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ऑपरेशन सिंदूर के समय PAK को कैसे मदद कर रहा था चीन... कितने सैटेलाइट थे तैनात?

ऑपरेशन सिंदूर ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को उजागर किया. साथ ही चीन की भूमिका को भी सामने लेकर आया. भारत के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को रियल-टाइम खुफिया जानकारी, उन्नत हथियार और रणनीतिक सहायता दी, जिसे पाकिस्तान ने खारिज कर दिया. जबकि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ 27 जून 2025 को एक इंटरव्यू में चीन के मदद की बात स्वीकार की थी.

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चीन ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सरकार की कई तरह से मदद की थी. (फाइल फोटोः एपी/गेटी)
चीन ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सरकार की कई तरह से मदद की थी. (फाइल फोटोः एपी/गेटी)

ऑपरेशन सिंदूर (7-10 मई 2025) भारत और पाकिस्तान के बीच एक चार दिवसीय सैन्य संघर्ष था, जो भारत द्वारा 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था. इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिसके लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) जिम्मेदार थे. 

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हमले किए. इस दौरान भारत ने दावा किया कि चीन ने पाकिस्तान को खुफिया जानकारी, सैन्य उपकरण और रणनीतिक सहायता दी. हालांकि, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इन दावों को निराधार बताकर खारिज कर दिया.

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 ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर भारत का जवाबी हमला था, जो पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के बाद शुरू हुआ.  भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का हिस्सा बताया. 7 मई 2025 को भारत ने 9 ठिकानों पर मिसाइल और हवाई हमले किए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी ठिकाने शामिल थे. इन हमलों में भारतीय वायुसेना ने राफेल जेट, ब्रह्मोस मिसाइल और स्काल्प क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया. भारत ने केवल आतंकी ढांचे को निशाना बनाया, न कि पाकिस्तानी सेना या नागरिक सुविधाओं को.

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पाकिस्तान ने जवाबी हमले किए, जिसमें उसने चीन निर्मित J-10C और JF-17 फाइटर जेट, PL-15 मिसाइल, और तुर्की के सोंगर ड्रोन का इस्तेमाल किया. भारत ने कहा कि पाकिस्तान के 6 फाइटर जेट, 2 निगरानी विमान और कई ड्रोन नष्ट किए. इस संघर्ष में भारत ने अपनी स्वदेशी रक्षा प्रणालियों, जैसे S-400 और आकाश का सफलतापूर्वक उपयोग किया. 

भारत का दावा: चीन ने दी थी पाकिस्तान को मदद

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की भूमिका पर सवाल उठाए. भारतीय सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने FICCI के एक सेमिनार में बताया कि चीन ने पाकिस्तान को कई तरीकों से सहायता दी...

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खुफिया जानकारी और निगरानी (ISR)

रियल-टाइम डेटा: चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सैन्य गतिविधियों की रियल-टाइम जानकारी दी. इसमें भारतीय सैन्य टुकड़ियों की तैनाती और मिसाइल पथों की निगरानी शामिल थी.

सैटेलाइट समर्थन: चीन ने 5 सैटेलाइट्स को विशेष रूप से भारतीय सैन्य ठिकानों की निगरानी के लिए तैनात किया. इन सैटेलाइट्स ने भारतीय वायुसेना और सैन्य गतिविधियों की तस्वीरें और रडार डेटा प्रदान किया.

केजे-500 AEW&C विमान: पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन से केजे-500 एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल विमान खरीदने की पुष्टि की. यह विमान 470 किमी तक की दूरी पर लड़ाकू विमानों का पता लगा सकता है और लाहौर के पास उड़ान भरकर दिल्ली तक की हवाई गतिविधियों की निगरानी कर सकता है. यह 12 घंटे तक 5,700 किमी की उड़ान भर सकता है.

