पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल के दिनों में अफगानिस्तान और भारत को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर अफगानिस्तान के साथ शांति वार्ता विफल हो गई, तो पाकिस्तान 'खुला युद्ध' लड़ने को तैयार है. आसिफ ने तालिबान पर भारत का एजेंट होने का आरोप लगाया. दावा किया कि भारत पाकिस्तान को पूर्वी मोर्चे (भारत के साथ) और पश्चिमी मोर्चे (अफगानिस्तान के साथ) पर व्यस्त रखना चाहता है.
लेकिन अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान के पास वाकई 'ढाई मोर्चों' पर युद्ध लड़ने की क्षमता है? यहां 'ढाई' का मतलब है दो पूरे मोर्चे (भारत और अफगानिस्तान) प्लस आंतरिक विद्रोह, खासकर बलूचिस्तान में.
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सब कुछ अक्टूबर 2025 से तेज हुआ. 9 अक्टूबर को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका इलाकों में हवाई हमले किए. इनका निशाना पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) के ठिकाने थे. टीटीपी पाकिस्तान के खिलाफ लड़ने वाला समूह है, जो अफगानिस्तान में छिपा रहता है.

तालिबान ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और कहा कि पाकिस्तान ने सीमा पार करके आक्रमण किया. इसके बाद दोनों देशों की सीमाओं पर एक हफ्ते तक गोलीबारी चली. खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान की सीमाओं पर सैनिकों के बीच भारी झड़पें हुईं.
कतर और तुर्की की मदद से दोहा और इस्तांबुल में बातचीत शुरू हुई. 18-19 अक्टूबर को पहली बार युद्धविराम पर सहमति बनी. फिर 28 अक्टूबर को इस्तांबुल में दूसरी बैठक हुई, जहां तीन समझौते हुए: युद्धविराम जारी रखना, निगरानी तंत्र बनाना और उल्लंघन पर सजा देना. लेकिन बातचीत अब रुकी हुई है.
तालिबान कहता है कि पाकिस्तान आतंकियों को सौंपने से मना कर रहा है. पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में उसके दुश्मन छिपे हैं, उन्हें पकड़ना चाहिए. रक्षा मंत्री आसिफ ने 25 अक्टूबर को चेतावनी दी कि अगर ये वार्ता फेल हो गईं, तो 'खुला युद्ध' होगा.
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आसिफ ने 28 अक्टूबर को एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि भारत ने अफगान तालिबान के नेतृत्व में घुसपैठ कर दी है. काबुल में तार खींचने वाले दिल्ली के इशारे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने तालिबान को 'भारत की गोद में बैठा' बताया.
आसिफ का आरोप है कि भारत अफगानिस्तान का इस्तेमाल करके पाकिस्तान से 'प्रॉक्सी वॉर'लड़ना चाहता है. मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों का संघर्ष हुआ था. आसिफ कहते हैं कि भारत उसकी हार का बदला लेना चाहता है.

1 नवंबर को जियो न्यूज को दिए इंटरव्यू में आसिफ ने कहा कि भारत हमें पूर्वी मोर्चे पर व्यस्त रखना चाहता है, जबकि पश्चिमी मोर्चे पर अफगानिस्तान का खतरा है. हमारे पास सबूत हैं कि भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने मांग की कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद पूरी तरह बंद हो.
आसिफ ने दावा किया कि पाकिस्तान दो मोर्चों पर युद्ध के लिए तैयार है. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि ये धमकियां खाली हैं, क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कमजोर है. सेना का दो जगहों पर फैलना मुश्किल. 17 अक्टूबर को आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान 'दो मोर्चों के युद्ध' के लिए रणनीति तैयार रखता है.
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भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने 16 अक्टूबर को कहा कि पाकिस्तान हमेशा अपनी आंतरिक असफलताओं के लिए पड़ोसियों को दोष देता है. भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करता है. हाल ही में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत आए थे.
भारत ने अफगानिस्तान को भूकंप राहत के तौर पर 15 टन भोजन भेजा और काबुल में अपना दूतावास फिर खोला. पाकिस्तान को डर है कि भारत और तालिबान के बीच 'सुविधाजनक गठबंधन' हो रहा है.

