ICU में आखिरी जन्मदिन मनाने वाली पीहू ने दुनिया से विदा लेते समय पति से कही ऐसी बात, अब याद कर रोते हैं सभी

पीहू ने मुस्कुराते-मुस्कुराते साथ जिंदगी को अलविदा कह दिया. भाई का आखिरी लम्हों तक भी ख्याल रखा और पति लक्ष्यराज से वादा निभाते हुए आखिरी सांस तक लड़ती रही. जाते-जाते भी चेहरे पर वही हिम्मत की झलक थी, जिसने परिवार को गहरी सीख दी. अब उसकी यादों में सिर्फ वो मुस्कान और जज्बा है, जो सबको जीना सिखा गया.

Advertisement
 ICU में आखिरी जन्मदिन मनाती पीहू.  (Photo: Naresh Kumar/ITG) ICU में आखिरी जन्मदिन मनाती पीहू. (Photo: Naresh Kumar/ITG)

नरेश सरनाऊ (बिश्नोई)

  • जालोर ,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST

कभी-कभी जिंदगी अपने सबसे कठिन मोड़ पर हमें जीने का असली सबक सिखा जाती है. जालोर की 27 साल की प्रियंका उर्फ पीहू की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. हड्डियों के कैंसर से जूझते हुए भी उसने मुस्कान को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया और मौत को सामने देख कर भी जीना नहीं छोड़ा. अस्पताल के ICU में जब सबकी आंखें नम थीं, तब पीहू ने पिता से कहा- पापा, एक केक ले आइए… मैं अपने आखिरी पलों को यादगार बनाना चाहती हूं.

Advertisement

उसकी यह ख्वाहिश पूरी हुई. 25 अगस्त की शाम ICU का माहौल बदल गया. जहां सामान्यत: खामोशी और गंभीरता छाई रहती है, वहां उस दिन मुस्कुराहट गूंज रही थी. पति, भाई, पिता, ससुराल वाले और अस्पताल का स्टाफ सबकी आंखें आंसुओं से भरी थीं, लेकिन पीहू सबको हंसाने पर अड़ी रही. केक पर लिखा था – पीहू-लकी. उसने मुस्कुराकर सभी को केक खिलाया और बोली – मैं रोते हुए नहीं, हंसते हुए विदा लेना चाहती हूं.

यह भी पढ़ें: 'मैं हंसते हुए विदा लेना चाहती हूं…' सुनकर रो पड़े थे पीहू के परिजन, ICU में मनाए गए आखिरी बर्थडे की कहानी

मुस्कान के साथ आखिरी विदाई

2 सितंबर की सुबह प्रियंका की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. भाई जयपाल के पास बैठी और बोली – तूने खाना नहीं खाया है, जाकर खा ले… मैं कहीं नहीं जा रही. कुछ ही देर बाद उसने सबको अलविदा कहा. लेकिन जाते-जाते भी चेहरे पर वही मुस्कान थी, जो परिवार को हमेशा याद रहेगी. पति लक्ष्यराज कहते हैं – वो जाते समय तक यही कहती रही कि मुझे कमजोर मत समझना, मैं आखिरी सांस तक लड़ूंगी. आज उसकी याद आती है तो लगता है कि उसने हमें जीने का तरीका सिखाया.

Advertisement


बचपन से जिद्दी, पर सबसे प्यारी

पीहू के पिता नरपत सिंह अपनी लाड़ली को याद करते हुए कहते हैं कि जब भी उसे याद करता हूं, उसके नन्हे हाथ और मासूम चेहरा आंखों के सामने आ जाता है. वो हर जिद मनवा लेती थी. चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर रही प्रियंका बचपन से ही परिवार की सबसे प्यारी संतान थीं. पढ़ाई में होशियार थीं. BBA किया और CA इंटर भी पास किया, बस फाइनल एग्जाम रह गया था.

खुशियों से भरे सपने, पर जिंदगी ने बदला रास्ता

जनवरी 2023 में उसकी शादी रानीवाड़ा के भाटवास गांव के बिल्डर लक्ष्यराज सिंह से हुई. शादी के शुरुआती दिन बेहद खुशियों से भरे थे. लेकिन कुछ ही महीनों में पीहू को पैरों में तेज दर्द शुरू हुआ. पहले इसे मामूली समझकर अनदेखा किया गया, लेकिन दर्द लगातार बढ़ता गया. फरवरी 2023 में मुंबई में जांच हुई और पता चला कि उसे हड्डियों का कैंसर है. इसके बाद परिवार ने हर संभव कोशिश की. मार्च 2023 में पहली सर्जरी हुई, जून 2024 में दूसरी और अगस्त 2024 में उदयपुर में तीसरी सर्जरी. लेकिन बीमारी फैलती गई. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब समय बहुत कम है.

यह भी पढ़ें: 'पापा, एक केक ले आइए…' ICU में मनाया आखिरी बर्थडे, सबको हौसला देते हुए विदा हो गई 27 साल की पीहू

Advertisement

बेटी को पता था… मौत करीब है

डॉक्टरों की बातें सुनने के बाद भी प्रियंका हिम्मत नहीं हारी. पिता बताते हैं कि उसे पता था कि समय सीमित है, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी. हमेशा कहती  मैं ठीक होकर घर जाऊंगी. 25 अगस्त को जब ICU में सभी रिश्तेदार और ससुराल वाले इकट्ठा हुए, तो अचानक प्रियंका ने कहा – एक केक लाओ… मैं अपने आखिरी पलों को यादगार बनाना चाहती हूं. उसकी इस फरमाइश ने सबको भावुक कर दिया. पिता भागकर केक लाए. ICU में मोमबत्तियां जलाई गईं. प्रियंका ने पति लक्ष्यराज और भाइयों के बीच बैठकर हंसते हुए केक काटा. अस्पताल का पूरा स्टाफ भी उस पल का गवाह बना. सबकी आंखें भर आईं, लेकिन पीहू ने किसी को रोने नहीं दिया.

डॉक्टर भी हुए भावुक

उदयपुर के डॉक्टर बताते हैं कि हमने कई कैंसर मरीज देखे, लेकिन प्रियंका अलग थी. दर्द कितना भी हो, उसने कभी हार का एहसास नहीं होने दिया. हमेशा दूसरों को हिम्मत दी. प्रियंका के पिता की आंखें भर आती हैं, लेकिन शब्दों में गर्व झलकता है कि लाड़ली ने हमें सिखाया कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, जीना मुस्कुराकर ही चाहिए.

गांव में प्रेरणा बन गई कहानी

आज पचानवा गांव में प्रियंका की कहानी हर कोई सुनाता है. लोग कहते हैं कि उसने मौत से पहले भी जिंदगी को जश्न की तरह जिया. कुछ लोग उसे हिम्मत की मिसाल कहते हैं, तो कुछ मुस्कान की देवी.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement