मौलाना महमूद मदनी (Maulana Mahmood Madani) भारत के एक प्रमुख इस्लामी विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख नेताओं में से एक हैं. वे भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी विचारधारा, सामाजिक न्याय, सांप्रदायिक सौहार्द और शांति के पैरोकार माने जाते हैं।
मौलाना महमूद मदनी का जन्म 3 मार्च 1964 को हुआ था. वे एक प्रतिष्ठित धार्मिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता मौलाना असद मदनी भी जमीयत उलमा-ए-हिंद के एक प्रमुख नेता थे. उन्होंने इस्लामी शिक्षा प्राप्त करने के बाद सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की.
मौलाना महमूद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव रहे हैं और इस संगठन को मजबूती से आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह संगठन भारत में मुस्लिम समाज की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक बेहतरी के लिए काम करता है. उन्होंने कई बार सांप्रदायिक सौहार्द, शांति और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए अपनी आवाज उठाई है.
कई बार मौलाना महमूद मदनी के बयान चर्चा और विवादों में भी रहे हैं. हालांकि, वे अपनी स्पष्टवादी और निर्भीक विचारधारा के लिए जाने जाते हैं.
हिंदूवादी नेत्री साध्वी प्राची ने मुजफ्फरनगर में महमूद मदनी का नारको टेस्ट कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि मदनी जैसे लोगों को "नो जेल, नो बेल, सीधा 72 हूरों से मेल" करा देना चाहिए. साध्वी ने आरोप लगाया कि ये हिंदुस्तान का खा रहे हैं, जनसंख्या बढ़ा रहे हैं, फिर भी शोषण का रोना रोते हैं.
मौलाना महमूद मदनी और उससे पहले मौलाना अरशद मदनी ने बयान देकर सियासी भूचाल ला दिया है. बिहार चुनाव के बाद मौलाना मदनी के बयान को असदुद्दीन ओवैसी के बढ़ते सियासी कद से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में मुस्लिम कयादत या फिर इमेज बिल्डिंग का सवाल है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी के एक बयान ने हाल ही में विवादों को जन्म दिया है. उन्होंने कहा है कि जब भी zulm होगा, तब जिहाद होगा. इस बयान को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और आरोप लगे हैं कि वे भारत के मुसलमानों को जिहाद के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
जिहाद को लेकर मौलाना महमूद मदनी और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान आमने-सामने हैं. मदनी ने कहा कि मुसलमानों के दुश्मन ने जिहाद की परिभाषा ही बदल दी है तो आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि देवबंद में बच्चों को जिहाद का क्या मतलब पढ़ाया जा रहा है, उसे देखें?
जिहाद पर महमूद मदनी और आरिफ मोहम्मद खान आमने-सामने। जानिए इस्लाम में जिहाद का असली मतलब, विवाद, परिभाषा और कुरान-हदीस का संदर्भ.
बीजेपी के पूर्व विधायक संगीत सोम ने मौलाना मदनी के 'जिहाद' वाले बयान पर निशाना साधा. उन्होंने मदनी को 'बीमार मानसिकता' वाला बताया और आरोप लगाया कि वह जिस संस्थान से आते हैं, वहां से आतंकी निकलते हैं. सोम ने चेतावनी दी, "कहीं ऐसा न हो कि सनातनी सड़कों पर उतरकर तुम जैसे मौलानाओं को दौड़ा-दौड़ा कर पाकिस्तान तक छोड़ आएं."
बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने मौलाना महमूद मदनी के जिहाद संबंधी बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कुरान के अनुसार जिहाद का अर्थ अत्याचार और अन्याय के खिलाफ खड़े होना है, न कि देवबंद की किताबों में बताई गई परिभाषा. ख़ान ने आरोप लगाया कि बच्चों को जिहाद का सही अर्थ नहीं पढ़ाया जाता और कई शिक्षण स्थान गलत व्याख्याएँ फैला रहे हैं.
मौलाना महमूद मदनी ने भोपाल के कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिहा द तक और एसआईआर से लेकर वक्फ कानून तक पर तीखी टिप्पणी की. जहां मदनी ने वंदे मातरम पर भी तंज किया, जिसके 150 साल पूरे होने पर देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. लेकिन मदनी ने आज जब 'जिंदा कौम' का जिक्र किया तो उन्होंने कहीं ना कहीं ये संदेश दिया कि वंदे मातरम् को स्वीकार नहीं किया जाएगा. देखें शंखनाद.
