मार्को रुबियो (Marco Rubio) संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख राजनेताओं में से एक हैं, जिन्हें रिपब्लिकन पार्टी का प्रभावशाली नेता माना जाता है, वह वर्तमान में फ्लोरिडा से सीनेटर हैं और अपनी तेजतर्रार भाषण शैली तथा रूढ़िवादी नीतियों के लिए जाने जाते हैं.
मार्को एंटोनियो रुबियो का जन्म 28 मई 1971 को मियामी, फ्लोरिडा में हुआ था. उनके माता-पिता क्यूबा से अमेरिका आए थे, इस कारण रुबियो का राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण प्रवासी परिवार की पृष्ठभूमि से प्रभावित रहा. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा से स्नातक की पढ़ाई की और आगे जाकर यूनिवर्सिटी ऑफ मियामी से कानून की डिग्री प्राप्त की.
रुबियो ने राजनीति की शुरुआत फ्लोरिडा हाउस ऑफ रिप्रेज़ेंटेटिव्स से की और 2007 में हाउस स्पीकर बने. 2010 में वह फ्लोरिडा से अमेरिकी सीनेट के लिए चुने गए. सीनेट में रहते हुए उन्होंने विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, आप्रवासन कानून और आर्थिक सुधार जैसे मुद्दों पर मुखर भूमिका निभाई.
2016 में रुबियो ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी हिस्सा लिया. हालांकि वह रिपब्लिकन प्राथमिक चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के आगे नहीं टिक पाए, लेकिन उस अभियान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रसिद्ध कर दिया.
मार्को रुबियो को रिपब्लिकन पार्टी के रूढ़िवादी गुट का हिस्सा माना जाता है. वे कम करों और छोटे सरकार के पक्षधर हैं. विदेश नीति में चीन और रूस के खिलाफ कड़े रुख के समर्थक हैं. वे धार्मिक स्वतंत्रता और पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों पर भी जोर देते हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने चेतावनी दी है कि कट्टरपंथी इस्लाम पूरी दुनिया और खासतौर पर अमेरिका के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है, क्योंकि इसका मकसद ज्यादा से ज्यादा इलाकों और लोगों पर कब्जा करना है. इसके लिए ये संगठन आतंकी हमले व हत्याओं तक को तैयार रहते हैं.
भारतीय विदेश मंत्री S. जयशंकर ने कनाडा में G-7 के विदेश मंत्रियों के बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की. रुबिया ने दिल्ली बम धमाके को आतंकी घटना बताया और भारतीय जांच एजेंसियो की सराहना की. वहीं 1 अक्टूबर से चल रहा शटजाउन अब खत्म हो गया है, फंडिंग बिल पास होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्ताक्षर किया.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दिल्ली ब्लास्ट की जांच में भारत को मदद की पेशकश के सवाल पर कहा कि भारतीय एजेंसियों इस तरह की घटनाओं की जांच करने में पूरी तरह सक्षम हैं, उन्हें हमारी जरूरत नहीं है.
भारत और अमेरिका ने मलेशिया में 10 साल का रक्षा फ्रेमवर्क समझौता साइन किया है. राजनाथ सिंह और पीट हेगसेथ की मुलाकात में इंजन डिलीवरी, मेक इन इंडिया और औद्योगिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. यह समझौता भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति को नई मजबूती देगा.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ रणनीतिक रिश्ते मजबूत करेगा, लेकिन यह भारत के साथ उसकी ऐतिहासिक साझेदारी को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने भारत को "परिपक्व कूटनीतिक साझेदार" बताया और कहा कि वॉशिंगटन कई देशों से संबंध बनाए रखेगा. रुबियो ने भारत के एनर्जी सोर्सेज में विविधता लाने की अपील की.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भारत-अमेरिका संबंधों को गहरा, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भारत भी अमेरिका के बिना संबंध रखने वाले देशों से जुड़ा रहता है, इसलिए अमेरिका का पाकिस्तान से जुड़ना सामान्य है.
अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने कहा है कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अपने सामरिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर देख रहा है, लेकिन यह भारत के साथ उनके गहरे, ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण रिश्तों के नुकसान पर आधारित नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत इस मामले में परिपक्व और कूटनीतिक रूप से समझदार है.
