वेपन, मिसाइलें, फाइटर जेट, S-500... पुतिन-मोदी के किन ऐलानों पर आज डिफेंस सेक्टर की हैं नजरें

पुतिन-मोदी शिखर सम्मेलन में आज रक्षा सौदों पर सबकी नजरें हैं. SU-57 फाइटर जेट (84+ विमान), S-500 एयर डिफेंस सिस्टम, अतिरिक्त S-400 रेजिमेंट, ब्रह्मोस-एनजी और Su-30 अपग्रेड पर बड़े ऐलान संभावित हैं. भारत में जॉइंट प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर जोर रहेगा. डिफेंस सेक्टर में उत्साह दिख रहा है. डिफेंस कंपनियों के शेयरों में उछाल की उम्मीद भी है.

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रूस का 5वीं पीढ़ी का Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट जिसपर बात हो सकती है. (File Photo: Aero India 2025) रूस का 5वीं पीढ़ी का Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट जिसपर बात हो सकती है. (File Photo: Aero India 2025)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:18 AM IST

आज भारत और रूस के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हो रही है. यह मुलाकात सिर्फ दोस्ती की नहीं, बल्कि रक्षा क्षेत्र में बड़े सौदों की उम्मीद जगाने वाली है. हथियार, मिसाइलें, फाइटर जेट्स और खासतौर पर रूसी Su-57 फाइटर जेट तथा S-500 एयर डिफेंस सिस्टम पर डिफेंस कंपनियों और विशेषज्ञों की नजरें टिकी हुई हैं. 

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अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत रूस के साथ अपनी पुरानी साझेदारी को मजबूत करने को तैयार है. आइए, जानते हैं कि इस सम्मेलन से क्या-क्या उम्मीदें हैं.

यह भी पढ़ें: भारत को क्यों चाहिए रूस का Su-57 फाइटर जेट? जानिए वॉर पावर

सम्मेलन का बैकग्राउंड: पुरानी दोस्ती, नई चुनौतियां

रूसी राष्ट्रपति पुतिन 4 दिसंबर को दिल्ली पहुंचे, जहां पीएम मोदी ने खुद एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया. यह चार साल बाद पुतिन का भारत दौरा है. सम्मेलन का मुख्य फोकस रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर है. रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2024 में भारत के 36 फीसदी हथियार रूस से आए थे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी S-400 सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन्स को 95 फीसदी नष्ट कर दिया था, जिससे भारत को इसकी ताकत का पता चला. अब भारत और पांच और S-400 यूनिट्स खरीदने की योजना बना रहा है, साथ ही उन्नत S-500 पर बातचीत हो सकती है.

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रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा कि रूस के साथ हमारी रक्षा साझेदारी लंबे समय से चली आ रही है. इस सम्मेलन से सहयोग गहरा होगा. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी पुष्टि की कि S-400 और Su-57 पर चर्चा होगी. 

मुख्य ऐलान जिन पर नजरें टिकीं

डिफेंस सेक्टर की कंपनियां जैसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) इन ऐलानों से फायदा उठाने को बेताब हैं. यहां हैं प्रमुख मुद्दे...

यह भी पढ़ें: चीन-PAK के हाइपरसोनिक हथियारों का खतरा... भारत को क्यों चाहिए रूस का S-500 एयर डिफेंस सिस्टम?

Su-57 फाइटर जेट्स: भारत की पांचवीं पीढ़ी की ताकत

रूस का Su-57 (नाटो नाम: फेलॉन) एक स्टील्थ फाइटर जेट है, जो अमेरिकी F-35 का मुकाबला कर सकता है. इसमें सुपरक्रूज, एडवांस्ड रडार और लंबी दूरी की मिसाइलें लगी हैं. भारत को कम से कम दो स्क्वाड्रन (लगभग 84 जेट्स) चाहिए, ताकि वायुसेना की कमी पूरी हो सके.

