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S-400 मिसाइल सिस्टम

S-400 मिसाइल सिस्टम

S-400 मिसाइल सिस्टम

S-400 ट्रायम्फ (S-400 Missile System) एक मोबाइल सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम है जिसे 1990 के दशक में रूस के NPO अल्माज ने S-300 मिसाइल फैमिली के अपग्रेड के तौर पर विकसित किया था. इसे पहले S-300 PMU-3 के नाम से जाना जाता था.  S-400 को 28 अप्रैल 2007 को सेवा के लिए मंजूरी दी गई थी और सिस्टम की पहली बटालियन ने 6 अगस्त 2007 को युद्ध ड्यूटी संभाली थी. इस सिस्टम को इसके सक्सेसर, S-500 द्वारा पूरक बनाया गया है.

S-400 का डेवलपमेंट 1980 के दशक की शुरुआत में S-200 मिसाइल सिस्टम को बदलने के लिए शुरू हुआ था, लेकिन ज्दाया कीमत और क्रूज मिसाइलों के खतरे से निपटने में नाकाम रहने की वजह से एक स्टेट कमीशन ने इसे रिजेक्ट कर दिया था.

भारत द्वारा S-400 सिस्टम खरीदने की डील की खबर सबसे पहले अक्टूबर 2015 में आई थी. 15 अक्टूबर 2016 को, BRICS समिट के दौरान, भारत और रूस ने भारत को पांच S-400 रेजिमेंट की सप्लाई के लिए एक इंटर-गवर्नमेंटल एग्रीमेंट (IGA) पर साइन किया. 1 जुलाई 2018 को, उस समय की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने इस खरीद को मंजूरी दे दी. भारत ने 2018 में 5.43 अरब डॉलर के सौदे में पांच S-400 स्क्वाड्रन खरीदे, जिनमें से तीन पहले ही तैनात हैं. बाकी दो 2026 तक मिलने की उम्मीद है. 

ऑपरेशन सिंदूर में S-400 का इस्तेमाल किया गया था जिसने पाकिस्तानी जेट-ड्रोन को तबाह कर दिया था.

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