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सैन्य हथियार और उपकरण

  • J-10C और JF-17 फाइटर जेट: पाकिस्तान ने ऑपरेशन में चीन निर्मित J-10C और JF-17 ब्लॉक III फाइटर जेट का इस्तेमाल किया, जो PL-15 बियॉन्ड-विजुअल-रेंज मिसाइल से लैस थे. 
  • HQ-9 और LY-80 वायु रक्षा प्रणाली: पाकिस्तान ने चीन निर्मित HQ-9P और LY-80 वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग किया, जो भारतीय हमलों को रोकने की कोशिश में नाकाम रहीं.
  • CH-4 और विंग लूंग ड्रोन: ये चीनी ड्रोन निगरानी और सटीक हमलों के लिए इस्तेमाल किए गए, लेकिन भारत के S-400 सिस्टम ने इन्हें नाकाम कर दिया.
  • CM-401 हाइपरसोनिक मिसाइल: इन मिसाइलों का उपयोग भारतीय सैन्य ठिकानों, जैसे पठानकोट और गुरदासपुर पर हमले के लिए किया गया, लेकिन भारतीय रक्षा प्रणालियों ने इन्हें रोक लिया.

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रणनीतिक मदद और सलाह 

चीन ने पाकिस्तान को युद्धक्षेत्र में रणनीतिक सलाह दी और जमीनी और हवाई सैन्य अभियानों में समन्वय किया.

शाहीन सीरीज सैन्य अभ्यास: चीन और पाकिस्तान के बीच नियमित सैन्य अभ्यासों ने उनकी सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाया, जिसका असर ऑपरेशन सिंदूर में दिखा.

साइबर और सूचना युद्ध: चीनी ब्लॉगर्स और "वुमाओ" (5 सेंट) सैनिकों ने पाकिस्तान के साथ मिलकर सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाया, जिसमें भारतीय नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया.

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नौसैनिक निगरानी: चीन ने भारतीय नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हिंद महासागर में 200 से अधिक "मछली पकड़ने वाली नावें" तैनात कीं, जो वास्तव में निगरानी का काम कर रही थीं.

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अन्य सहायता

तुर्की के साथ गठजोड़: भारत ने दावा किया कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को सोंगर ड्रोन प्रदान किए, जो चीन के समर्थन में शामिल थे.

उन्नत हथियारों की आपूर्ति: चीन ने पाकिस्तान को 20 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के हथियार दिए, जिसमें विंग लूंग ड्रोन, फ्रिगेट्स, पनडुब्बियां और ZDK अर्ली वॉर्निंग विमान शामिल थे.

पाकिस्तान का इनकार

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 7 जुलाई 2025 को एक प्रेस ब्रीफिंग में भारत के दावों को "निराधार" बताया. कहा कि पाकिस्तान की खुफिया और निगरानी क्षमताएं पूरी तरह स्वतंत्र हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की रक्षा क्षमता मजबूत और स्वतंत्र है. हमें अपनी ISR गतिविधियों के लिए किसी बाहरी शक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ता. आसिफ ने भारत पर अपनी रणनीतिक कमियों से ध्यान हटाने का आरोप लगाया.

आसिफ ने पहले 27 जून 2025 को Arab News को दिए एक साक्षात्कार में स्वीकार किया था कि चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सैन्य गतिविधियों की खुफिया जानकारी साझा की थी. उन्होंने इसे "सामान्य" बताते हुए कहा कि मित्र देश अक्सर सैटेलाइट और अन्य साधनों से खुफिया जानकारी साझा करते हैं, खासकर जब चीन का भी भारत के साथ सीमा विवाद है.

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चीन ने PAK को बना दिया लाइव लैब

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) और संयुक्त सैन्य अभ्यासों जैसे शाहीन सीरीज के कारण दोनों देशों के बीच गहरा सामरिक गठजोड़ है. भारत का कहना है कि चीन ने पाकिस्तान को एक "लाइव लैब" के रूप में इस्तेमाल किया ताकि उसके हथियारों का भारत की पश्चिमी प्रणालियों के खिलाफ युद्ध में परीक्षण हो सके.

लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा कि चीन की रियल-टाइम खुफिया सहायता और तुर्की के ड्रोन ने भारत के सामने "एक सीमा, तीन दुश्मनों" की स्थिति पैदा कर दी. उन्होंने भारत की रक्षा प्रणालियों को और मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया. चीन ने भारत के दावों पर आधिकारिक जवाब नहीं दिया, लेकिन चीनी विदेश मंत्रालय ने पहले इस तरह के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि ये चीन के क्षेत्रीय साझेदारों को बदनाम करने की कोशिश हैं. 

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