कीमत: प्रति जेट करीब 30 करोड़ डॉलर. रूस 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर देने को तैयार है, ताकि भारत में ही इन्हें बनाया जा सके. HAL नासिक में प्रोडक्शन हो सकता है. विशेषज्ञ कहते हैं- यह भारत के स्वदेशी AMCA प्रोजेक्ट का स्टॉप-गैप होगा.

क्रेमलिन ने कहा कि यह दुनिया का सबसे अच्छा फाइटर है. हम भारत के साथ जॉइंट प्रोडक्शन चाहते हैं. अगर डील हो गई, तो यह 74 अरब डॉलर का सौदा हो सकता है.

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S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम: हाइपरसोनिक हमलों का जवाब

S-500 'प्रोमिथियस' S-400 से भी आगे है. यह हाइपरसोनिक मिसाइलें, बैलिस्टिक मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें और लोअर ऑर्बिट के सैटेलाइट्स को नष्ट कर सकता है. रेंज: 600 किलोमीटर.

भारत को 5.4 अरब डॉलर का सौदा चाहिए, जिसमें 60 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर हो. रूस की अल्माज-एंटे कंपनी के साथ जॉइंट प्रोडक्शन की बात चल रही है. अगर यह ऐलान हुआ, तो भारत की एयर डिफेंस सबसे मजबूत हो जाएगी. बीईएल जैसी कंपनियां इससे फायदा उठाएंगी.

अन्य हथियार और अपग्रेड: ब्रह्मोस से लेकर टैंक्स तक  

  • S-400 अपग्रेड: बाकी डिलीवरी पर बात, साथ ही 280 अतिरिक्त मिसाइलें (3 अरब डॉलर का डील).  
  • ब्रह्मोस मिसाइल: रेंज बढ़ाकर 800 किलोमीटर, नई जनरेशन ब्रह्मोस-एनजी. दो और रेजिमेंट्स.  
  • Su-30MKI अपग्रेड: 100 जेट्स का बड़ा ओवरहॉल, 7.4 अरब डॉलर. HAL के साथ रूस पार्टनरशिप.  
  • R-37 मिसाइलें: 200 किलोमीटर रेंज वाली एयर-टू-एयर मिसाइलें.  
  • अन्य: स्प्रूट लाइट टैंक्स, पंतसिर सिस्टम, तलवार क्लास फ्रिगेट्स (ब्रह्मोस से लैस) और अकुला क्लास सबमरीन की डिलीवरी (2028 तक). 

ये सौदे मेक इन इंडिया को बढ़ावा देंगे, क्योंकि ज्यादातर में लोकल प्रोडक्शन होगा. 

डिफेंस सेक्टर पर असर: शेयर बाजार में उछाल की उम्मीद

ये ऐलान डिफेंस स्टॉक्स को बूस्ट देंगे. HAL, BDL, मझगांव डॉक और एलएंडटी जैसी कंपनियों के शेयर पहले से ही 5-10 फीसदी ऊपर हैं. विशेषज्ञों का कहना है, अगर Su-57 और S-500 पर डील हुई, तो सेक्टर में 20-30 फीसदी ग्रोथ हो सकती है. भारत की वायुसेना को 42 स्क्वाड्रन चाहिए, लेकिन अभी सिर्फ 30 हैं. ये डील्स कमी पूरी करेंगी.

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अमेरिका का दबाव, भारत की आजादी

अमेरिका ने CAATSA सैंक्शंस की चेतावनी दी है, लेकिन भारत ने कहा है कि वह अपनी जरूरतें खुद तय करेगा. पुतिन ने कहा कि मोदी ने अमेरिकी दबाव नहीं माना. यह डील चीन और पाकिस्तान को भी संदेश देगी. ऊर्जा क्षेत्र में भी बात होगी: रूस भारत को सस्ता तेल देगा. रुपे-मीर पेमेंट सिस्टम को लिंक किया जाएगा. 

मजबूत साझेदारी का नया अध्याय

पुतिन-मोदी मुलाकात भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देगी. यह सिर्फ हथियारों का सौदा नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत का रोडमैप है. विशेषज्ञ कहते हैं कि ये ऐलान दक्षिण एशिया की सैन्य संतुलन बदल देंगे.

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