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बी2 बॉम्बर

बी2 बॉम्बर

बी2 बॉम्बर

B-2 बॉम्बर (B2 Bomber) का निर्माण अमेरिका की नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन कंपनी ने किया है. एक-एक विमान की लागत लगभग 2.2 अरब डॉलर (करीब 19,000 करोड़ रुपये) है. यही नहीं, इस मिशन में जिन ‘बंकर बस्टर’ बमों का उपयोग किया गया- GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर, उनमें से हर बम की कीमत लगभग 20 मिलियन डॉलर (करीब 173 करोड़ रुपये) बताई गई है. ये बम 200 फीट गहरे कंक्रीट बंकरों को भी भेद सकते हैं.

B-2 की विशेषताओं की बात करें तो  B-2 बॉम्बर की लंबाई 69 फीट, चौड़ाई (विंगस्पैन) 172 फीट, और ऊंचाई 17 फीट है. इसका खाली वजन: 71,700 किलोग्राम, अधिकतम वजन (हथियारों के साथ): 1.70 लाख किलोग्राम, और गति 1010 किमी/घंटा है. इसकी रेंज: 11,000 किमी है.

ईरान और इजरायल के बीच चल रहे इस संघर्ष में अमेरिका के अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से उड़ान भरते हुए ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान- को निशाना बनाया.

अमेरिका (America) ने ईरान की तीन परमाणु साइट्स को निशाना बनाया और ध्वस्त कर दिया. 40 घंटे से ज्यादा चले इस मिशन को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने अपने B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया.

इजरायल और ईरान जंग के बीच अमेरिका द्वारा ईरान की तीन परमाणु साइट्स पर एयर स्ट्राइक की गई. B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर अमेरिकी वायुसेना का सबसे उन्नत और महंगा हथियार है. इसकी खासियत ये है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आ पाता है.

पूर्व भारतीय अधिकारी अजय अहलावत ने इस हमले को लेकर अपनी एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में B-2 स्पिरिट बॉम्बर की ताकत और तकनीकी विशेषताओं का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि यह विमान "अदृश्य विनाशक" के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह रडार की पकड़ में नहीं आता. अमेरिकी वायुसेना का यह सबसे महंगा और उन्नत बमवर्षक है.

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