कानून (Law) की किताब के कई ऐसे शब्द (Word) होते हैं, जिनके मायने (Meaning) वहां बदल जाते हैं या फिर उन्हें दूसरे अर्थ के साथ इस्तेमाल किया जाता है. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी IPC में ऐसे भी कई धाराएं है, जो आईपीसी में इस्तेमाल होने वाले शब्दों की व्याख्या अलग अंदाज में करती हैं. ऐसी ही है धारा 9. आइए जानते हैं क्या कहती है आईपीसी की यह धारा.
क्या होती है IPC की धारा 9 (Section 9)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) यानी आईपीसी (IPC) की धारा 9 (Section 9) के मुताबिक, जब तक कि संदर्भ से तत्प्रतिकूल प्रतीत न हो, एकवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत बहुवचन आता है, और बहुवचन द्योतक शब्दों के अन्तर्गत एकवचन आता है.
सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने आईपीसी की धारा 9 को समझाते हुए कहते हैं कि सेक्शन 9 में यह प्रोविजन है कि अगर को शब्द एकवचन रूप से प्रयोग किया गया है, और अगर कोई कॉन्टरेरी उसे अलग तरीके से नहीं कहा गया है तो वही एकवचन बहुवचन के लिए भी प्रयोग हो सकता है और प्रकार से बहुवचन एकवचन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
आम भाषा में इसे ऐसे समझा जाए कि अगर एक व्यक्ति की बात की जा रही है, तो वह कई व्यक्तियों के लिए हो सकती है. और जो कई व्यक्तियों के लिए बात की जा रही है, वो एक व्यक्ति के लिए हो सकती है.
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
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1862 में लागू हुई थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.