खतरनाक है चीन का नया 'बिना पूंछ' वाला स्टील्थ फाइटर जेट! अमेरिका के पास भी नहीं है ये ताकत

चीन ने दुनिया का पहला छठी पीढ़ी का फाइटर जेट ‘व्हाइट एम्परर’ (J-36) पेश किया, जो बिना पूंछ के है. स्टील्थ तकनीक और AI से लैस है. J-50 दूसरा जेट है, जो नौसेना के लिए है. ये जेट्स भारत के लिए चुनौती हैं, क्योंकि ये रडार को चकमा दे सकते हैं.

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ये चीन का नया फाइटर जेट जिसमें पूंछ नहीं है. साथ ही तीन इंजन हैं. (File Photo: X/@dominictsz) ये चीन का नया फाइटर जेट जिसमें पूंछ नहीं है. साथ ही तीन इंजन हैं. (File Photo: X/@dominictsz)

ऋचीक मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:24 PM IST

चीन के नए हथियारों के और भी खतरनाक वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही हैं. खासतौर से विक्ट्री डे परेड के बाद. अब चर्चा हो रही है कि चीन ने 6ठीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट बना लिया है. दावा ये भी है कि उसने दो नए जेट हैं. इनमें से एक का नाम J-36 है. इसे व्हाइट एपंरर या बैदी भी बुलाया जा रहा है. 

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यह दुनिया का पहला ऐसा फाइटर जेट है, जो बिना पूंछ (टेल-लेस) डिजाइन के बना है. इसमें एडवांस्ड स्टील्थ तकनीक और संभावित अंतरिक्ष उड़ान लायक है. इसे चेंगदू और शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया है. 

व्हाइट एम्परर (J-36) और J-50: क्या हैं ये?

चीन ने एक ही दिन में दो अलग-अलग छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स की उड़ान दिखाई...

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पहला जेट- जिसे J-36 कहा जा रहा है, चेंगदू एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (CAC) ने बनाया है. यह बड़ा, तीन इंजनों वाला, डायमंड-आकार का टेल-लेस जेट है, जिसे ‘व्हाइट एम्परर’ भी कहा जाता है.

दूसरा जेट- जिसे J-50 या J-XX कहा जा रहा है, शेनयांग एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (SAC) का है. यह छोटा, दो इंजनों वाला, लैम्ब्डा-विंग डिज़ाइन वाला जेट है, जो शायद नौसेना के लिए कैरियर-बेस्ड ऑपरेशंस के लिए है. 

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इन जेट्स की उड़ान सिचुआन प्रांत के चेंगदू और शेनयांग में हुई, जहां इन्हें J-20S और J-16 फाइटर जेट्स के साथ ‘चेज़ प्लेन’ के तौर पर देखा गया. इन उड़ानों को दिन के उजाले में किया गया, जिससे लगता है कि चीन अपनी ताकत दुनिया को दिखाना चाहता है. 

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तकनीकी खासियतें

1. टेल-लेस डिज़ाइन

J-36 (चेंगदू): यह डायमंड-आकार का जेट बिना वर्टिकल स्टेबलाइज़र (पूंछ) के है. इसमें 18 अलग-अलग कंट्रोल सरफेस हैं, जो उड़ान को स्थिर रखने के लिए उन्नत फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम से नियंत्रित होते हैं. टेल-लेस डिज़ाइन रडार सिग्नेचर को कम करता है, जिससे इसे रडार से पकड़ना मुश्किल है.

J-50 (शेनयांग): इसमें लैम्ब्डा-विंग डिज़ाइन है, जिसमें फोल्डेबल वर्टिकल टेल हो सकती है, जो इसे स्टील्थ और मैन्यूवरेबिलिटी दोनों देता है. यह नौसेना के विमानवाहक पोतों के लिए उपयुक्त हो सकता है.

2. स्टील्थ क्षमता

दोनों जेट्स में उन्नत स्टील्थ तकनीक है, जो उन्हें हर कोण से रडार के लिए ‘अदृश्य’ बनाती है. J-36 में विशेष स्टील्थ कोटिंग्स हैं, जो हाई और लो-फ्रीक्वेंसी रडार सिग्नल्स को एब्जॉर्ब करती हैं.

J-36 का कॉकपिट कैनोपी डार्क और मल्टी-फेसेटेड है, जो रडार और इन्फ्रारेड सिग्नेचर को कम करता है. इसमें साइड-लुकिंग रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर हैं, जो इसे युद्ध में बेहतर निगरानी और निशाना लगाने की क्षमता देते हैं.

