क्या भारत में बनेगा S-500 एयर डिफेंस सिस्टम? जानिए S-400 से कितना ज्यादा एडवांस है

S-400 एक मजबूत क्षेत्रीय ढाल है, जबकि S-500 राष्ट्रीय+स्पेस किला है. जो काम S-400 नहीं कर सकता, वो काम S-500 कर सकता है. दुश्मन की मिसाइल दिखी नहीं कि चार सेकेंड में रिएक्ट करता है. हवा में 200 किलोमीटर ऊपर नष्ट कर सकता है. सैटेलाइट भी उड़ा सकता है.

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ये है रूस का S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जिसकी चर्चा हो रही है. (Photo: Russian MOD) ये है रूस का S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम, जिसकी चर्चा हो रही है. (Photo: Russian MOD)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के बीच रक्षा सौदों पर चर्चा जोरों पर है. आज की सुबह से ही सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर S-500 'प्रोमिथियस' सिस्टम की खबरें वायरल हैं. X (पूर्व ट्विटर) पर #S500India और #PutinModiDeal ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स S-400 की 'ऑपरेशन सिंदूर' में सफलता के बाद S-500 को 'गेम-चेंजर' बता रहे हैं.

पुतिन ने आजतक को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत हमारा भरोसेमंद पार्टनर है. S-500 पर जॉइंट प्रोडक्शन संभव है. आइए समझते हैं – क्या भारत में बनेगा S-500? और यह S-400 से कितना आगे है? 

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S-400 की सफलता ने क्यों खोला S-500 का रास्ता?

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 ने पाकिस्तानी ड्रोन्स और मिसाइलों को 95% नष्ट कर दिया था. पंजाब के आदमपुर एयरबेस पर तैनात S-400 ने 400 किमी दूर के टारगेट्स को ट्रैक किया, बिना किसी नुकसान के. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसके JF-17 जेट्स ने S-400 को नष्ट कर दिया, लेकिन भारत सरकार ने इसे झूठा प्रोपगैंडा बताया.

क्या भारत में बनेगा S-500? जॉइंट प्रोडक्शन की पूरी डिटेल्स

हां, संभावना मजबूत है. रूस की अल्माज-एंटे कंपनी भारत की BEL (भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड) और BDL (भारत डायनामिक्स लिमिटेड) के साथ पार्टनरशिप चाहती है. यह मेक इन इंडिया को बड़ा बूस्ट होगा – रडार, इंटरसेप्टर मिसाइलें और कमांड सिस्टम भारत में बनेंगे.

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  • प्रोडक्शन प्लान: नासिक या हैदराबाद में फैक्ट्री सेटअप, 2028 तक पहली यूनिट डिलीवर. 60% ToT से भारत को हाइपरसोनिक टेक मिलेगी. 
  • क्यों जॉइंट... S-400 की तरह सीधा खरीद नहीं, बल्कि ब्रह्मोस मिसाइल जैसा JV (जॉइंट वेंचर). रूस को मार्केट मिलेगा, भारत को जॉब्स (हजारों हाई-स्किल) और एक्सपोर्ट चांस. 
  • चुनौतियां: अमेरिकी CAATSA सैंक्शंस का डर. लेकिन भारत ने S-400 के बावजूद कोई पेनल्टी नहीं झेली.

S-500 vs S-400: आसान भाषा में पूरी तुलना 

S-400 साल 2007 से चल रहा एक थिएटर-लेवल सिस्टम है, यानी यह किसी खास इलाके या बॉर्डर की हवाई रक्षा करता है. वहीं S-500 साल 2021 से रूस में तैनात एक नेशनल-लेवल सिस्टम है, जो पूरे देश और अंतरिक्ष तक की सुरक्षा करता है.

रेंज... रेंज की बात करें तो S-400 हवाई टारगेट्स को 400 किलोमीटर तक मार सकता है, जबकि S-500 बैलिस्टिक मिसाइलों को 600 किलोमीटर दूर से ही खत्म कर देगा – यानी 50% ज्यादा रेंज, दूर से आने वाले खतरे पहले ही पकड़ में आएंगे.

