एलएसी
एलएसी (LAC) यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल या वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) एक काल्पनिक सीमांकन रेखा है. यह भारत-नियंत्रित क्षेत्र को चीन-भारत सीमा में चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करती है (Line Between Chin and India).
यह भारत-चीन सीमा विवाद (Sino-Indian Border Dispute) में प्रत्येक देश द्वारा दावा की गई सीमाओं से अलग है. भारतीय दावों में पूरा अक्साई चिन (Aksai Chin) क्षेत्र शामिल है और चीनी दावे में अरुणाचल प्रदेश शामिल है. ये दावे "वास्तविक नियंत्रण" (Actual Control) में शामिल नहीं हैं.
एलएसी को आम तौर पर तीन क्षेत्रों में विभाजित (LAC, Divided into 3 Sectors) किया गया है -
पहला, भारत की ओर लद्दाख (Ladakh) और चीन की ओर तिब्बत (Tibet) और झिंजियांग (Xinjiang) स्वायत्त क्षेत्रों के बीच पश्चिमी क्षेत्र. यह क्षेत्र 2020 चीन-भारत झड़पों का स्थान था (First, Western Sector).
दूसरा, भारतीय पक्ष में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश (Uttarakhand and Himachal Pradesh) के बीच मध्य क्षेत्र और चीनी पक्ष में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (Second, Middle Sector).
तीसरा, भारत की ओर अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) और चीन की ओर तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बीच पूर्वी क्षेत्र. यह क्षेत्र आम तौर पर मैकमोहन रेखा (McMahon Line) बनाता है (Third, Eastern Sector).
लद्दाख में हनले-चुमर 91 किमी सड़क खुल गई है. BRO ने 14500-17200 फीट ऊंचाई पर ये सड़क बनाई है. सालसा ला दर्रे से गुजरती है. सेना की रणनीतिक मदद करेगी. पर्यटन बढ़ाएगी – हनले वेधशाला, झीलें जोड़ेगी.
गोरखपुर में एक कार्यक्रम के दौरान सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि चीन के साथ सीमा विवाद भारत की सबसे बड़ी सैन्य चुनौती है. उन्होंने चाणक्य का जिक्र करते हुए चार प्रमुख राष्ट्रीय खतरे भी गिनाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. LAC पर शांति और आपसी सम्मान के बीच India-China relations को और मजबूत करने पर चर्चा हुई. SCO Summit 2025 से पहले यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों में अहम मानी जा रही है.
चीन के विदेश मंत्री भारत दौरे पर हैं और एलएसी विवाद पर विशेष प्रतिनिधि स्तर की 24वीं बैठक हुई, जिसमें विदेश मंत्री और एनएसए डोभाल शामिल हुए. भारत ने रिश्ते सुधारने के लिए परस्पर सम्मान, संवेदनशीलता और हित पर जोर दिया. इस बीच अमेरिका के टैरिफ रुख से भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास आई, जिसका चीन ने फायदा उठाया.
गलवान की घटना के बाद भारत ने बुनियादी ढांचे के विस्तार में तेजी से काम किया है. वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.53% ज्यादा हैं. इसमें से 7,146 करोड़ रुपये सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के लिए अलग रखे गए, जिसने अकेले 2024 में 2,236 करोड़ रुपये के 75 प्रोजेक्ट पूरे किए हैं.
सेना की मौजूदा 3 डिवीजन के अतिरिक्त इस नई Division का गठन किया गया है, जिस पर पूरे एलएसी क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी. सेना का यह फैसला ऑर्डर ऑफ बैटल में बड़े बदलाव का हिस्सा है, जिसमें मौजूदा सैनिकों की दोबारा तैनाती भी शामिल है.
बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन (WMCC) की 33वीं बैठक के दौरान इस पर चर्चा हुई. इस दौरान भारत के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई गौरांगलाल दास ने की जबकि चीन की अगुवाई चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हॉन्ग लियांग ने की.
भारत और चीन के बीच बीजिंग में कूटनीतिक वार्ता हुई है जिसमें दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके अलावा LAC के हालात की समीक्षा और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर भी चर्चा की गई है.
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर 21 अक्टूबर 2024 को एक एग्रीमेंट हुआ था. यह एग्रीमेंट 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम था.
