कर्नाटक में हिजाब पर लगा प्रतिबंध हटेगा, CM सिद्धारमैया ने दिए आदेश

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी परिधान और जाति के आधार पर लोगों और समाज को बांटने का काम कर रही है.

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The Karnataka government has allowed students to wear Hijab during competitive exams | Representative image The Karnataka government has allowed students to wear Hijab during competitive exams | Representative image

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिजाब पर लगे प्रतिबंध को हटाने जा रही है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को हिजाब पर लगे बैन को हटाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि हर किसी को अपनी पसंद के हिसाब से कपड़े पहनने का अधिकार है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कर्नाटक के स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को हटाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. 

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सीए्म ने कहा कि अपनी पसंद के कपड़े पहनना हर किसी का अधिकार है. मैंने हिजाब पर लगे बैन को हटाने के निर्देश दिए हैं. पीएम मोदी का 'सब का साथ, सब का विकास' का नारा फर्जी है. बीजेपी परिधान और जाति के आधार पर लोगों और समाज को बांट रही है.

इस साल अक्टूबर में राज्य सरकार ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के दौरान छात्रों को हिजाब पहनने की मंजूरी दी थी. इसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार राज्य में हिजाब पर लगे बैन को पूरी तरह से हटा सकती है. 

क्या है मामला?

फरवरी 2022 में कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में क्लासरूम के भीतर हिजाब पर बैन लगा दिया गया था. इसके बाद एक-एक कर कई शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाए गए थे. इसके बाद कर्नाटक की तत्कालीन बसवराज बोम्मई सरकार ने स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाने के आदेश दिए थे.

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उन्होंने कहा था कि कोई भी परिधान जिससे समानता, सार्वजनिक कानून एवं व्यवस्था बाधित होगी, उसकी मंजूरी नहीं दी जाएगी. सरकार के इस फैसले के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. इस मामले पर राज्य में काफी विवाद हुआ था. बाद में राष्ट्रीय स्तर पर मामला पहुंचने पर राजनीतिक सियासत गरमा गई थी. 

बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था, जहां कोर्ट ने इस मामले पर बंटा हुआ फैसला दिया था. कोर्ट की खंडपीठ ने चीफ जस्टिस से अनुरोध किया था कि इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजा जाए. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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रिपोर्ट: Anagha

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