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शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन भारत के लिए कितना अहम? जानिए ISRO साइंटिस्ट से

शुभांशु शुक्ला का एक्स-4 मिशन 11 जून 2025 को लॉन्च होगा. भारत को इससे कई तरह के फायदे मिलेंगे. गगनयान की तैयारी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शिक्षा, प्रौद्योगिकी विकास और आर्थिक लाभ मिलेंगे. 2030 में नया स्पेस स्टेशन बनेगा. भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ेगी.

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शुभांशु शुक्ला 11 जून का स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे. (फाइल फोटोः Axiom/SpaceX)
शुभांशु शुक्ला 11 जून का स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे. (फाइल फोटोः Axiom/SpaceX)

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और एक्स-4 (Ax-4) मिशन के अन्य तीन सदस्य 11 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे. यह मिशन न केवल भारत के लिए एक गर्व का पल है, बल्कि इससे देश को कई तरह के फायदे मिलेंगे. आइए, समझते हैं कि इस मिशन से भारत को क्या-क्या फायदे होंगे? 

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पूर्व इसरो वैज्ञानिक विनोद कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि शुभांशु शुक्ला का एक्स-4 मिशन भारत को वैज्ञानिक, तकनीकी, आर्थिक और सामाजिक फायदे देगा. यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती भूमिका को मजबूत करेगा, बल्कि भविष्य के मिशनों जैसे गगनयान और अगले स्पेस स्टेशन की नींव भी रखेगा. आने वाले समय में, यह मिशन भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा.

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कैसे चुने गए शुक्ला और नायर?

विनोद श्रीवास्तव ने कहा कि शुक्ला और बाकी तीन गगनयान यात्री ऐसे ही नहीं चुने गए हैं. पहले एयरफोर्स में मौजूद पायलटों से एप्लीकेशन लिया गया. उनके टेस्ट हुए. लंबी प्रक्रिया के बाद ये चार सेलेक्ट हुए. फिर इन्हें ट्रेनिंग के लिए मॉस्को भेजा गया. ये पेड ट्रेनिंग थी. कई तरह की ट्रेनिंग होती है. 

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पानी में डुबोना, रहना, उड़ना और G Force के खिलाफ सहनशीलता की ट्रेनिंग. ये वैसे ही जैसे शादियों कुंडलियां मिलाई जाती हैं. गुण मिलाए जाते हैं. सेंट्रीफ्यूगल फोर्स से लड़ने की ताकत विकसित होती है. पास करने पर कॉमन इंसान की शारीरिक क्षमता से एक या दो दर्जा ऊपर हो जाते हैं. यूरी गागिरन के टाइम इतनी ट्रेनिंग नहीं दी. 

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ट्रेनिंग के पैरामीटर्स के हिसाब चुने जाते हैं एस्ट्रोनॉट

नासा और रूसी एजेंसी के पैरामीटर्स के हिसाब से इनकी ट्रेनिंग हुई है. शुभांशु शुक्ला अपनी इस यात्रा में जो भी करेंगे वो एक विशेष अनुभव होगा. जिसका इस्तेमाल गगनयान में किया जा सकता है. हो सकता है वो गगनयान में न जाए. पर अपने अनुभव का इस्तेमाल करके बाकी गगनयान यात्रियों को फायदा दिला देंगे. 

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कुल मिलाकर ये वैश्विक अंतरिक्ष व्यापार का हिस्सा है. भारत का भविष्य स्पेस में बेहतर है. SpaceX, Axiom या नासा ये बात जानते हैं. इसलिए ये एक दोतरफा रिश्ता है. आज वो हमसे पेमेंट लेकर ट्रेनिंग और फैसिलिटी दे रहे हैं. स्पेस ट्रिप करा रहे हैं. फ्यूचर में भारत भी उनके लिए कुछ छोटा-बड़ा करेगा.  

1. वैज्ञानिक अनुसंधान

एक्स-4 मिशन के दौरान ISS पर 60 वैज्ञानिक अध्ययन और गतिविधियां की जाएंगी, जिसमें 31 देशों (जैसे अमेरिका, भारत, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, नाइजीरिया, यूएई, और यूरोप) का प्रतिनिधित्व होगा. इनमें से 12 प्रयोग विशेष रूप से भारत और नासा के सहयोग से किए जाएंगे, जिसमें 7 भारतीय और 5 नासा के है. ये प्रयोग जैविक, मानव स्वास्थ्य और तकनीकी अनुसंधान से संबंधित होंगे.  

