लद्दाख में एक नई सड़क ने सीमाओं की सुरक्षा और पर्यटन को नई ताकत दी है. बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के प्रोजेक्ट हिमांक ने हनले से सीमा गांव चुमर तक 91 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई है. यह सड़क अब जनता के लिए खुल गई है.
यह रास्ता 14500 से 17200 फीट की ऊंचाई से गुजरता है, जिसमें सालसा ला दर्रा भी शामिल है. यह सड़क न सिर्फ सेना के लिए रणनीतिक मदद देगी, बल्कि लोगों और पर्यटकों के लिए भी आसान यात्रा बनेगी.
यह सड़क लद्दाख के दूरस्थ इलाकों को जोड़ेगी. हनले वेधशाला, क्युन त्सो झील, चिलिंग त्सो झील और आगे त्सो मोरीरी तक का सफर आसान हो जाएगा. सेना के लिए यह LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तुरंत पहुंच देगी. BRO ने कठिन मौसम और ऊंचाई के बावजूद इसे पूरा किया. इससे सेना की तैयारी मजबूत होगी, पर्यटन बढ़ेगा और लद्दाख के दूरदराज इलाकों में आर्थिक विकास होगा.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में 50 बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. इनमें से 16 लद्दाख में हैं, जो प्रोजेक्ट हिमांक और प्रोजेक्ट विजयक के तहत बने. इनकी लागत 947.43 करोड़ रुपये है. ये प्रोजेक्ट्स लद्दाख के लोगों को समर्पित हैं. हनले-चुमर सड़क इन्हीं में से एक है.

2020 के गलवान संघर्ष के बाद LAC पर सड़क कनेक्टिविटी पर जोर बढ़ा. सेना को तेज मदद पहुंचाने के लिए नई सड़कें जरूरी हो गईं. लद्दाख में 8 महत्वपूर्ण सड़कें बनीं, जो प्रोजेक्ट हिमांक के तहत हैं. ये हैं...
ये सड़कें न सिर्फ सेना के लिए लॉजिस्टिक्स सुधारेंगी, बल्कि सीमावर्ती गांवों में सिविलियन कनेक्टिविटी भी बढ़ाएंगी.
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लद्दाख में 6 नए पुल भी बनाए गए. प्रोजेक्ट हिमांक के तहत कंग्लाजल ब्रिज-I, कंग्लाजल ब्रिज-II, फुकचे ताल्जा ब्रिज और फुकचे लुंगपा ब्रिज. प्रोजेक्ट विजयक के तहत हानू योक्मा ब्रिज और डोमखर ब्रिज. ये पुल कठिन इलाकों में यात्रा को सुरक्षित बनाएंगे.
दो और बड़े काम पूरे हुए. हनले में एक विशेष गोला-बारूद गुफा बनी, जो ऊंचाई पर हथियारों को सुरक्षित रखेगी. चांग ला और वारी ला पर ILCB तकनीक से सड़कें चढ़ाई गईं, जो कठोर इलाकों में मजबूती देंगी.
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BRO ने लद्दाख में उमलिंग ला दर्रे पर 19,024 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क बनाई. यह माउंट एवरेस्ट के साउथ बेस कैंप (17,598 फीट) और नॉर्थ बेस कैंप (16,900 फीट) से भी ऊंची है. यह रिकॉर्ड BRO की मेहनत दिखाता है.
ये प्रोजेक्ट्स सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देते हैं. दूरदराज इलाकों में विकास लाते हैं. सेना को तेज मदद मिलेगी, स्थानीय लोग आसानी से घूमेंगे.