भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय उस समय समाप्त हुआ जब वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 25 सितंबर 2025 को मिग-21 विमान में अपनी अंतिम उड़ान भरी. 26 सितंबर 2025 को यह जेट रिटायर हो जाएगा. मिग-21 जिसे भारतीय वायुसेना में छह दशकों तक फ्लाइंग कॉफिन जैसे नामों से जाना गया.
इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख ने नंबर 23 स्क्वॉड्रन पैंथर्स का दौरा किया, जो मिग-21 को संचालित करने वाला आखिरी स्क्वॉड्रन है. इस दौरान उन्होंने स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया के साथ एक फॉर्मेशन उड़ान में हिस्सा लिया, जो परंपरा और आधुनिकीकरण का एक सुंदर संगम था.
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मिग-21: भारतीय वायुसेना का गौरव
मिग-21, जिसे तकनीकी रूप से मिकोयान-गुरेविच मिग-21 के नाम से जाना जाता है, 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. सोवियत संघ में निर्मित यह सुपरसोनिक फाइटर जेट उस समय की सबसे उन्नत तकनीकों में से एक था. इसने अपनी तेज गति, हल्के डिज़ाइन और शानदार युद्ध क्षमता के कारण भारतीय वायुसेना में अपनी खास जगह बनाई.
मिग-21 ने 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध जैसे कई युद्धों में अहम भूमिका निभाई. 1971 के भारत-पाक युद्ध में इसने दुश्मन के विमानों को आसमान में चुनौती दी. भारतीय वायुसेना को कई जीत दिलाई.
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मिग-21 को अपनी सेवा के दौरान कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा. इसकी उम्र और बार-बार होने वाली तकनीकी खराबियों के कारण इसे फ्लाइंग कॉफिन कहा जाने लगा. फिर भी, इस विमान ने अपने पायलटों के साहस और वायुसेना की तकनीकी विशेषज्ञता के दम पर हर बार अपने आलोचकों को गलत साबित किया. मिग-21 ने न केवल युद्ध के मैदान में, बल्कि प्रशिक्षण और रणनीति विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया.

वायुसेना प्रमुख की उड़ान: परंपरा और बदलाव का प्रतीक
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने बीकानेर में मिग-21 की अंतिम उड़ान में हिस्सा लेकर इस विमान को सम्मानजनक विदाई दी. उनकी इस उड़ान में स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया का नेतृत्व विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा. स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया ने इस उड़ान का नेतृत्व किया, जो न केवल वायुसेना की गौरवशाली परंपराओं को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और आधुनिक युग में वायुसेना के बदलते चेहरे को भी प्रदर्शित करता है. यह उड़ान इस बात का प्रतीक थी कि भारतीय वायुसेना अपनी पुरानी परंपराओं को संजोते हुए नई तकनीकों और समावेशी दृष्टिकोण की ओर बढ़ रही है.
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वायुसेना प्रमुख ने इस अवसर पर मिग-21 के योगदान को याद किया और कहा कि मिग-21 भारतीय वायुसेना का रीढ़ रहा है. इसने हमें न केवल युद्ध में जीत दिलाई, बल्कि हमारे पायलटों को साहस और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया. आज हम इसे विदाई दे रहे हैं, लेकिन इसका योगदान हमेशा हमारे दिलों में रहेगा.

मिग-21 की विदाई: एक युग का अंत
26 सितंबर 2025 को मिग-21 को भारतीय वायुसेना की परिचालन भूमिका से औपचारिक रूप से रिटायर किया जाएगा. यह विदाई समारोह न केवल एक विमान के रिटायरमेंट का प्रतीक था, बल्कि भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी था.
मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस, राफेल और अन्य आधुनिक विमानों ने ले ली है. ये नए विमान न केवल तकनीकी रूप से उन्नत हैं, बल्कि भारतीय वायुसेना को वैश्विक स्तर पर और अधिक मजबूत बनाने में सक्षम हैं.
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मिग-21 की विदाई के साथ ही भारतीय वायुसेना ने एक बार फिर अपने आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया. वायुसेना अब ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य उन्नत तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके.

मिग-21 की विरासत
मिग-21 की कहानी केवल एक विमान की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारतीय वायुसेना के साहस, समर्पण और नवाचार की कहानी है. इसने न केवल युद्ध के मैदान में अपनी ताकत दिखाई, बल्कि हजारों पायलटों को प्रशिक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसकी विदाई के साथ ही भारतीय वायुसेना ने एक युग को अलविदा कहा, लेकिन इसकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी.
स्क्वॉड्रन लीडर प्रिया जैसे युवा और साहसी पायलटों के नेतृत्व में वायुसेना का भविष्य उज्ज्वल है. मिग-21 ने जो नींव रखी, उस पर अब नए और आधुनिक विमान भारतीय वायुसेना को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे. इस ऐतिहासिक क्षण में भारतीय वायुसेना और देशवासियों ने मिग-21 को सलाम किया. इसके गौरवशाली इतिहास को याद किया.