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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ट्रिपल तलाक के मामले में अग्रिम जमानत संभव, पहले पीड़िता को सुनना जरूरी

तीन जजों की बेंच का यह भी कहना है कि सास को ट्रिपल तालक का आरोपी नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि यह अधिनियम केवल उस पति पर लागू होता है जिसने तलाक दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को अग्रिम जमानत देने से पहले पीड़िता की सुनवाई जरूरी है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को अग्रिम जमानत देने से पहले पीड़िता की सुनवाई जरूरी है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीआरपीसी की धारा 438 पर SC का अहम फैसला
  • ट्रिपल तलाक के आरोपी को मिल सकती है अग्रिम जमानत
  • जमानत देने से पहले करनी होगी पीड़िता की सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अग्रिम जमानत के लिए सीआरपीसी की धारा 438 ट्रिपल तलाक अधिनियम के तहत वर्जित नहीं है. यह प्रक्रिया केवल ये बताती है कि ट्रिपल तलाक अधिनियम के तहत अग्रिम जमानत देने से पहले पीड़ित महिला को मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जाना चाहिए.

यह भी माना गया है कि अग्रिम जमानत याचिका की पेंडेंसी के दौरान अभियुक्त को अंतरिम राहत देने का फैसला पीड़ित महिला को नोटिस जारी करने के बाद अदालत को अपने विवेक से करना होगा.

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तीन जजों की बेंच का यह भी कहना है कि सास को ट्रिपल तालक का आरोपी नहीं बनाया जा सकता. क्योंकि यह अधिनियम केवल उस पति पर लागू होता है जिसने तलाक दिया है. यदि फैक्ट अनुमति देते हैं तो क्रूरता और घरेलू हिंसा अधिनियम से संबंधित अन्य अपराध उन पर लागू हो सकते हैं.

यह जजमेंट एक ऐसे मामले में दिया गया, जिसमें एक महिला ने पति और सास के खिलाफ घर से बाहर निकालने और उसे ट्रिपल तलाक देने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई थी.

 

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