वंदे मातरम गीत जो स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है, वर्तमान में राजनीति के केंद्र में है. जमीयत उलेमा हिंद के महमूद मदनी के बयान से विवाद बढ़ा है. बीजेपी ने उनके बयान को भड़काऊ बताया है. संसद सत्र में वंदे मातरम पर चर्चा हो सकती है. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस गीत को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं कि क्या इसे धार्मिक या राजनीतिक नजरिये से देखा जाना चाहिए. देखें दंगल.
भोपाल में जमीयत उलेमा-ए हिंद की governing body की बैठक में मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लेकर गंभीर सवाल उठाए. मदनी ने कहा कि सरकार के दबाव में फैसले लिए जा रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट को 'सुप्रीम' कहा जाना उचित नहीं है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि जब भी जुल्म होगा तब जिहाद होगा.
मौलाना महमूद मदनी के बयान पर बीजेपी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. विधायक रामेश्वर शर्मा ने इसे संविधान और न्यायपालिका पर हमला बताते हुए आरोप लगाया कि मदनी समाज में वैमनस्य और अलगाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. शर्मा ने चेतावनी दी कि राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वहीं मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि भारत में रहना है तो संविधान और वंदे मातरम का सम्मान करना होगा.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बाबरी मस्जिद और तलाक जैसे मामलों के फैसलों को लेकर न्यायपालिका पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने 1991 के उपासना स्थल अधिनियम के बावजूद हुई कार्रवाइयों पर सवाल उठाए और कहा कि सुप्रीम कोर्ट तभी तक ‘सुप्रीम’ है जब तक वह संविधान की रक्षा करता है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर और नारे लगाने पर यूपी पुलिस की कार्रवाई को नाइंसाफी बताया. उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद से मोहब्बत मुसलमानों के ईमान का अहम हिस्सा है और इसके बिना सब अधूरा है. मदनी ने सरकार से भावनाओं का सम्मान करने और मुस्लिम युवाओं से धैर्य, समझदारी व कानूनी रास्ता अपनाने की अपील की.
जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली के एक होटल में विपक्षी सांसदों के लिए डिनर आयोजित किया. इसमें सपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य विपक्षी दलों के सांसद भी शामिल हुए.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मदरसों में शिक्षा दी जाती है, नोट छापने का कारोबार नहीं. उन्होंने सवाल उठाया, "मदरसे में नोट छापने का कारोबार हुआ...मदरसों से पकड़े क्यों जा रहे हैं आतंकवादी?" राजभर ने यह भी स्पष्ट किया कि मऊ सदर सीट पर होने वाले उपचुनाव में उनकी पार्टी का प्रत्याशी अब्बास अंसारी के परिवार से नहीं होगा. देखें...
प्रस्ताव में केंद्र सरकार से मांग की गई है कि इस बर्बर हमले में शामिल आतंकियों को जल्द से जल्द न्याय के कठघरे में लाया जाए और उन्हें कड़ी सज़ा दी जाए. जमीयत ने साफ़ कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार जो भी आवश्यक कदम उठाएगी, संगठन उसका पूरी तरह समर्थन करेगा.
दिल्ली में जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक हुई जिसमें वक्फ कानून के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखने का निर्णय लिया गया. बैठक में कहा गया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का मुद्दा राजनीतिक है. मुस्लिम समुदाय के नाम पर राजनीति की जा रही है. देखिए VIDEO
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने बड़ा बयान दिया है. महमूद मदनी ने कहा कि वक्फ कानून का विरोध हम करते रहेंगे. देखिए VIDEO
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि खुद को धर्मनिरपेक्ष और मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का हिस्सा कहने वाले लोग मुसलमानों पर हो रहे "अत्याचार और अन्याय" पर चुप हैं.
नई दिल्ली स्थित जमीयत उलमा-ए-हिंद के मदनी हॉल में मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में कार्यकारिणी समिति की एक अहम सभा आयोजित की गई. इस सभा में देश की वर्तमान सांप्रदायिक स्थिति और ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की गई. सभा में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई और एक लाख लोकल यूनिट बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
जमीयत उलेमा ए हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने देश के मुसलमानों की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. मदनी ने आरोप लगाया कि एक विशेष वर्ग को हाशिए पर धकेलने की व्यवस्थित कोशिश की जा रही है. देखें उनका पूरा बयान.