हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (IGMC) में स्वास्थ्य सेवाओं पर आ गया है. रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA) ने पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉ. राघव निरुला की बर्खास्तगी के विरोध में 26 दिसंबर को एक दिवसीय सामूहिक कैजुअल लीव का ऐलान किया है. यह विवाद 22 दिसंबर की घटना से उपजा है, जिसमें चोपल निवासी मरीज अर्जुन पवार (36 वर्षीय) के साथ डॉ. राघव की झड़प का वीडियो वायरल हुआ था.
वीडियो के वायरल होने से जनआक्रोश फैला और राज्य सरकार पर स्वास्थ्य सुधारों के दावों के बीच दबाव बढ़ा. शिमला पुलिस ने सदर थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 125(ए), 115(2) और 3(5) के तहत एफआईआर दर्ज की. आईजीएमसी प्रशासन और जांच समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद राज्य सरकार ने डॉ. राघव को टर्मिनेट कर दिया. जांच समिति ने दोनों पक्षों को झड़प के लिए जिम्मेदार ठहराया था. आरडीए अध्यक्ष डॉ. सोहिल शर्मा ने कहा, 'हम सबसे पहले सरकार से संवाद चाहते हैं. 26 दिसंबर सुबह मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी. यदि मांगें तय समय में पूरी नहीं हुईं तो 27 दिसंबर सुबह 9:30 बजे से हड़ताल शुरू कर दी जाएगी.'
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उन्होंने स्पष्ट किया कि इमरजेंसी सेवाएं जारी रहेंगी, लेकिन ओपीडी, रूटीन ऑपरेशन थिएटर और अन्य सेवाएं बंद रहेंगी. इससे प्रदेश के सबसे बड़े टर्शियरी केयर अस्पताल में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. आरडीए की प्रमुख मांगें हैं कि डॉ. राघव की बर्खास्तगी आदेश तुरंत रद्द किया जाए. डॉक्टर को धमकी देने वाले नरेश दस्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. भीड़ द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर तत्काल कानूनी कार्रवाई हो. अस्पताल में सीसीटीवी कवरेज और सुरक्षा व्यवस्था की कमी की समीक्षा कर जिम्मेदारी तय की जाए.
हिमाचल मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन (HMOA) ने भी 26 दिसंबर को एक दिवसीय सामूहिक अवकाश का ऐलान कर आरडीए के साथ एकजुटता दिखाई है. लद्दाख मेडिकल एसोसिएशन (LMA) ने भी डॉ. राघव के साथ एकजुटता जताई और हमले के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की. एलएमए अध्यक्ष डॉ. मेहदी अली ने डॉ. राघव की बर्खास्तगी को अन्यायपूर्ण बताया और कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा में कदम उठाया था. इसके लिए डॉक्टर को दंडित करना खतरनाक मिसाल कायम करता है.