Shardiya Navratri 2025: नवरात्र और दुर्गा पूजा, दो त्योहार एक माता! जानें क्या है अंतर

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र और दुर्गा पूजा, दोनों ही मां दुर्गा की आराधना के पावन पर्व हैं, लेकिन इन्हें मनाने के तौर-तरीके और भाव अलग-अलग होते हैं. एक ओर नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की साधना और आत्मशुद्धि का महत्व है, तो दूसरी ओर दुर्गा पूजा में महिषासुर पर मां की विजय का भव्य चित्रण किया जाता है.

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नवरात्र और दुर्गा पूजा में अंतर (Photo: Pexels) नवरात्र और दुर्गा पूजा में अंतर (Photo: Pexels)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:28 AM IST

Shardiya Navratri 2025: इस वर्ष की शारदीय नवरात्र की समाप्ति में अब सिर्फ 3 दिन बाकी रह गए हैं. इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू हुई थी और इसका समापन 1 अक्टूबर, बुधवार के दिन होगा. नवरात्र में मां दुर्गा के नवस्वरूपों में की पूजा का विधान बताया गया है. पूरे भारत में इस दौरान मां दुर्गा को अलग तरीके से पूजा जाता है जैसे उत्तर भारत में नवरात्र के रूप में और पूर्वी भारत के कई राज्यों में दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है. इन दोनों त्योहारों में रंग बिरंगे वस्त्र, भजन-कीर्तन और खूब सारे स्वादिष्ट भोजन का इंतजाम होता है, लेकिन इन त्योहारों को मनाने के रीति-रिवाज और अंदाज थोड़े अलग-अलग होते हैं. तो चलिए जानते हैं कैसे.

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क्या है नवरात्र और दुर्गा पूजा का महत्व?

नवरात्र शब्द का मतलब है '9 रातें'. इस त्योहार को 9 दिनों तक मनाया जाता है जिसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को पूजा जाता है. यह त्योहार खासकर गुजरात, महाराष्ट्र, और उत्तर भारत में बड़े जोर-शोर से मनाया जाता है. 

वहीं, दूसरी ओर दुर्गा पूजा का उत्सव 5 दिनों तक चलता है, जिसका विशेष दिन होता है दुर्गा अष्टमी. इस त्योहार को विशेष रूप से वेस्ट बंगाल, असम, ओडिशा बंगाली समुदायों में मनाया जाता है. इस त्योहार में देवी दुर्गा की महिषासुर नाम के राक्षस के ऊपर विजय की कहानी को दर्शाया जाता है यानी ये वो कहानी है जिसमें अच्छाई बुराई पर बड़ी जीत हासिल करती है. 

क्या है नवरात्र और दुर्गा पूजा को मनाने का तरीका?

नवरात्र के दौरान भक्त मां दुर्गा की कृपा दृष्टि के लिए 9 दिनों तक व्रत रखते हैं. जिसमें सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है और तामसिक भोजन खाना वर्जित माना जाता है. इन 9 दिनों में शारीरिक और मानसिक शुद्धिकरण पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है. 

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वहीं, दुर्गा पूजा को नवरात्र से एकदम अलग तरीके से मनाया जाता है. दुर्गा पूजा में बड़े पंडाल लगाए जाते हैं, जहां सब मिल-जुलकर खुशियां मनाते हैं, मिठाइयों का ताबड़तोड़ आयोजन होता है और रसगुल्ला, शोंदेश जैसी स्वादिष्ट चीजें हर तरफ बांटी जाती हैं. 

मां एक है, तो मनाने का नजरिया अलग क्यों?

जानकारों की मानें तो, नवरात्र और दुर्गा पूजा दोनों त्योहारों में दुर्गा मां की पूजा होती है, लेकिन कहानी को दर्शाने का अंदाज अलग अलग होता है. दरअसल, नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों- मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री, की पूजा होती है. हर एक माता को अपनी खास शक्ति के लिए इन 9 दिनों तक पूरे विधि-विधान के साथ पूजा जाता है.

वहीं, दुर्गा पूजा में मां दुर्गा का महिषासुर के साथ युद्ध और माता की राक्षस पर जीत को दिखाया जाता है. जो ये सिखाती है कि साहस, न्याय और सच्चाई हमेशा जीतती है.

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