scorecardresearch
 

भारत-चीन को कैसे बैलेंस करेंगे? पुतिन बोले- मैं दोनों के लिए खुश, नए वर्ल्ड ऑर्डर पर भी रखी बात

दुनिया की बदलती राजनीति और एशिया की उभरती ताकतों पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बड़ा संकेत दिया. अंजना ओम कश्यप और गीता मोहन से हुई खास बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत और चीन दोनों उनके 'करीबी मित्र' हैं और वे उनके द्विपक्षीय तनाव में दखल नहीं देंगे.

Advertisement
X
'भारत-चीन मसला उनका, मैं दोनों से खुश हूं' आजतक से बोले पुतिन (Photo:ITG)
'भारत-चीन मसला उनका, मैं दोनों से खुश हूं' आजतक से बोले पुतिन (Photo:ITG)

तेजी से बदलते भू-राजनीतिक माहौल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन को 'सबसे करीबी मित्र' बताया. आजतक के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पुतिन ने कहा कि मॉस्को किसी द्विपक्षीय तनाव में दखल नहीं देगा. बहुध्रुवीय वर्ल्ड ऑर्डर, ग्लोबल साउथ के उभार और BRICS की भूमिका पर भी पुतिन ने विस्तार से अपनी बात रखी. 

भारत और चीन के साथ अपने रिश्तों को कैसे बैलेंस करेंगे? इस सवाल पर पुतिन ने कहा कि भारत और चीन हमारे सबसे करीबी मित्र हैं, और मैं ये नहीं समझता कि हमें उनके द्विपक्षीय मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए. मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग जटिल और विवादित मसलों पर किसी नतीजे तक जरूर पहुंचेंगे. दोनों देशों के बीच जो तनाव है उससे दोनों नेता चिंतित हैं. वो समस्या का समाधान भी करना चाहते हैं. प्रयास कर भी रहे हैं. नतीजे पर भी पहुंचेंगे. मैं उन दोनों के लिए बहुत खुश हूं. मैं नहीं समझता कि मुझे हस्तक्षेप करना चाहिए, ये द्विपक्षीय मामले हैं.

दुनिया तेजी से बदल रही है

क्या एक नया वर्ल्ड ऑर्डर बन रहा है? क्योंकि आप G7 नहीं जा रहे, लेकिन आपने अभी चीन का दौरा किया है और आप भारत भी जाने वाले हैं. रूस, भारत, चीन RIC, BRICS, SCO, ग्लोबल साउथ. आप बहुध्रुवीय दुनिया में शक्ति के इस नए केंद्र को कैसे देखते हैं? आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप के इस सवाल पर पुतिन ने कहा कि  दुनिया हमेशा बदलती रहती है. सब कुछ बदल जाता है. लेकिन आजकल, बदलाव की गति बहुत तेज़ हो गई है और हम इसे महसूस कर सकते हैं, देख सकते हैं.

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि मैंने पहले भी इस बात का जि‍क्र किया था. असल में, हम वैश्विक आर्थिक बदलाव और हलचल के गवाह हैं. ये बदलाव यूक्रेन या अन्य संघर्ष क्षेत्रों से संबंधित नहीं हैं. इसके बारे में हम एक और घंटा बात कर सकते हैं और मुझे इससे खुशी होगी, लेकिन शायद आपके दर्शक हमारी इस चर्चा से ऊब जाएं. लेकिन तथ्य यही है कि विकास के नए केंद्र बन रहे हैं, तेज़ विकास, मजबूत विकास. ये बदलाव खासकर ग्लोबल साउथ में हो रहा है. मैं दक्षिण एशिया की बात कर रहा हूं. सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि इंडोनेशिया भी तेजी से उभर रहा है. यहां लगभग 30 करोड़ लोग हैं. भारत जितने डेढ़ अरब नहीं, लेकिन फिर भी यह तेजी से विकास के रास्ते पर बढ़ता देश है.

पुतिन ने कहा कि इसी तरह अफ्रीका भी तेजी से विकास कर रहा है. ये विकास और तेज होगा क्योंकि वहां युवा आबादी है, उनका भविष्य है और वे उच्च जीवन स्तर की मांग करेंगे. कुल मिलाकर इसे रोका नहीं जा सकता. वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव की गति बढ़ती ही जाएगी. हम अक्सर सुनते हैं कि हाल ही में रूस अपने संबंधों को ग्लोबल साउथ और एशिया के साथ नए सिरे से समायोजित कर रहा है. पर सच ये है हम ऐसा लंबे समय से कर रहे हैं.

Advertisement

पुतिन, शी जिनपिंग और पीएम मोदी की तस्वीर पर क्या बोले

अंजना ओम कश्यप ने पूछा कि पुतिन, शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी- तीनों देशों के प्रमुख एक साथ. सोशल मीडिया पर और अमेरिका में हर तरफ इस तस्वीर की लोग चर्चा कर रहे थे. लेकिन उस तस्वीर को देखें तो, सवाल ये है कि जब किसी ऐसे ब्लॉक के अहम सदस्य देशों के बीच ही बुनियादी मुद्दे हल नहीं हुए हों तो ऐसे वैकल्पिक समूह कैसे बन सकते हैं और कैसे एक वास्तविक ताकत बन पाएंगे?

इस सवाल के जवाब में पुतिन बोले, 'देखिए, संघर्ष तो हमेशा मौजूद रहे हैं. ऐसा कोई समय नहीं रहा जब दुनिया में कोई संघर्ष न हो.' आप दुनिया के बड़े क्षेत्रों और बड़े शक्ति केंद्रों का इतिहास उठाकर देख लीजिए हर दौर में सवाल थे, विवाद थे, टकराव थे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप इन संघर्षों का समाधान कैसे ढूंढते हैं. इन चुनौतियों से निपटने का सबसे असरदार तरीका क्या है, ये कैसे तय किया जाता है. 

पुतिन ने कहा कि अब BRICS और शंघाई सहयोग संगठन जैसे बड़े समूहों को ही ले लीजिए. इन संगठनों के भीतर हमारे बीच एक साझा समझ है जो हमें साथ लाती है और वो हैं हमारे मूल्य, हमारी पारंपरिक मूल्य-व्यवस्था, जिनके आधार पर हमारी सभ्यताएं अगर हजारों नहीं, तो सैकड़ों सालों से टिकी हुई हैं.

Advertisement

उन्होंंने आगे कहा कि इन्हीं मूल्यों को पिछली पीढ़ियों से विरासत में पाकर हम आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं अपने प्रयासों को एकजुट करके, न कि इन मौकों को दबाकर. और जब आप मिलकर काम करते हैं, तो परिणाम एक तरह की सिनर्जी पर आधारित होता है और वह नतीजा बेहद प्रभावशाली होता है. इन्ही चीज़ों को हम इन संगठनों में प्राथमिकता देते हैं. कभी एक भी बार ऐसा नहीं हुआ कि हम इकट्ठे हुए हों किसी को धोखा देने के लिए या किसी के विकास को रोकने के लिए. हमारा एजेंडा हमेशा सकारात्मक रहा है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement