चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुने जाने पर बधाई दी और कहा कि बीजिंग ‘द्विपक्षीय संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने’ के लिए नयी दिल्ली के साथ काम करने का इच्छुक है. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार ली ने एक संदेश में कहा कि चीन-भारत संबंधों का सुदृढ़ और स्थिर विकास न केवल दोनों देशों के लोगों के हित में है बल्कि यह क्षेत्र और दुनिया में स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा के संचार में भी सहायक है.
ली ने कहा, "चीन द्विपक्षीय संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है." पीएम मोदी ने रविवार को रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी चीनी विदेश मंत्रालय ने 5 जून को आम चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी और कहा कि दोनों देशों को चार साल पहले गलवान की घटना के बाद से रुके हुए द्विपक्षीय संबंधों को स्वस्थ और स्थिर ट्रैक पर आगे बढ़ाने के लिए भविष्य की तरफ देखना चाहिए.
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान
5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार को छोड़कर बांकी आपसी संबंध खराब हो गए थे. इसके बाद गलवान के पास पैंगोंग त्सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प हुई थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "हमने भारत के आम चुनाव के नतीजों पर गौर किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की जीत पर बधाई दी."
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मोदी की जीत पर चीन की टिप्पणी जानने के लिए आधिकारिक मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए माओ ने कहा कि एक स्वस्थ और स्थिर रिश्ते दोनों देशों के हित में है और इस क्षेत्र और उससे आगे की शांति और विकास के लिए अनुकूल है. उन्होंने कहा कि चीन दोनों देशों और लोगों के मौलिक हितों में काम करने, हमारे संबंधों के समग्र हित को ध्यान में रखने, भविष्य की तरफ देखने और द्विपक्षीय संबंधों को स्वस्थ और स्थिर राह पर आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है.
पीएम मोदी के इस बयान का किया विरोध
हालांकि इस मीडिया ब्रीफिंग के एक दिन बाद चीन ने प्रधानमंत्री मोदी की इस टिप्पणी पर विरोध जताया कि वह ताइवान के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए तत्पर हैं. मोदी की यह टिप्पणी ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते द्वारा उनकी चुनावी जीत पर दिए गए बधाई संदेश के जवाब में आई थी. चीन ताइवान को एक विद्रोही प्रांत मानता है जिसे बलपूर्वक भी मुख्य भूमि के साथ फिर से एकीकृत किए जाने पर जोर देता है.
भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पर देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से हटने का दबाव बना रहा है, और कहता रहा है कि जब तक सीमाओं की स्थिति असामान्य बनी रहेगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकती.
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