उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 भारत की राजनीति की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण चुनावों में से एक माना जा रहा है. यूपी देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है और यहां की विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. आगामी चुनाव 5 वर्ष के कार्यकाल पूरा होने के बाद 2027 की फरवरी - मार्च 2027 में होने की उम्मीद है. यूपी विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर लगभग सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है (UP Assembly Election 2027). योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं
यूपी में जिस पार्टी की सरकार बनती है, उसका राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव व्यापक रूप से देखा जाता है. इसका कारण जनसंख्या, लोकसभा सीटों की संख्या और राजनीतिक नेतृत्व की राष्ट्रीय भूमिका से जुड़ा है. इसलिए सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल पहले से ही तैयारी में जुटे हैं.
2027 के चुनाव में कई दल कड़ी टक्कर में रहेंगे जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP), समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), कांग्रेस (INC), राष्ट्रीय लोक दल (RLD), क्षेत्रीय दल और स्थानीय गठबंधन भी मुकाबले को प्रभावित कर सकते हैं.
आगामी चुनाव में गठबंधन (Alliance Politics) एक बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद है. विपक्षी दल रणनीतिक सीट बंटवारे और संयुक्त अभियान की योजनाओं पर पहले से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
बात करें चुनावी मुद्दों की तो उनमें रोजगार और आर्थिक विकास, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा प्रमुख, किसानों की स्थिति और कृषि नीतियां, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं, बिजली, सड़क और बुनियादी ढांचा, सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय विकास की प्रमुख रहने की संभावना है.
उत्तर प्रदेश में सभी की निगाहें बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष पर टिकी हुई हैं. केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र चौधरी के बाद अब बीजेपी यूपी में ओबीसी से किस जाति से प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी और सूबे के समीकरण में कितना फिट होंगे?
घुसपैठियों को उनके देश भेजना भारत के लिए बहुत बड़ी समस्या रही है. असम इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. केवल सरकार के चाहने भर से ही घुसपैठियों को उनके देश भेजना संभव नहीं है. उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ का प्लान इसलिए कारगर होता दिख रहा है, क्योंकि घुसपैठियों की धरपकड़ का काम SIR के साथ साथ हो रहा है.
राम मंदिर ध्वजारोहण के दौरान अखिलेश यादव ने भी हिंदुत्व की झलक पेश की थी. जिसे बिहार में INDIA गुट को मिली हार के सबक के तौर पर देखा गया. लेकिन, समाजवादी पार्टी के मुखिया ने जिस नए अंदाज में PDA की व्याख्या की है, लगता है 'मुस्लिम तुष्टिकरण' वाला कार्ड भी उनकी नजर में फीका होता नजर आ रहा है.
बिहार चुनाव के नतीजे राजनीतिक स्टैंड और समीकरण सभी पर भारी पड़ रहे हैं. बिहार पहुंचकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ SIR का विरोध कर चुके अखिलेश यादव अब यूपी में समाजवादी पार्टी नेताओं को फार्म भरवाने की हिदायत दे रहे हैं, और चेतावनी दी गई है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
उत्तर प्रदेश में सवा साल के बाद विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन आरएसएस अभी से एक्टिव हो गया है. संघ, बीजेपी संगठन और योगी सरकार के बीच सोमवार को समन्वय बैठक हुई, जिसमें मिशन 2027 पर मंथन किया गया. इसके अलावा संघ के प्रमुख नेताओं के साथ सीएम योगी की मीटिंग हो रही है, उससे संगठन में बड़े बदलाव के संकेत माने जा रहे हैं.
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद संविधान दिवस पर मुजफ्फरनगर में रैली कर रहे हैं तो बसपा प्रमुख मायावती 6 दिसंबर को नोएडा में एक बड़ी जनसभा करने जा रही हैं. इस तरह 2027 विधानसभा चुनाव के लिए पश्चिमी यूपी नया रणक्षेत्र बनता जा रहा है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार और संगठन में फेरबदल की संभावनाओं के बीच बीते रविवार को दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की है. पहले उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी, उसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बैक टू बैक मुलाकात की.
लोकसभा चुनाव के बाद से सपा और कांग्रेस के रिश्ते गड़बड़ाने लगे थे, लेकिन राहुल गांधी और अखिलेश यादव की सियासी केमिस्ट्री फिर से बनती दिख रही है. संसद से सड़क तक यूपी के दो लड़को की जोड़ी ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में साफ है कि 2027 के सियासी रण में फिर दोनों एक साथ नजर आएंगे.
उत्तर प्रदेश की सियासत में बीजेपी के पास एक समय कल्याण सिंह के रूप में एक ऐसा ऑलराउंडर चेहरा था, जिसके सहारे पार्टी ने जातीय समीकरण को मजबूत करने के साथ-साथ हिंदुत्व की आक्रामक राजनीति को धार दी थी. अब उसी कल्याण सिंह की पुण्यतिथि को 'हिंदू गौरव दिवस' के रूप में मनाकर 2027 से पहले बड़ा सियासी दांव चल रही है.
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बयान पर विपक्षी दलों ने प्रतिक्रिया दी है. विपक्षी दलों ने कहा कि सहयोगी दलों को लग रहा है कि बीजेपी के साथ रहने में अब कोई फायदा नहीं है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जनता का विश्वास खो दिया है और 2027 में उत्तर प्रदेश में उसकी सत्ता कोई नहीं बचा पाएगा. अखिलेश ने भाजपा पर रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के मुद्दों पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए जनता से परिवर्तन की अपील की.
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी ने अकेले किस्मत आजमाने का फैसला किया है. जयंत चौधरी ही नहीं बीजेपी के दो और बड़े सहयोगी अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी और योगी सरकार में शामिल तीनों दल क्यों एकला चलो की राह पर हैं?
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों, कारोबारियों और महंगाई का मुद्दा उठाया. उन्होंने 2027 में PDA सरकार बनने का दम भरा और यूपी की बीजेपी सरकार पर तंज कसा.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में भले ही अभी डेढ़ साल का समय बाकी हो, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को शक्ति प्रदर्शन कर अपने तेवर दिखा दिए. मायावती ने 2007 जैसा सियासी समीकरण बनाकर 2027 की जंग जीतने की बुनियाद रख दी है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में आयोजित एक बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘मिशन 2027’ के लिए तैयारी में जुटने का निर्देश दिया. मायावती ने कहा कि बसपा दलितों, पिछड़ों और गरीबों के खून-पसीने से चलने वाली पार्टी है, पूंजीपतियों और धन्नासेठों के इशारों पर चलने वाली नहीं.
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
बसपा ने 2027 के चुनावों को देखते हुए मुस्लिम भाईचारा समितियों के गठन की प्रक्रिया तेज की है. तीन महीने में सभी स्तरों पर समितियां बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. मायावती खुद रणनीति पेश करेंगी. पार्टी का मकसद दलित-मुस्लिम एकता के फार्मूले को दोबारा मज़बूत करना है.
समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं अमीक जमाई और फकरुल चांद हसन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नाम बदलने की राजनीति पर हमला बोला. जमई ने कहा कि इससे धार्मिक तनाव बढ़ा है और विकास रुका है, न गरीबी/भुखमरी घटी. हसन ने आरोप लगाया कि बीजेपी सिर्फ मंदिर-मस्जिद, हलाल जैसे धार्मिक मुद्दों तक सीमित है, जबकि दलितों पर अत्याचार, खाद और बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों पर बात नहीं करती.