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इस साल के 99% दिन भारतीयों ने झेली चरम मौसम की मार... इस हाल के जिम्मेदार भी हम

इस साल हम भारतीयों ने 273 दिनों में से 270 दिन भयानक मौसम की मार झेली है. जिसमें लू, बाढ़, ठंड, लैंडस्लाइड शामिल है. इससे सभी 36 राज्य प्रभावित हुए हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ हिमाचल प्रदेश. यहां 217 दिन ऐसे खतरनाक मौसम देखे गए. यह संकट अब रोजमर्रा का हाल बन गया है. कारण मौसम का बदलना है, जो हमारी हरकतों से बदल रहा है.

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जुलाई में हिमाचल प्रदेश के मंडी में इतनी बारिश हुई कि पंचवक्त्र मंदिर लगभग डूब गया था. (File Photo: PTI)
जुलाई में हिमाचल प्रदेश के मंडी में इतनी बारिश हुई कि पंचवक्त्र मंदिर लगभग डूब गया था. (File Photo: PTI)

भारत में मौसम अब पहले जैसा नहीं रहा. साल 2025 के पहले 9 महीनों (जनवरी से सितंबर) में कुल 273 दिनों में से 270 दिन देश के किसी न किसी हिस्से में चरम मौसम (Extreme Weather) की घटनाएं हुईं. यानी करीब 99% दिन भारत ने लू, शीत लहर, आंधी-तूफान, भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन या बिजली गिरने जैसी आपदाएं झेलीं. 

यह खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) और डाउन टू अर्थ की नई रिपोर्ट क्लाइमेट इंडिया 2025 में हुआ है. रिपोर्ट कहती है कि अब चरम मौसम पूरे देश में फैल गया है. सभी 36 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रभावित हुए – यह पिछले 4 साल में पहली बार हुआ है. इससे मौतें भी 48% बढ़ गईं – 2025 में 4064 लोग मारे गए. 

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Extreme Weather India

सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य

  • हिमाचल प्रदेश: 217 दिन (सबसे ज्यादा) – भूस्खलन और बाढ़ ज्यादा.
  • केरल: 147 दिन – भारी बारिश और बाढ़.
  • मध्य प्रदेश: 144 दिन – लू और बाढ़.
  • उत्तर-पश्चिम भारत (चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड) में 257 दिन चरम मौसम रहा. 

फरवरी से सितंबर तक लगातार 8 महीने 30 राज्यों में हर महीने चरम घटनाएं हुईं. फरवरी, अप्रैल से सितंबर तक हर दिन देश में कहीं न कहीं ऐसी घटनाएं दर्ज हुईं. 

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चरम मौसम क्या होता है?

संयुक्त राष्ट्र के IPCC के अनुसार, चरम मौसम वो घटनाएं हैं जो किसी जगह पर सामान्य से बहुत अलग और खतरनाक होती हैं. भारत में IMD (मौसम विभाग) इन्हें इस तरह परिभाषित करता है...

  • बहुत भारी बारिश: 24 घंटे में 12-20 सेमी से ज्यादा.
  • लू: तापमान 40-45 डिग्री से ऊपर.
  • शीत लहर: बहुत ठंड.
  • चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन, ओले, आंधी, बिजली गिरना आदि. 

IMD की वेबसाइट क्लाइमेट हजार्डस एंड वल्नेरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया (2022 में लॉन्च) में ये परिभाषाएं हैं.

Extreme Weather India

वैज्ञानिक कारण: जलवायु परिवर्तन मुख्य दोषी

चरम मौसम क्यों बढ़ रहा है? वैज्ञानिकों के अनुसार, मुख्य कारण मानव गतिविधियां हैं जो जलवायु बदल रही हैं. यहां सरल भाषा में कारण...

ग्रीनहाउस गैसें और ग्लोबल वॉर्मिंग: हम कोयला, पेट्रोल-डीजल जलाते हैं तो CO2, मीथेन जैसी गैसें निकलती हैं. ये गैसें सूरज की गर्मी को धरती से बाहर नहीं जाने देतीं – इसे ग्रीनहाउस प्रभाव कहते हैं. 1957 के बाद 2024-25 में CO2 का सबसे बड़ा इजाफा हुआ. नतीजा: धरती का तापमान 1.1-1.5 डिग्री बढ़ गया, जिससे लू 30 गुना ज्यादा होने लगी. भारत में 2024 की एक-तिहाई लू जलवायु परिवर्तन से आई. 

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समुद्र गर्म होना और ज्यादा नमी: हिंद महासागर तेजी से गर्म हो रहा है. गर्म पानी से ज्यादा भाप हवा में जाती है, जिससे बादल भारी हो जाते हैं. तेज बारिश होती है. इससे बाढ़, भूस्खलन बढ़े. केरल, हिमाचल में यही कारण है.

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जेट स्ट्रीम कमजोर होना: उत्तर ध्रुव (आर्कटिक) तेजी से गर्म हो रहा है, जिससे हवा की तेज धाराएं (जेट स्ट्रीम) कमजोर पड़ रही हैं. पहले मौसम तेज बदलता था, अब एक जगह पर लंबे समय तक अटक जाता है – जैसे लंबी लू या लगातार बारिश. 

शहरीकरण और भूमि उपयोग में बदलाव: शहरों में कंक्रीट के जंगल बढ़ने से हीट आइलैंड प्रभाव होता है – शहर गांवों से 5-7 डिग्री गर्म हो रहे हैं. जंगल कटने से प्राकृतिक ठंडक कम हो गई. एरोसोल (धुंध) और भूमि बदलाव से बाढ़ का खतरा बढ़ा है.

Extreme Weather India

अल नीनो का असर बढ़ना: प्राकृतिक चक्र जैसे अल नीनो अब जलवायु परिवर्तन से ज्यादा मजबूत हो गए, जिससे मॉनसून अनियमित होता है. इससे सूखा और बाढ़ दोनों बढ़े.

ये कारण कंपाउंड इवेंट्स (एक साथ कई आपदाएं) का खतरा बढ़ाते हैं. भारत में 71% लोग लू को जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हैं. 

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अब क्या होगा अगर हम नहीं सुधरे?

  • बाढ़, सूखा, लू बढ़ेंगे.
  • फसलें खराब, खाने की कमी.
  • बीमारियां (डेंगू, मलेरिया) फैलेंगी.
  • हिमालय ग्लेशियर पिघलेंगे – पहले बाढ़, बाद में पानी की कमी.

क्या करें?

रिपोर्ट कहती है कि CO2 उत्सर्जन कम करें – कोयला छोड़ें, सोलर-विंड एनर्जी बढ़ाएं, पेड़ लगाएं. हर राज्य अपनी जलवायु योजना बनाए. शहरों में हरा-भरा बढ़ाएं. यह रिपोर्ट चेतावनी है – चरम मौसम अब रोजमर्रा का हिस्सा बन गया है. अगर अभी नहीं जागे, तो आने वाले साल और भयानक होंगे.

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