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पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शैलेश कड़ाथिया का अंतिम संस्कार, बेटे ने सुनाई दर्दनाक आपबीती

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में गुजरात के सूरत में रहने वाले शैलेश भाई कड़ाथिया की मौत हुई थी. बुधवार की देर रात को शैलेश भाई का पार्थिव शरीर सूरत पहुंचा. जहां उनके पार्थिव शरीर को उनके बेटे नक्श ने मुखाग्नि दी थी.

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नक्श ने अपने पिता शैलेश कड़ाथिया को मुखाग्नि दी
नक्श ने अपने पिता शैलेश कड़ाथिया को मुखाग्नि दी

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए सूरत निवासी शैलेश भाई कड़ाथिया के पार्थिव शरीर को उनके बेटे नक्श ने गुरुवार की सुबह सूरत के कठोर गांव में स्थित श्मशान घाट में मुखाग्नि दी थी. पिता को मुखाग्नि देने के बाद मृतक के बेटा नक्श ने आतंकी हमले की आंखों देखी आपबीती मीडिया के सामने बयान की.

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में गुजरात के सूरत में रहने वाले शैलेश भाई कड़ाथिया की मौत हुई थी. बुधवार की देर रात को शैलेश भाई का पार्थिव शरीर सूरत पहुंचा था और गुरुवार की सुबह अंतिम यात्रा के बाद शमशान पहुंचा. मृतक शैलेश भाई के पार्थिव शरीर को उनके बेटे नक्श ने मुखाग्नि दी थी. सूरत के कठोर गांव में आए शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया था.

पिता को मुखाग्नि देने के बाद आतंकी हमले के चश्मदीद नक्श ने कहा कि कश्मीर तो बहुत अच्छा है. हम पहलगाम गए थे. जहां घोड़े से जाना होता है. ऊपर घोड़े से गए थे और 10-15 मिनट में ही वहां पर आतंकवादी आ गए थे, तो हम भागकर छुप गए थे. फिर आतंकवादियों ने हमें ढूंढ लिया था. 

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नक्श के मुताबिक, उन्हें टोटल दो आतंकवादी दिखे थे. उन्होंने बोला मुसलमान अलग हो जाओ और हिंदू अलग हो जाओ. हिंदू वाले जेंट्स को गोली मार दी थी और बाद में वह अचानक से गायब हो गए थे. वहां से चले गए थे. तब सब बोले जो सब बचे हैं, वह सब नीचे भागो. तब सभी भाग गए थे. मम्मी दीदी ने मुझे घोड़े पर बैठा दिया था. मम्मी दीदी चल कर नीचे आईं थी और मैं घोड़े पर बैठ कर आया था.

नक्श ने कहा, 'मुझे लगा कि हम लोग गए. पर उन लोगों ने बचा लिया. मेरी मम्मी पापा को छोड़कर नहीं जा रही थी, लेकिन हम लोगों के लिए जाना पड़ा. आतंकवादी कलमा कलमा बोल रहे थे. मुसलमान को अपनी भाषा आ रही थी. तीन बार उन्होंने कलमा बोला. तीन बार मुसलमान बोला. जो हिंदू थे उन्हें शूट कर दिया.

नक्श ने आगे कहा, 'हमने दो आतंकवादी देखे थे. हम उस वक्त 20-30 लोग थे. वहां पर दो-तीन फीट की दूरी से बातचीत कर रहे थे. उस वक्त हमने भगवान को याद किया था. इतना बड़ा आतंकवादी हमला हुआ था और उन्हें कुछ पता नहीं था. नीचे पूरा आर्मी का बेस है. जिन्हें कुछ पता नहीं था. पहलगाम के ऊपर आर्मी रखो. भले दो-तीन ही रखो. अब दोबारा कश्मीर कभी नहीं जाऊंगा.'

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