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  • जैविक प्रयोग: पौधों के बीजों पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का असर, जो भविष्य में अंतरिक्ष में खेती के लिए मददगार होगा.
  • मानव स्वास्थ्य: अंतरिक्ष में हृदय, मांसपेशियां और मस्तिष्क पर क्या असर पड़ता है, इसका अध्ययन. यह चंद्रमा और मंगल मिशन के लिए जरूरी जानकारी देगा.
  • तकनीकी विकास: नई तकनीकों का परीक्षण, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में उपयोगी होगा.

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2. गगनयान की तैयारी

शुभांशु शुक्ला की ट्रेनिंग और ISS पर उनका अनुभव गगनयान मिशन (2025 के अंत तक) के लिए बहुत उपयोगी होगा. गगनयान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है. शुभांशु की ट्रेनिंग से हमारी टीम को अंतरिक्ष में मानव सुरक्षा और मिशन सफलता के लिए जरूरी कौशल मिलेगा. यह मिशन गगनयान की तैयारियों को और मजबूत करेगा.

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3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग

एक्स-4 मिशन भारत और नासा के बीच सहयोग को मजबूत करेगा. यह मिशन 31 देशों के प्रयोगों में भारत की भागीदारी को बढ़ाएगा. वैश्विक स्तर पर भारत की अंतरिक्ष में भूमिका को और मजबूत करेगा. यह सहयोग भविष्य में और भी बड़े प्रोजेक्ट्स, जैसे अगले स्पेस स्टेशन के निर्माण में मदद करेगा.

4. शिक्षा और प्रेरणा

इस मिशन से छात्रों और युवाओं को अंतरिक्ष में रुचि बढ़ेगी. ISS पर किए गए प्रयोगों और शुभांशु की यात्रा से प्रेरित होकर कई युवा वैज्ञानिक और इंजीनियर बनना चाहेंगे. यह शिक्षा और अनुसंधान में निवेश को बढ़ावा देगा. भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करेगा. 

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5. प्रौद्योगिकी विकास

सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में नई तकनीकों का परीक्षण होगा, जो भविष्य के मिशनों के लिए मददगार होगा. उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष में कैंसर कोशिकाओं पर दवाओं का असर जल्दी दिखता है. इसलिए यह मेडिकल रिसर्च में मदद करेगा. इसी तरह, नई सामग्रियों और तकनीकों का विकास होगा, जो पृथ्वी पर भी उपयोगी हो सकता है.

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6. आर्थिक लाभ

अंतरिक्ष उद्योग में निवेश और रोजगार सृजन होगा. एक्स-4 मिशन जैसे प्रोजेक्ट्स से भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. स्पेस टेक्नोलॉजी में निवेश से नई कंपनियां और स्टार्टअप्स बनेंगे, जो रोजगार के अवसर पैदा करेंगे.

7. वैश्विक प्रतिष्ठा

भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती भूमिका से देश की अंतरराष्ट्रीय छवि मजबूत होगी. शुभांशु शुक्ला 1984 के बाद भारत से अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे. यह उपलब्धि भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत स्थान देगी.

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8. चिकित्सा अनुसंधान

अंतरिक्ष में मानव शरीर के बदलावों का अध्ययन होगा, जो मेडिकल साइंस में मददगार होगा. उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष में ब्लड ग्लूकोज मैनेजमेंट का अध्ययन इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज वाले लोगों के लिए भविष्य की यात्रा का रास्ता खोलेगा.

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9. पृथ्वी की निगरानी

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन होगा, जो भारत के लिए महत्वपूर्ण है. ISS से पृथ्वी की निगरानी करने से हम जलवायु परिवर्तन, वन्य जीवन और प्राकृतिक आपदाओं को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे.

10. भविष्य के मिशन

एक्स-4 मिशन ISS और अन्य अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए और मिशन की नींव पड़ेगा. 2027 में एक्सिओम स्पेस पहला मॉड्यूल लॉन्च करेगा. 2030 में ISS के स्थान पर नया स्पेस स्टेशन बनेगा. शुभांशु की यात्रा इस प्रक्रिया में भारत की भूमिका को मजबूत करेगी.

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