उत्तर प्रदेश के बलिया में भीषण गर्मी का कहर जारी है. यहां हीट वेव के कहर के बीच पिछले चार दिन में 57 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ दो लोगों की मौत ही लू लगने से हुई है. बाकी की रिपोर्ट जांच के लिए भेजी है. रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि मौतों की वजह क्या है? अधिकारियों का कहना है कि इलाज के लिए आ रहे ज्यादातर मरीजों को पहले सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत आ रही है. इसके बाद बुखार आ रहा है.
बढ़ती गर्मी से मरीजों की मौत के बढ़ते आंकड़ों पर स्वास्थ्य निदेशक लखनऊ डॉ एके सिंह ने कहा कि इलाज के लिए आने वाले ज्यादातर मरीजों की शिकायत है कि उन्हें पहले सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और फिर बुखार हुआ. हम यूरिन टेस्ट, ब्लड टेस्ट और अन्य टेस्ट करवा रहे हैं. बाकी मरीज डर और दहशत के मारे अस्पताल पहुंचे. भर्ती किए गए अन्य मरीजों में वे लोग भी शामिल हैं जिन्हें पहले से कोई बीमारी थी. हम सैंपल ले रहे हैं, उसके बाद ही मौत के कारणों की पुष्टि हो सकेगी.
लखनऊ से बलिया पहुंची टीम
उधर, लखनऊ से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भी बलिया में मरीजों की मौत की वजह की जांच करने के लिए पहुंची है. निदेशक (संचारी रोग) डॉ ए के सिंह और निदेशक (मेडिकल केयर) के एन तिवारी ने रविवार को बलिया जिला अस्पताल में वार्डों का निरीक्षण किया, उन्होंने गर्मी की वजह से मौतें होने से इनकार किया है.
अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद डॉ ए के सिंह ने कहा कि मौतों की संख्या चिंताजनक है, लेकिन ज्यादातर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने के कुछ घंटों के भीतर मौतें हुईं. सिंह ने कहा, ज्यादातर मामलों में, भर्ती करने के दो से 6 घंटे के बीच मौत हुई. हमारे मेडिकल स्टाफ को मरीजों को स्थिर करने या जरूरी टेस्ट कराने के लिए पर्याप्त समय तक नहीं मिल सका.
क्या लू लगने से हुई मौतें?
उन्होंने कहा कि अभी मौतों की वजह पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि मरने वाले मरीजों में ज्यादातर बांसडीह और गड़वार क्षेत्र से हैं. ऐसे में जांच कमेटी ने अधिकारियों से क्षेत्र में पीने के पानी की जांच करने के लिए कहा है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या मौत लू लगने से हुई, इस पर उन्होंने कहा कि अगर यह सच होता, तो अन्य जिलों से भी इसी तरह की मौतों की सूचना मिली होती, जहां पिछले कुछ दिनों में समान या उच्च तापमान दर्ज किया गया है. उच्च तापमान से बुखार हो सकता है. हालांकि, उन्होंने माना कि अस्पताल में गर्मी से निपटने के लिए कूलर और अन्य इंतजाम नाकाफी हैं.
बलिया सीएमएस बदले गए
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) डॉ दिवाकर सिंह को मौत की वजह पर कथित तौर पर लापरवाह टिप्पणी करने की वजह से हटा दिया गया और उन्हें आजमगढ़ भेज दिया गया. उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि गर्मी के कारण अस्पताल में 20 से अधिक मरीजों की मौत हो गई. उनकी जगह डॉ एसके यादव को CMS बनाया गया है.
मरने वाले मरीजों में 40% को बुखार था
CMO जयंत कुमार ने बताया कि जिला अस्पताल के रिकॉर्ड के मुताबिक, 54 मौतों में से 40% मरीजों को बुखार था, जबकि 60% अन्य बीमारियों से पीड़ित थे. अभी तक जिले में हीट स्ट्रोक से सिर्फ दो लोगों की मौत हुई है. उधर, सीएमएस एसके यादव ने कहा कि रोजाना करीब 125 से 135 मरीज भर्ती हो रहे हैं. ऐसे में अस्पताल पर दबाव है.
उन्होंने बताया कि 15 जून को, 154 रोगियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इनमें से 23 मरीजों की विभिन्न वजहों से मौत हो गई. जबकि 16 जून को 20 मरीजों की मृत्यु हुई है, जबकि अगले दिन यानी 17 मई को 11 की मौत हुई. रविवार को तीन मरीजों ने दम तोड़ा. ये सभी 60 साल से अधिक उम्र के थे. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, जिला अस्पताल में रोजाना औसतन आठ मौतें हो रही हैं.
दयाशंकर सिंह बोले- गर्मी के समय मे बढ़ जाती है मृत्यु दर
यूपी सरकार में मंत्री और बलिया से विधायक दयाशंकर सिंह ने गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है. दयाशंकर सिंह ने कहा, ''गर्मी के समय मे मृत्यु दर बढ़ जाती है. इसके पहले भी गर्मी के मौसम में ऐसा होता रहा है. तो ऐसा नही है कि केवल मौतें इसी के कारण हो रही हैं. उन्होंने कहा आप देख रहे होंगे मरने वालों में केवल बुजुर्ग लोग जो 60-70 साल के ऊपर के लोग ही है, तो जनरली ये होता है. नेचुरल डेथ भी हो रही है. मृत्यु स्वाभाविक भी हो रही है, सब उससे ही जोड़ कर न देखा जाए.