आयरन डोम (Iron Dome) एक इजराइली मोबाइल ऑल-वेदर एयर डिफेंस सिस्टम है. इसे राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किया गया है. इस प्रणाली को रॉकेट और तोपखाने के गोले को रोकने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. आयरन डोम- यह कम दूरी से दागे गए रॉकेट या मिसाइलों को रोक सकता है. आयरन डोम चार किलोमीटर से लेकर 70 किलोमीटर की दूरी से दागे गए रॉकेट या मिसाइलों को रोक सकता है. ये मिसाइलों को काफी अच्छे से ट्रैक कर लेता है.
2024 में इजरायल के खिलाफ ईरानी हमलों के दौरान, आयरन डोम को तैनात किया गया था.
2011 से 2021 तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने आयरन डोम रक्षा प्रणाली में कुल 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया, जिसमें 2022 में अमेरिकी कांग्रेस ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मंजूरी दी थी.
गाजा और ईरान से जंग लड़ते हुए इजरायल ने 2024 में 14.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे. यूरोपीय देशों ने 54% खरीदे, खासकर एयर डिफेंस सिस्टम. रूस-यूक्रेन युद्ध ने डिमांड बढ़ाई. यह रिकॉर्ड बिक्री इजरायल की अर्थव्यवस्था मजबूत करती है. निर्यात 13% बढ़ा है.
इजरायल का 'आयरन बीम' लेजर सिस्टम तैयार हो गया है. यह ड्रोन, रॉकेट और तोप के गोले नष्ट कर सकता है. कई सालों की मेहनत के बाद, इसे 2025 के अंत तक इजरायल डिफेंस फोर्सेस को मिलेगा. यह सस्ता और प्रभावी है, जो आयरन डोम को सपोर्ट करेगा. इससे इजरायल की हवाई रक्षा और मजबूत होगी.
रूस के सीनियर डिप्लोमैट रोमन बाबुश्किन ने भारत के नए डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र में सहयोग का वादा किया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हिंदी में करते हुए कहा – "श्री गणेश करेंगे”. बाबुश्किन ने अमेरिका के दबाव को गलत बताते हुए भारत-रूस ऊर्जा सहयोग पर भरोसा जताया और कहा कि यह प्रोजेक्ट भारत की सुरक्षा क्षमताओं को नई दिशा देगा.
पीएम मोदी का 'सुदर्शन चक्र' रक्षा कवच भारत की सुरक्षा के लिए तैयार हो रहा है. यह AI और स्पेस तकनीक से लैस मिसाइल रक्षा प्रणाली है, जो 2026 तक चालू होगी. ट्रंप के 'गोल्डन डोम' और इजरायल के आयरन डोम से प्रेरित है. यह भारत को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाएगा. हिटबैक भी करेगा.
इजरायल-ईरान युद्ध ने इजरायल को अपनी ताकत और कमजोरियों दोनों का आकलन करने का मौका दिया. आयरन डोम की सीमाएं, नागरिक सुरक्षा की कमी, जासूसी की ताकत, क्षेत्रीय सहयोग की जरूरत और आर्थिक-सामाजिक प्रभाव इस युद्ध के प्रमुख सबक हैं. इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन अपनी कमजोरियों को भी देखा.
अमेरिकी मीडिया ने इजराइल के आयरन डोम सिस्टम पर बड़ा दावा किया है. कहा जा रहा है कि आयरन डोम की क्षमता 90 फीसदी से घटकर 65 फीसदी तक आ चुकी है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यह अत्याधुनिक बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों से निपटने के लिए तैयार नहीं है. ईरान के ताबड़तोड़ ड्रोन और मिसाइल हमलों के आगे आयरन डोम कमजोर पड़ता दिख रहा है.
ईरान की नई रणनीति- पहले सामान्य मिसाइलों से आयरन डोम को भ्रमित करना. फिर हाइपरसोनिक मिसाइलों से घातक हमला- इजराइल के लिए बड़ी चुनौती बन गई है. इस रणनीति ने आयरन डोम की सीमाओं को उजागर किया है, लेकिन ईरान की अपनी कमजोरियां भी इसे लंबे समय तक सफल होने से रोक सकती हैं.
ट्रंप ने अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को सीधे आदेश दिए हैं कि वह जल्द से जल्द देश में आयरन डोम सिस्टम के निर्माण का काम शुरू करवाएं. आयरन डोम सिस्टम का निर्माण ट्रंप के चुनावी वादों में से एक था. उन्होंने पिछले साल मिल्वॉकी में रिपब्लिकन पार्टी के कन्वेंशन में कहा था कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो देश की सुरक्षा के लिए इजरायल की तर्ज पर आयरन डोम का निर्माण करवाएंगे.
पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट राइडर ने घोषणा की है कि अमेरिकी THAAD एयर डिफेंस सिस्टम को इजरायल में तैनात किया जाएगा. इससे ईरान की तरफ से आने वाली मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है. यानी इजरायल अब अपने एयर डिफेंस सिस्टम के साथ अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम का भी इस्तेमाल करेगा.
ईरान ने इस साल के शुरूआती महीनों में एक नई मिसाइल का प्रचार किया था. अब इसी मिसाइल से तेल अवीव पर हमला भी किया गया. इस मिसाइल को इजरायल का एयर डिफेंस सिस्टम भी नहीं रोक पाया. ये कोई आम बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइल नहीं है, ये हाइपरसोनिक मिसाइल हैं.