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अगला अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बनाने का रास्ता खोलेंगे शुभांशु शुक्ला और Ax-4 मिशन

शुभांशु शुक्ला और Ax-4 मिशन 10 जून 2025 को लॉन्च होगा. ISS पर 14 दिनों में 60 प्रयोग (31 देशों से) होंगे. यह अगले स्पेस स्टेशन (2027 में) की नींव रखेगा. भारत-नासा सहयोग से गगनयान की तैयारी करेगा. 2030 में ISS समुद्र में गिराया जाएगा. उसके पहले अगले स्पेस स्टेशन का काम शुरू हो जाएगा.

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ये है Axiom का अगले स्पेस स्टेशन का मॉडल, जिसे 2027 से बनाना शुरू किया जाएगा. (फाइल फोटोः Axiom)
ये है Axiom का अगले स्पेस स्टेशन का मॉडल, जिसे 2027 से बनाना शुरू किया जाएगा. (फाइल फोटोः Axiom)

भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथी 10 जून 2025 को स्पेसएक्स ड्रैगन से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना होंगे. यह मिशन एक्स-4 (Ax-4) का हिस्सा है, जो न केवल वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए है. बल्कि अगले स्पेस स्टेशन को बनाने का रास्ता भी खोलेगा. 

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ISS का इतिहास और भविष्य

ISS दुनिया का सबसे महंगा सरकारी प्रोजेक्ट है, जिस पर 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च हुए. इसे 13 साल में बनाया गया. साल 2000 से लगातार यहं कोई न कोई एस्ट्रोनॉट रह रहा है. लेकिन इसमें एक समय में सिर्फ 6 लोग रहते हैं. ISS 400-450 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसका आकार एक फुटबॉल मैदान से बड़ा है. लेकिन 2030 में इसे समुद्र में गिरा दिया जाएगा, क्योंकि यह पुराना हो रहा है.

मिशन की स्पेशल कवरेज यहां देखें

Next Space Station, Shubhanshu Shukla, Axiom Mission

Ax-4 मिशन का उद्देश्य

Ax-4 मिशन 14 दिनों का होगा, जो ISS पर लंबे समय (6 महीने से 1 साल) रहने वाले लोगों की तुलना में बहुत कम है. लेकिन इस दौरान क्रू 60 वैज्ञानिक अध्ययन और गतिविधियां करेंगे, जो 31 देशों (जैसे अमेरिका, भारत, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, नाइजीरिया, यूएई, और यूरोप) का प्रतिनिधित्व करेंगे. यह अब तक का सबसे ज्यादा रिसर्च होगा, जो एक्सिओम स्पेस मिशन पर ISS में किया जाएगा.

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यह भी पढ़ें: ऐसे शुभांशु शुक्ला और 3 साथी जाएंगे स्पेस स्टेशन तक... तस्वीरों में देखें तैयारी

प्रयोग और अनुसंधान

  • मस्तिष्क पर असर: सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है. यह चंद्रमा और मंगल मिशन के लिए जरूरी जानकारी है.
  • हृदय और मांसपेशियां: अंतरिक्ष में हृदय और मांसपेशियां कैसे अनुकूलित होती हैं, इसका अध्ययन.
  • आंख और हाथ का समन्वय: स्पेस में आंख और हाथ का समन्वय कैसे काम करता है.
  • ब्लड ग्लूकोज मैनेजमेंट: इंसुलिन पर निर्भर डायबिटीज वाले एस्ट्रोनॉट्स के लिए भविष्य की यात्रा का रास्ता खोलना.
  • कैंसर रिसर्च: अंतरिक्ष में कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती हैं. इसलिए दवाओं का परीक्षण जल्दी हो सकता है. Ax-2 में कोलोरेक्टल कैंसर का अध्ययन किया गया था. Ax-4 में ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर का अध्ययन होगा.

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वैश्विक सहयोग

Ax-4 मिशन सिर्फ विज्ञान के बारे में नहीं है, बल्कि वैश्विक भागीदारी भी है. शुभांशु शुक्ला (भारत), स्लावोस उज्नांस्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) के साथ पेगी व्हिटसन (अमेरिका) कमांड करेंगी. ये देश लंबे समय से अंतरिक्ष में नहीं गए हैं. उदाहरण के लिए, हंगरी का आखिरी अंतरिक्ष यात्री 2009 में गया था, भारत का 1984 में (राकेश शर्मा) और पोलैंड का 1978 में.

अगला स्पेस स्टेशन

Ax-4 मिशन अगले स्पेस स्टेशन को बनाने का रास्ता खोलेगा. एक्सिओम स्पेस 2027 में पहला मॉड्यूल (PPTM) लॉन्च करेगा, जो पावर, तापमान नियंत्रण और स्टोरेज स्पेस देगा. इसके बाद 3 साल में 4 और मॉड्यूल्स (एयरलॉक, हैबिटैट और रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरिंग) लॉन्च होंगे. 2030 में, जब ISS समुद्र में गिराया जाएगा, तो एक्सिओम स्टेशन खुद एक फ्री-फ्लोटिंग लैब बनेगा.

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यह भी पढ़ें: भारत के लिए फिर राकेश शर्मा मोमेंट... कल भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन स्पेसएक्स ड्रैगन से रवाना होगा

शुभांशु शुक्ला और Ax-4 क्रू का मिशन भारत और दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह न केवल वैज्ञानिक प्रगति लाएगा, बल्कि अगले स्पेस स्टेशन की नींव भी रखेगा. ISS की जगह लेने वाला यह नया स्टेशन प्राइवेट सेक्टर (एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स) द्वारा बनाया जाएगा. यह भविष्य में और प्रयोगों और अनुसंधानों के लिए जगह देगा. आने वाले समय में यह भारत की अंतरिक्ष में बढ़ती भूमिका को और मजबूत करेगा.

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