उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र में शनिवार दोपहर बड़ा खदान हादसा हुआ. करीब 3 बजे खनन के दौरान एक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा अचानक टूटकर नीचे आ गिरा, जिससे मौके पर काम कर रहे लगभग डेढ़ दर्जन मजदूर मलबे के नीचे दब गए. हादसे में एक मजदूर की मौत की पुष्टि के बाद मृतक के भाई छोटू यादव की तहरीर पर ओबरा कोतवाली में माइनिंग कंपनी के मालिक समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है.
हादसे के दूसरे दिन भी घटनास्थल पर रेस्क्यू अभियान जारी है. NDRF और SDRF की टीमें लगातार मलबा हटाने में जुटी हुई हैं. खदान की गहराई लगभग 300 फीट बताई जा रही है, जिसके कारण बचाव उपकरणों को नीचे पहुंचाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो रहा है. जेसीबी और क्रेन की मदद से मशीनें और अन्य जरूरी सामग्री नीचे भेजी जा रही हैं. टीमों ने ड्रोन की मदद से भी सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है, जिससे मलबे की सटीक स्थिति और संभावित लोकेशन का पता लगाया जा सके.
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दुर्घटना स्थल पर मौजूद उदय गुप्ता के अनुसार, SDRF और NDRF की टीमें बेहद कठिन परिस्थितियों में काम कर रही हैं. मलबा ऊंचाई से गिरा है और खदान का रास्ता बेहद संकरा है, जिसकी वजह से ऑपरेशन में बाधाएं आ रही हैं. मौके पर मौजूद मजदूर और परिजन अपने लापता साथियों की तलाश में चिंतित बैठे हैं.
मलबे में 18 मजदूरों के दबे होने की आशंका
छोटू नाम के मजदूर, जो हादसे के समय खदान में ही मौजूद था, ने बताया कि "करीब 18 लोग नीचे काम कर रहे थे. अचानक तेज आवाज हुई और पहाड़ी धंस गई. मैं किसी तरह बाहर आया और तुरंत पुलिस को जानकारी दी." छोटू के परिवार के दो सदस्य अब भी लापता हैं.
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NDRF-SDRF की टीम रेस्क्यू में जुटी
मिर्जापुर के कमिश्नर राजेश प्रकाश ने हादसे वाली जगह का दौरा किया और रेस्क्यू ऑपरेशन की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि "NDRF और SDRF की टीम मौके पर जुटी हैं. कितने लोग दबे हैं, इस पर अभी कुछ कहना मुश्किल है. पूरी स्थिति मलबा हटने के बाद ही साफ हो सकेगी."
प्रशासन ने बताया कि राहत कार्य पूरी क्षमता के साथ चल रहा है और लापरवाही की जांच भी की जाएगी. घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है और पीड़ित परिवारों में भारी चिंता बनी हुई है.