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क्या ईरान ने अमेरिकी हमले से पहले छिपा लिया 400 KG यूरेनियम? ये 10 परमाणु बम बनाने के लिए काफी

यूरेनियम का ये स्टॉक 60 प्रतिशत तक एनरिच्ड है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90 प्रतिशत से कम है. यह सामान इस्फहान के पास एक दूसरे न्यूक्लियर कॉम्पलेक्स के काफी अंदर स्टोर किया गया था.

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अमेरिका ने ईरान की फोर्डो साइट पर गिराए थे बम (Satellite Image: X/@MaxarTechnologies)
अमेरिका ने ईरान की फोर्डो साइट पर गिराए थे बम (Satellite Image: X/@MaxarTechnologies)

अमेरिकी की तरफ से ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकाने फोर्डो, नतांज और इस्फहान में भारी बमबारी की गई थी. इस हमले से पहले ईरान स्पेशल बैरलों में 400 किलोग्राम यूरेनियम स्टॉक को छुपाकर संभवतः एक सीक्रेट जगह पर ले गया. ये बैरल इतने छोटे हैं कि करीब 10 कारों के डिब्बों में समा सकते हैं और इतनी मात्रा के यूरेनियम से करीब 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं. 

ईरान के पास सौदेबाजी का मौका 

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रॉसी दोनों ने इस बात को स्वीकार किया कि यह चीज गायब है, जो संभवतः ईरान के लिए एक बड़ा सौदेबाजी का साधन है, जब भी वह शांति वार्ता के लिए सामने आता है.

ये भी पढ़ें: 3 ठिकाने, 7 बॉम्बर्स और 25 मिनट... ईरान के खिलाफ US के ऑपरेशन 'मिडनाइट हैमर' की पूरी कहानी

जेडी वेंस ने एबीसी को बताया कि जब भी दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता होगी, तो तेहरान के साथ बातचीत में बम-ग्रेड यूरेनियम एक अहम हिस्सा होगा. उन्होंने कहा, 'हम आने वाले हफ़्तों में यह सुनिश्चित करने के लिए काम करने जा रहे हैं कि हम उस फ्यूल के साथ कुछ करें और यह उन चीजों में से एक है जिसके बारे में हम ईरानियों के साथ बातचीत करने जा रहे हैं.'

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हालांकि, उपराष्ट्रपति ने बताया कि अमेरिकी हवाई हमलों ने ईरान के प्लान को काफी पीछे धकेल दिया है, क्योंकि तेहरान के पास अब उस फ्यूल को एक्टिव हथियारों में बदलने के लिए जरूरी उपकरण नहीं हैं.

400 किलो स्टॉक को छिपाया?

इस बीच, आईएईए के प्रमुख ग्रॉसी ने CNN को बताया कि ईरान ने 'इस बात को छिपाया नहीं है कि उन्होंने मैटेरियल की सुरक्षा की है'. बाद में उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को भेजे मैसेज में यह स्वीकार किया कि वह 400 किलोग्राम यूरेनियम स्टॉक की बात कर रहे थे. IAEA प्रमुख ने NYT को यह भी बताया कि इस चीज को आखिरी बार उनकी UN टीम के निरीक्षकों ने ईरान पर इजरायली हमले से करीब एक सप्ताह पहले देखा था.

यह स्टॉक 60 प्रतिशत तक एनरिच्ड है, जो परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी 90 प्रतिशत से कम है. यह आइटम इस्फहान के पास एक अन्य न्यूक्लियर कॉम्पलेक्स के काफी अंदर स्टोर किया गया था.

तस्वीरों में दिखा ठिकानों को नुकसान

मैक्सार टेक्नोलॉजीज की तरफ से जारी सैटेलाइट तस्वीरों में तीनों परमाणु ठिकानों पर भारी नुकसान दिखाया गया है, साथ ही बाद की तस्वीरों में गड्ढे, टूटी इमारतें और धूल दिखाई दे रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार स्टेल्थ बॉम्बर्स की तारीफ की है, जिन्होंने इन ठिकानों पर 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बम गिराए और दावा किया कि इस एक्शन ने फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान को पूरी तरह से तबाह कर दिया है.

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ईरान के ये परमाणु ठिकाने इजरायली हमलों का भी टारगेट थे, क्योंकि तेल अवीव और वॉशिंगटन दोनों ही तेहरान की परमाणु हथियार हासिल करने की क्षमता को तबाह करना चाहते थे.

फोर्डो के बाहर दिखे कार्गो ट्रक 

परमाणु ठिकानों को हुआ नुकसान साफ है, लेकिन इजरायली सेना के शुरुआती विश्लेषण में कहा गया है कि अमेरिकी हमलों ने साइटों को पूरी तरह से तबाह नहीं किया. इसके अलावा, अमेरिकी बमबारी के बाद फोर्डो की पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीरों ने इस बात पर चर्चा छेड़ दी है कि क्या ईरान ने अमेरिका और इजरायल को चकमा दे दिया है. हमले से पहले की तस्वीरों में 16 कार्गो ट्रक एक एंट्री गेट के पास खड़े दिखाई दिए. हालांकि, बाद की सैटेलाइट इमेज में वाहन कहीं नहीं दिखे.

ये भी पढ़ें: अमेरिका ने 'डेडलाइन' से पहले क्यों किया अटैक? कहीं ईरान के परमाणु ठिकाने की ये सैटेलाइट तस्वीरें वजह तो नहीं

फ्री प्रेस ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि ये वाहन 24 घंटे के टाइमफ्रेम में आते-जाते रहे, ऐसा लगता है कि ये वाहन आधे मील की दूरी पर किसी सीक्रेट आइटम को ले जा रहे थे. अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी और इजरायली खुफिया अधिकारियों को उस समय इस गतिविधि के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और इसके बजाय हमले के लिए ट्रंप के आदेश का इंतजार किया. न्यूयॉर्क पोस्ट ने ईरानी सरकारी मीडिया का हवाला देते हुए बताया कि सभी तीन परमाणु ठिकानों को खाली करा लिया गया था.

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ट्रंप ने किया सीजफायर का ऐलान

ट्रंप ने सोमवार को 12 दिन की जंग के बाद इजरायल और ईरान के बीच सीजफायर का ऐलान कर दिया. शुरू में इसे अस्वीकार करने के बावजूद, ईरान ने बाद में इसे स्वीकार कर लिया. जल्द ही इजरायल ने भी इसको फॉलो किया, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति को उनकी मदद के लिए धन्यवाद दिया. हालांकि, इजरायल ने कुछ घंटे बाद ईरान पर सीजफायर के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए हमले का आदेश दिया, जिसे तेहरान ने तुरंत खारिज कर दिया. 

इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर से दोनों पक्षों को सख्ती के साथ सीजफायर का पालन करने की नसीहत दी है. उन्होंने इजरायल को लताड़ लगाते हुए कहा कि सीजफायर के तुरंत बाद हमला नहीं करना चाहिए था. साथ ही इजरायल से तत्काल अपने पायलट वापस बुलाने के लिए कहा है. इसके साथ ही उन्होंने ईरान के रवैये पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की है.

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