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3. इंजन और गति

J-36: तीन टर्बोफैन इंजन (संभवतः WS-10C, बाद में WS-15) के साथ यह सुपरसोनिक गति और संभावित हाइपरसोनिक क्षमता रखता है. इसका अनुमानित वजन 45000-54000 किलो और लंबाई 75 फीट है.

J-50: दो इंजन (WS-10 या WS-15) के साथ, इसकी लंबाई 22 मीटर और टेक-ऑफ वजन 40 टन है. यह मैक 2 की गति और 2200 किमी की रेंज रखता है.

दोनों जेट्स सुपरक्रूज़ (बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक उड़ान) कर सकते हैं, जो ईंधन की बचत और लंबी दूरी की उड़ान में मदद करता है.

4. हथियार और पेलोड

J-36: इसमें तीन आंतरिक हथियार डिब्बे हैं, जो चार PL-17 हवा-से-हवा मिसाइल (400 किमी रेंज) और एक YJ-12 एंटी-शिप मिसाइल (400 किमी, मैक 3) ले जा सकते हैं. यह भारी हथियारों के लिए बड़ा डिब्बा रखता है.

J-50: इसमें भी हथियार डिब्बे हैं, लेकिन छोटे आकार के कारण कम पेलोड. यह ड्रोन के साथ मिलकर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

दोनों जेट्स डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (लेजर) और ड्रोन एकीकरण की क्षमता रखते हैं.

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5. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन 

दोनों जेट्स AI से लैस हैं, जो रियल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग, ऑटोनॉमस फ्लाइट और टारगेट रिकग्निशन में मदद करता है. ये जेट्स ड्रोन जैसे FH-97A ‘लॉयल विंगमैन’ के साथ मिलकर काम कर सकते हैं, जो टोही, हमला, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में सहायता करते हैं. J-36 का ‘डायरेक्ट फोर्स कंट्रोल’ सिस्टम इसे विमानवाहक पोतों पर खराब मौसम में भी उतारने में मदद करता है.

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भारत के लिए क्या मायने रखता है?

चीन के J-36 और J-50 भारत के लिए चिंता का विषय हैं, खासकर क्योंकि चीन ने अपने J-20 स्टील्थ जेट्स को सिक्किम के पास तैनात किया है. भारत के पास अभी कोई पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट नहीं है. उसका सबसे उन्नत विमान 4.5-पीढ़ी का राफेल है. भारत का AMCA अभी विकास में है. 2030 के बाद तैयार होगा.

खतरा: J-36 की लंबी रेंज (2200 किमी) और स्टील्थ क्षमता इसे भारत के हवाई रक्षा तंत्र के लिए खतरा बनाती है. यह भारत के रडार और मिसाइल सिस्टम जैसे S-400 को चकमा दे सकता है.

सीमा पर तनाव: LAC पर चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी, खासकर तिब्बत में, भारत के लिए रणनीतिक चुनौती है. J-36 अगर तैनात हुआ, तो भारत को अपनी रक्षा रणनीति बदलनी होगी.

भारत की तैयारी: भारत को AMCA प्रोजेक्ट को तेज करना होगा और ड्रोन, AI और स्टील्थ तकनीक में निवेश बढ़ाना होगा. राफेल और सुखोई-30 MKI को उन्नत करना भी जरूरी है.

अमेरिका और अन्य देश

अमेरिका: अमेरिका का NGAD (नेक्स्ट जेनरेशन एयर डोमिनेंस) प्रोग्राम भी छठी पीढ़ी का जेट बना रहा है, लेकिन यह 2030 तक आएगा. यह भी टेल-लेस और AI-लैस होगा, लेकिन बजट की कमी के कारण इसमें देरी हो रही है.

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यूरोप: यूके, इटली और जापान का GCAP (ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम) 2035 तक टेम्पेस्ट जेट लाएगा.

रूस: रूस का Su-57 स्टील्थ जेट छठी पीढ़ी की कुछ खासियतें जोड़ रहा है, लेकिन यह चीन और अमेरिका से पीछे है.

चीन ने 2028 की जगह 2024 में ही ये जेट्स उड़ा दिए, जो इसकी तेज़ तकनीकी प्रगति दिखाता है. 

चीन का J-36 और J-50 छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स दुनिया के हवाई युद्ध को बदल सकते हैं. इनकी स्टील्थ, AI, ड्रोन इंटीग्रेशन और संभावित अंतरिक्ष उड़ान क्षमता इन्हें ‘सुपर वेपन’ बनाती है. भारत को अपनी रक्षा रणनीति को मजबूत करना होगा. खासकर AMCA और ड्रोन तकनीक पर काम तेज करके. 

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