी?

यह मौत का खेल है. ऊंचाई पर तापमान -50 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. ऑक्सीजन कम हो जाती है, जिससे बेहोशी आ सकती है. तेज हवा और इंजन की आवाज से कान बहरे हो सकते हैं. लैंडिंग पर पहिए नीचे आते वक्त कुचलने का डर. 1947 से 2015 तक 113 ऐसे केस हुए, जिनमें ज्यादातर मौतें हुईं. यह लड़का खुशकिस्मत था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि वह ठीक है. पायलट को भी हैरानी हुई. 

landing gear aircraft stowaway

सिक्योरिटी रिस्क: आतंकी या बम का खतरा?

अगर एक बच्चा एयरपोर्ट के आसपास घूमकर ऐसा कर सकता है, तो आतंकी क्यों नहीं कर सकते? काबुल जैसे जगहों पर सिक्योरिटी कमजोर है. कोई बम बांधकर या हथियार छुपाकर प्लेन पर चढ़ सकता है. हाल ही में अमेरिका में दो स्टोअवे (छुपने वाले) मृत पाए गए, जिससे एविएशन सिक्योरिटी पर सवाल उठे. 

भारत में दिल्ली एयरपोर्ट ने लड़के को पकड़ लिया और अफगानिस्तान भेज दिया. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं एयरपोर्ट की बाउंड्री पर कैमरा, गार्ड और चेक बढ़ाने की जरूरत है. स्टोअवे न सिर्फ खुद को मारते हैं, बल्कि प्लेन को भी खतरे में डालते हैं. 

landing gear aircraft stowaway

क्या होगा आगे?

यह घटना सबक है. आईसीएओ (अंतरराष्ट्रीय सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन) ने पहले ही चेतावनी दी है कि स्टोअवे केस बढ़ रहे हैं. अफगानिस्तान से आने वाली फ्लाइट्स पर अब ज्यादा निगरानी होगी. लड़के की कहानी जिज्ञासा की है, लेकिन यह दिखाती है कि हवाई सुरक्षा में कितनी कमजोरियां हैं. हमें मजबूत सिस्टम चाहिए, ताकि कोई अनचाहा मेहमान न आए.

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