ऊंचाई... ऊंचाई में बहुत बड़ा फर्क है. S-400 ज्यादा से ज्यादा 30 किलोमीटर तक के टारगेट्स (यानी सामान्य लड़ाकू विमान) मार सकता है, लेकिन S-500 200 किलोमीटर ऊंचाई तक जाएगा – यानी नियर स्पेस और लो-अर्थ ऑर्बिट के सैटेलाइट्स भी नष्ट कर सकता है. पैसेंजर प्लेन 10-12 किमी पर उड़ते हैं, S-500 उससे 20 गुना ऊपर तक देखेगा.

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स्पीड... स्पीड हैंडलिंग में S-400 लगभग 17,000 किमी/घंटा तक की मिसाइलों को रोक सकता है, पर S-500 लगभग 25,000 किमी/घंटा तक की रफ्तार वाली हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी मार गिराएगा – यह काम S-400 नहीं कर सकता.

टारगेट्स... एक साथ कितने टारगेट्स हैंडल कर सकते हैं? S-400 एकसाथ 80 टारगेट्स को ट्रैक और 36 को एक साथ मार सकता है. S-500 एकसाथ 100 से ज्यादा टारगेट्स को ट्रैक करेगा और स्टेल्थ जेट्स (F-35, J-20), ड्रोन्स, क्रूज मिसाइल्स, बैलिस्टिक मिसाइल्स और अंतरिक्ष के ऑब्जेक्ट्स तक को निशाना बनाएगा.

रडार... रडार तकनीक में S-500 में GaN-बेस्ड रडार हैं, जो ज्यादा दूर तक देखते हैं, तेज ट्रैक करते हैं और जैमिंग से बच जाते हैं. एक यूनिट में 12 लॉन्चर होते हैं, जबकि S-400 में यह सुविधा कम है.

रिस्पॉन्स टाइम... रिस्पॉन्स टाइम यानी खतरा देखकर मिसाइल छोड़ने में लगने वाला समय – S-400 को 10 सेकंड लगते हैं, S-500 सिर्फ 4 सेकंड में रिएक्ट करेगा – यानी ढाई गुना तेज.

मिसाइल... मिसाइलों का प्रकार भी अलग है. S-400 में 40N6 और 9M96 जैसी मिसाइलें हैं जो मुख्य रूप से विमानों और क्रूज मिसाइलों के लिए हैं. S-500 में 77N6-N सीरीज की हिट-टू-किल मिसाइलें हैं, जो सीधे टकराकर हाइपरसोनिक ग्लाइड वेपन्स को भी खत्म कर देती हैं.

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कीमत... कीमत में S-400 की एक रेजिमेंट करीब 500 मिलियन डॉलर की पड़ती है (5 रेजिमेंट्स का पूरा सौदा 5.43 अरब डॉलर था), जबकि S-500 की एक यूनिट 700 मिलियन से 2.5 अरब डॉलर तक हो सकती है – महंगा है, लेकिन यह राष्ट्रीय संपत्ति की तरह है.

मोबिलिटी... मोबिलिटी में दोनों सिस्टम ट्रक पर चलते हैं, लेकिन S-500 का सेटअप और रडार सिस्टम ज्यादा एडवांस है – सिर्फ 4 व्हीकल्स में पूरा रडार सेट आ जाता है, तेजी से कहीं भी तैनात हो सकता है.

S-400 एक मजबूत क्षेत्रीय ढाल है (जैसे पंजाब या लद्दाख बॉर्डर कवर करना), जबकि S-500 पूरा राष्ट्रीय किला है – दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर जैसे शहरों के साथ-साथ अंतरिक्ष तक की सुरक्षा करेगा. S-500 S-400 को रिप्लेस नहीं करेगा, बल्कि उसके ऊपर एक और मजबूत परत चढ़ाएगा – इसे मल्टी-लेयर डिफेंस कहते हैं.

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