यूक्रेन को हराने के लिए रूस ने निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है. रूस ने बीती रात यूक्रेन के कई शहरों पर एक साथ ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया. यूक्रेन का कहना है कि रूसी सेना ने बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों से हमला किया है, जिस वजह से राजधानी कीव में ब्लैकआउट करना पड़ा. कहा जा रहा है कि पुतिन के इस फैसले ने ट्रंप को एक बड़ा फैसला लेने पर मजबूर कर दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रक्षा मंत्रालय को परमाणु हथियारों की तुरंत टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है. 1992 के बाद पहली बार अमेरिका परमाणु परीक्षण करेगा. यह फैसला मुख्य रूप से रूस और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों की परमाणु परीक्षण गतिविधियों के जवाब में लिया गया है, जहां ट्रंप ने कहा कि अमेरिका को इन देशों के साथ बराबरी के आधार पर परीक्षण करने होंगे.
रूस ने हाल ही में पोजाइडन नाम की न्यूक्लियर-पावर्ड सुपर टॉरपीडो का सफल परीक्षण किया था जबकि चीन अपनी परमाणु शस्त्रागार को तेजी से बढ़ा रहा है. पेंटागॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक उसके पास 1,000 से अधिक परमाणु हथियार हो सकते हैं. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए चेतावनी दी कि चीन पांच सालों में अमेरिका और रूस के बराबर पहुंच सकता है, इसलिए अमेरिका को अपने हथियारों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण फिर से शुरू करना पड़ेगा. यह घोषणा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ व्यापार वार्ता से ठीक पहले की गई, जो अमेरिका की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा लगती है.
बता दें कि अमेरिका ने आखिरी बार 33 साल पहले परमाणु परीक्षण किया था और भविष्य में ऐसे सभी परीक्षणों पर रोक लगाने की घोषणा की थी. अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को परमाणु परीक्षण किया था.
साल 1992 में परमाणु परीक्षण करने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने की घोषणा की थी. वहीं, रूस और चीन ने भी 1990 के दशक के बाद से ऐसे परीक्षण रोक दिए थे.
लेकिन ट्रंप ने अब यह फैसला क्यों लिया?
कहा जा रहा है कि रूस ने हाल ही में दो परमाणु मिसाइल टेस्ट किए हैं. यह पूर्ण परमाणु हथियार परीक्षण से अलग है. इसमें किसी मिसाइल सिस्टम का टेस्ट होता है. इसमें असल में कोई परमाणु विस्फोट नहीं किया जाता है.
ट्रंप के इस आदेश से पेंटागन अब परमाणु हथियारों के परीक्षण की तैयारी शुरू करेगा. अमेरिका के पास पहले से परमाणु परीक्षण की साइट्स मौजूद हैं. परमाणु हथियार का परीक्षण करने में करीब 24 से 36 महीने लगेंगे. एटम बम का टेस्ट या फिर बिना विस्फोटक के परीक्षण संभव है. मतलब साफ है ट्रंप के आदेश के बाद एक बार फिर परमाणु हथियारों की रेस शुरू होना तय है. हालांकि ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका का परमाणु प्रोजेक्ट बहुत संतुलित है.
वहीं, डिफेंस एक्सपर्ट मानते है कि पुतिन के नए हथियारों के परीक्षण के दवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने एटमी हथियारों के परीक्षण का आदेश दिया है क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बीच रूस का विनाशकारी हथियारों का परीक्षण करना अमेरिका की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है.
हालांकि, ट्रंप के आदेश के बाद रूस का बड़ा बयान आया है. रूस ने बयान में कहा है कि रूस ने फुल न्यूक्लियर वेपन का परीक्षण नहीं किया है यानी एटमी हथियार का टेस्ट नहीं किया है.
दरअसल 1996 में हुए कॉम्प्रीिहेंसिव न्यूक्लियर टेस्ट बैन ट्रीटी (CTBT) के तहत भूमिगत परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा दी गई थी. चीन और अमेरिका दोनों ने इस संधि पर हस्ताक्षर तो किए लेकिन अभी तक इसे औपचारिक रूप से मंजूरी नहीं दी.