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गर्भवती महिलाओं की शादी को लेकर जापान सरकार का बड़ा फैसला, 100 साल से चली आ रही थी पाबंदी

जापान सरकार ने महिलाओं की दोबारा शादी करने से संबंधी कानून में बड़ा बदलाव किया है. अब तलाकशुदा महिलाएं कभी भी शादी कर सकती हैं. इससे पहले तलाक के समय गर्भवती महिलाओं को दोबारा शादी करने से पहले 100 दिनों तक इंतजार करना पड़ता था. जापान की कैबिनेट ने शुक्रवार को इस कानून को खत्म करने की मंजूरी दे दी है.

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सांकेतिक तस्वीर (  फोटोः गेटी )
सांकेतिक तस्वीर ( फोटोः गेटी )

विश्व आर्थिक मंच के ग्लोबल वार्षिक जैंडर गैप रैंकिंग में सुधार करने के लिए जापान सरकार ने बहुत ही बड़ा कदम उठाया है. शुक्रवार को जापान की कैबिनेट ने एक कानून को खत्म करने की मंजूरी दी है, जिसमें तलाक के समय गर्भवती महिलाओं को दोबारा शादी करने से पहले 100 दिन का इंतजार करना पड़ता था. इस कानून के हट जाने के बाद तलाकशुदा महिलाएं कभी भी शादी कर सकती हैं. यह कानून सौ साल से भी ज्यादा पुराना था और यह कानून सिर्फ महिलाओं पर लागू होता था. यानी कि पुरुषों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं था. 

100 साल से भी ज्यादा पुराना था कानून
जापान में यह कानून 1896 से लागू था. नवजात को लेकर आर्थिक रूप से पिता अपनी जिम्मेदारियों से मुंह ना मोड़े इसलिए ये कानून बनाया गया था. जापानी एक्टिविस्ट और आलोचक इसे पुराना और महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण बताते हुए कानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे. 2016 में एक बार इस कानून में संशोधन किया गया था. 

पिता के भी कई अधिकार होंगे कम
बदले हुए कानून के तहत उस नियम को भी हटा दिया जाएगा जिसमें माता-पिता के पास बच्चों को अनुशासित करने के लिए असीमित अधिकार था. स्थानीय मीडिया के अनुसार, सरकार 10 दिसंबर को समाप्त हो रही मौजूदा संसदीय सत्र में इस विधेयक को पेश करेगी. यह कानून 2024 में लागू होने की उम्मीद है. 

दुनिया की नजरों में उदार छवि बनाने की कोशिश 
विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में जापान की रैंकिंग लगातार गिरता जा रहा है. यह रिपोर्ट राजनीतिक सशक्तिकरण के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक भागीदारी के पैमाने पर तैयार की जाती है. इस तरह के बदलाव से जापान दुनिया की नजरों में महिलाओं के प्रति उदार छवि बनाने की कोशिश कर रहा है. जापान सरकार ने 2030 तक व्यापार और राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है. इससे पहले यह लक्ष्य 2020 था, लेकिन अभी भी इस लक्ष्य तक नहीं पहुंचने के कारण इसे बढ़ाकर साल 2030 कर दिया गया है.   

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