अब बात 'ढाई मोर्चों' की. दो पूरे मोर्चे हैं - पूर्वी पर भारत और पश्चिमी पर अफगानिस्तान. लेकिन 'आधा' मोर्चा है बलूचिस्तान का विद्रोह. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन वहां लंबे समय से अलगाववादी विद्रोह चल रहा है. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे समूह पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ते हैं.
वे कहते हैं कि प्रांत के संसाधनों (गैस, तेल) का फायदा सिर्फ पंजाब को मिलता है, बलूचों को कुछ नहीं. 2025 में बलूचिस्तान में हमले तेज हो गए. मार्च 2025 में विद्रोहियों ने सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जिसमें दर्जनों सैनिक मारे गए. अगस्त में बीएलए ने क्वेटा में बम धमाका किया, जिसमें 20 से ज्यादा लोग मारे गए.
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पाकिस्तान की सेना वहां भारी तैनाती कर रही है, लेकिन विद्रोही छिपकर हमले करते रहते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि बलूचिस्तान का विद्रोह 'आंतरिक मोर्चा' है, जो सेना को कमजोर करता है. अगर भारत और अफगानिस्तान से खतरा बढ़ा, तो बलूचिस्तान संभालना और मुश्किल हो जाएगा.
एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि पाकिस्तान चार मोर्चों (भारत, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान विद्रोह, समुद्री खतरा) पर फंस सकता है. बलूचिस्तान की अस्थिरता पाकिस्तान की 'रणनीतिक गहराई' को कमजोर कर रही है.
ढाई मोर्चों का मतलब है एक साथ भारत, अफगानिस्तान और बलूचिस्तान से जूझना. पाकिस्तान की सीमा 2600 किलोमीटर अफगानिस्तान से और 3300 किलोमीटर भारत से लगती है. बलूचिस्तान में 1000 किलोमीटर से ज्यादा आंतरिक इलाके. पूर्वी मोर्चे पर कश्मीर विवाद है, जहां मई 2025 में पहलगाम हमला हुआ (26 लोग मारे गए).

पश्चिमी मोर्चे पर टीटीपी और बलूच अलगाववादी सक्रिय हैं. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने 18 अक्टूबर को कहा कि अगर कोई हमला करेगा, तो परिणाम विनाशकारी होंगे. हम अपेक्षा से ज्यादा जवाब देंगे.
पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, जो बड़ा हथियार है. लेकिन पारंपरिक सेना (टैंक, हवाई जहाज, सैनिक) के मामले में भारत से पीछे है.
2025 में पाकिस्तान ने मिसाइल निगरानी के लिए नई इकाई बनाई, लेकिन अर्थव्यवस्था संकट में है - महंगाई 25% से ऊपर, बेरोजगारी बढ़ रही. विशेषज्ञ कहते हैं कि ढाई मोर्चों पर लड़ाई पाकिस्तान के लिए 'बुरा सपना' होगा. सेना पहले से बलूचिस्तान और खैबर में व्यस्त है.
अगर भारत सीमा पर दबाव डालेगा, तो अफगानिस्तान और बलूचिस्तान संभालना नामुमकिन है. पाकिस्तान की सेना दो मोर्चों पर भी मुश्किल से टिक पाएगी, बलूचिस्तान इसे और जटिल बनाता है. अक्टूबर 2025 में आसिफ ने कहा था कि हम दो मोर्चों के लिए तैयार हैं.
विश्लेषक कहते हैं कि पाकिस्तान की पुरानी नीति अब उलटी पड़ रही. बलूचिस्तान में विद्रोह बढ़ रहा. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 27 अक्टूबर को कहा कि कोई आक्रमण होगा तो कड़ा जवाब मिलेगा.
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अभी इस्तांबुल में तीसरी बैठक होनी है. दोनों पक्षों को आतंकवाद रोकने के लिए निगरानी तंत्र बनाना है. लेकिन अगर बातचीत टूटी, तो तनाव और बढ़ सकता है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने कहा कि भारत मछुआरों को पकड़कर जासूसी के लिए इस्तेमाल कर रहा.
भारत-पाकिस्तान के बीच अरब सागर में नौसेनाएं तैनात हैं और अभ्यास चल रहे. विशेषज्ञ मानते हैं कि ये धमकियां घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी, बलूचिस्तान विद्रोह और राजनीतिक अस्थिरता बड़ी चुनौतियां हैं. ढाई मोर्चों का युद्ध किसी के हित में नहीं.