भारत भले ही चीन के साथ 6 प्वाइंट्स पर समझौता करके आया हो. लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की रिपोर्ट खतरनाक खुलासा करती है. 2020 के विवाद के बाद चीन ने अब तक LAC की दूसरी तरफ सैन्य ताकत बढ़ाई है. एयरबेस और सड़कें बनाई हैं. उसकी तैयारी लंबे समय की दिख रही है.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल चीन के साथ सीमा विवाद मुद्दों पर विदेश मंत्री वांग यी से चर्चा करेंगे. डोभाल की इस यात्रा का मुख्य एजेंडा पूर्वी लद्दाख पर सैन्य गतिरोध की वजह से चार से अधिक साल से मंद पड़ी द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करना है.
भारत और चीन सीमा के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर की यह बैठक 17 और 18 दिसंबर को होगी. इस दौरान डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ चर्चा करेंगे. इस यात्रा को दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत और चीन ने अक्टूबर में संघर्ष वाले इलाकों से सैनिकों की वापसी पर सहमति बनने के बाद नवंबर की शुरुआत में क्षेत्र में पहली कोऑर्डिनेशन पेट्रोलिंग की. रक्षा सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक क्षेत्र (डेमचोक और देपसांग) में एक बार भारतीय सैनिकों द्वारा और एक बार चीनी सैनिकों द्वारा गश्त की जाएगी.
चीन के साथ पेट्रोलिंग समझौते के बीच भारतीय सेना 17, 800 फीट की ऊंचाई पर एलएसी पर पांचवें साल भी भयंकर ठंड के बीच सरहद की सुरक्षा के लिए तैयार है. उनकी मुस्तैदी और चट्टानी इरादों का वीडियो फायर एंड फ्यूरी कोर ने जारी किया है. जिसमें जवान एयर डिफेंस गन ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं. देखें रणभूमि.
लद्दाख स्थित भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 17,800 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना के हौंसले और जज्बे की तस्वीर आई हैं. जिसमें ये देखा जा सकता है कि कैसे भारतीय सेना ने 17,800 फीट की खड़ी चढा़ई पर तकरीबन 12000 kg की एंटीक्राफ्ट गन को महज रस्सों के जरिये खींचकर तैनात कर दिया. फायर एंड फ्यूरी कोर के माध्यम से इन तस्वीरों को जारी किया है.
पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक इलाकों में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. लेकिन दोनों देश का अगला कदम क्या होगा इसको लेकर काफी चर्चा हो रही है. इसका जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया है. उन्होंने सीमा पर भारत-चीन संबंधों को सुधारने के लिए तीन प्लान बताए हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया में प्रवासी भारतीयों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि LAC पर भारत और चीन ने सैनिकों के पीछे हटने की दिशा में 'कुछ प्रगति' की है, आप जानते हैं कि हमारे संबंध बहुत खराब थे, जिसके कारण भी आप सभी जानते हैं.
अगर शांति चाहते हैं तो युद्ध के लिए तैयार रहें यानी सेना अगर युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार है तो दुशमन जंग में उतरने के बार में नहीं सोचता. LAC पर भारतीय सेना की तैयारियों में पिछले 4-5 सालों में बड़ा उछाल आया है और उसी का नतीजा है कि चीन पीछे हटने को मजबूर हुआ है. 4 साल बाद देपसांग-डैमचोक में पैट्रोलिंग शुरू हो चुकी है. देखें वीडियो.
केंद्रीय अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीनी सैनिकों से बातचीत की है. उन्होंने एलएसी पर 15,000 फीट की ऊंचाई पर मौसम और वहां हालात के बारे में पूछा. रिजिजू ने यहां बुमला में भारतीय सेना के जवानों के साथ दिवाली मनाई.
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती बुमला क्षेत्र में जवानों के साथ दिवाली का त्योहार मनाया. इस दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उनकी चीनी सैनिकों से छोटी मुलाकात भी हुई. रिजिजू, जो खुद अरुणाचल प्रदेश से संबंध रखते हैं, ने सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों के साहस की प्रशंसा की और चीनी सैनिकों से भी संक्षिप्त बातचीत की. देखें वीडियो.
पूर्वी लद्दाख के देपांग और डेमचोक इलाकों में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. रक्षा सूत्रों ने आजतक को बताया कि भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दोनों ही वर्तमान में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास संवेदनशील क्षेत्रों में कर्मियों की वापसी और सैन्य बुनियादी ढांचे को खत्म करने की पुष्टि कर रही हैं.