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने साफ किया कि भविष्य में गाजा के प्रशासन या सरकार में हमास की कोई भूमिका नहीं होगी. साथ ही UNRWA की भी गाजा में कोई भूमिका नहीं दी जानी चाहिए. रूबियो ने बताया कि गाजा में सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बल बनाया जाएगा लेकिन इसमें केवल वे देश शामिल होंगे जिन पर इजराइल को भरोसा है.
मार्को रुबियो से जब संवाददाताओं ने यह पूछा कि उन्हें कितनी उम्मीद है कि हमास क्या इस हफ्ते बंधकों को रिहा कर देगा? इस पर रुबियो ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमास बंधकों को जल्द से जल्द रिहा करे.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिजों जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के निरंतर सहयोग की सराहना की. रुबियो और जयशंकर ने मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्वाड के माध्यम से सहयोग जारी रखने पर सहमति जताई.
इससे पहले जुलाई में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ भी लगाया था. इसके बावजूद दोनों देशों ने वार्ता का सिलसिला जारी रखा है और साझेदारी की निरंतरता का संदेश देने की कोशिश की है.
H-1B वीजा विवाद और ट्रंप की नई पॉलिसी के बीच जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो मिले. India-US संबंधों को बताया अहम और सहयोग पर जोर.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के इतर अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर अभिवादन किया. यह बैठक उनकी पहली आमने-सामने मुलाकात है, जब से व्यापार तनाव बढ़ा है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच आज एक अहम बैठक होने वाली है. ट्रंप प्रशासन द्वारा 50% टैरिफ लगाने के बाद दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच यह पहली मुलाकात है.
इजरायल ने गाजा सिटी पर भारी बमबारी और जमीनी हमला शुरू किया. इस हमले का टारगेट हमास को खत्म करना है. अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने समर्थन दिया, लेकिन यूएन ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाया. गाजा में 64,964 लोग मारे गए. मानवीय संकट गहरा रहा है. शांति वार्ता रुकी हुई है.
कतर पर इजरायली हमले के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो अपने येरुशलम दौरे पर पहुंचे. जहां उन्होनें नेतन्याहू के साथ वेस्टर्न वॉल पर प्रार्थना की. वहीं दूसरी ओर कतर पर हुए इजरायली हमले को लेकर अरब और इस्लामिक देशों की अहम बैठक हुई. जिसमें सहमति से इस हमले की निंदा की और साथ ही इसे कायरता पूर्ण और क्रूर आक्रमण बताया.
अमेरिका में ट्रक चलाकर पैसे कमाने की चाहत रखने वाले भारतीय ड्राइवर्स के लिए झटका देने वाली खबर है..दरअसल ट्रंप प्रशासन ने विदेशी ट्रक ड्राइवरों को कमर्शियल लाइसेंस देने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है..
रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका ने भारत पर सख्ती दिखाई थी और अब वो चीन के पीछे पड़ता दिख रहा है. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने रूसी तेल खरीदकर उसे यूरोपीय देशों को बेचने को लेकर चीन पर निशाना साधा है. उन्होंने यूरोपीय देशो को भी सख्त मैसेज दिया है.
रूबियो ने कहा कि रूसी तेल पर प्रतिबंध लगे हुए हैं, इसलिए रूस उन्हें वैश्विक कीमतों से कम दाम पर बेच रहा है और भारत उसे खरीद रहा है. दुर्भाग्यवश, इससे रूस को यूक्रेन के साथ जंग जारी रखने में मदद मिल रही है. यही कारण है कि यह हमारे रिश्तों में एक अहम चिंता का कारण बना हुआ है.
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर साइन न हो पाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को विदेशी दखल से बचाए रखना चाहता है. दूसरी ओर, अमेरिका चाहता है कि उसे भारत के कृषि बाजार में ज्यादा पहुंच मिले, विशेषकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों, डेयरी उत्पादों, मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और एथनॉल जैसे प्रोडक्ट्स के लिए. अमेरिका इन क्षेत्रों में टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है.
रूबियो ने कहा कि अमेरिका लगातार संघर्षों को रोकने के लिए सीजफायर की अपील कर रहा है, लेकिन बातचीत मुश्किल है जब तक लड़ाई जारी रहती है. उन्होंने कहा, 'सीजफायर तभी हो सकता है जब दोनों पक्ष एक-दूसरे पर गोली चलाना बंद करने पर राजी हों. रूसियों ने इसके लिए अब तक सहमति नहीं दी है.' यह बयान उन्होंने यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में दिया.