16 सितंबर 2025 को उत्तर भारत में भारी बारिश ने एक बार फिर तबाही मचा दी. उत्तराखंड के देहरादून में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सहस्त्रधारा पर बादल फटने से बाढ़ आ गई, जिससे दुकानें बह गईं और कई लोग लापता हो गए. वहीं, हिमाचल प्रदेश के धरमपुर, मंडी और शिमला जैसे इलाकों में भारी वर्षा से बस स्टैंड डूब गए, वाहन बह गए. सड़कें बंद हो गईं. मॉनसून की विदाई शुरू हो चुकी है, लेकिन ये घटनाएं दिखाती हैं कि मौसम अब भी खतरनाक है.
देहरादून के सहस्त्रधारा में बादल फटने की घटना: पर्यटन स्थल तबाह
देहरादून का सहस्त्रधारा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां लोग गर्म पानी के झरनों और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने आते हैं. लेकिन 16 सितंबर 2025 की रात को यहां बादल फटने से भयानक बाढ़ आ गई. रात भर हुई भारी बारिश से तमसा नदी उफान पर आ गई. करलीगाड़ नाले का पानी तेजी से बहने लगा. नतीजा- कई दुकानें और घर पूरी तरह बह गए.
यह भी पढ़ें: पश्चिम की ओर खिसक गया मॉनसून... क्लाइमेट थिंक टैंक ने बताया कैसे 40 सालों में बदल गया देश का मौसम
नुकसान: नदी किनारे की कई दुकानें पानी के तेज बहाव में बह गईं, जिससे लाखों रुपये का सामान नष्ट हो गया. फन वैली के पास और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के निकट देहरादून-हरिद्वार नेशनल हाईवे पर एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया. तपकेश्वर महादेव मंदिर के परिसर में 1-2 फीट मलबा जमा हो गया. मंदिर क्षेत्र में भारी क्षति हुई. आईटी पार्क देहरादून के पास सड़कों पर वाहन खिलौनों की तरह बहते नजर आए. दो लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है.
यह भी पढ़ें: राजस्थान के रेगिस्तान में हर साल बाढ़... क्या बदल गया है भारत का क्लाइमेट?
बचाव और सरकारी प्रयास: जिला प्रशासन ने बचाव अभियान शुरू किया. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और लोक निर्माण विभाग ने जेसीबी और अन्य भारी मशीनें लगाईं. स्थानीय लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया.
जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने खुद कमान संभाली और विभिन्न विभागों से समन्वय किया. एसडीएम कुमकुम जोशी रात में ही घटनास्थल पर पहुंचीं. भारी बारिश के कारण जिला मजिस्ट्रेट ने देहरादून के सभी स्कूलों (कक्षा 1 से 12) के लिए छुट्टी घोषित कर दी. प्रशासन हाई अलर्ट मोड पर है. लापता लोगों की तलाश तेजी से की जा रही है.
कारण: रात भर की भारी वर्षा ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया. सहस्त्रधारा क्षेत्र की नाजुक भू-संरचना पहले से ही भूस्खलन के जोखिम में है. अनियोजित निर्माण ने खतरे को बढ़ा दिया.
यह भी पढ़ें: हिमालय पार कर तिब्बत पहुंच गया मॉनसून... क्या आने वाली है बड़ी मुसीबत?
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का तांडव: धरमपुर-मंडी में बस स्टैंड डूबा, सड़कें बंद
हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने जाते-जाते भारी तबाही मचा दी. 15-16 सितंबर 2025 की रात को धरमपुर (मंडी जिला) में बादल फटने से सोन खड्ड नदी उफान पर आ गई. बस स्टैंड पूरी तरह डूब गया. बसें समेत कई वाहन बह गए. मंडी और आसपास के इलाकों में भूस्खलन और बाढ़ ने कहर बरपाया.

नुकसानः धरमपुर में रात की बारिश ने ऐसा तांडव मचाया कि पूरा बस स्टैंड जलमग्न हो गया. कई वाहन, घर और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं. पूरे हिमाचल में 493 सड़कें बंद हो गईं, जिनमें तीन नेशनल हाईवे शामिल हैं-एनएच-3 (अटारी-लेह सेक्शन), एनएच-305 (ऑट-सैंज सेक्शन) और एनएच-503ए (अमृतसर-भोटा सेक्शन).
352 बिजली ट्रांसफॉर्मर खराब हो गए. 163 पानी की आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुईं. जून 20, 2025 से मॉनसून शुरू होने के बाद 409 लोग मारे गए, जिनमें 180 की मौत सड़क हादसों से हुई. 41 लोग अभी भी लापता हैं. राज्य को कुल 4,504 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
बीती रात से हो रही मूसलाधार बारिश ने मंडी, हमीरपुर, शिमला सहित कई क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई है। धर्मपुर में एक व्यक्ति के लापता होने और निहरी में तीन लोगों के निधन का समाचार अत्यंत दु:खद है, जबकि दो लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।
— CMO HIMACHAL (@CMOFFICEHP) September 16, 2025
जोगिंदरनगर में 56 मिमी, पालमपुर में 48 मिमी, पंडोह में 40 मिमी और कांगड़ा में 34.2 मिमी बारिश हुई. 1 जून से 15 सितंबर तक राज्य में 991.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 689.6 मिमी से 44% ज्यादा है. शिमला, मंडी, कुल्लू और चंबा जैसे जिलों में सड़कें अवरुद्ध हो गईं. बिजली-पानी की समस्या बढ़ गई.

बचाव और सरकारी प्रयास: पुलिस ने रात भर धरमपुर में बचाव कार्य किया. लोग छतों पर चढ़कर अपनी जान बचाने को मजबूर हो गए. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SEOC) ने सड़कों की बंदी और बुनियादी ढांचे की क्षति की रिपोर्ट जारी की. हिमाचल सरकार ने प्रभावित इलाकों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने चुनौतियां बढ़ा दी हैं.
कारण: बादल फटने और भारी वर्षा ने नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया. वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और मॉनसून के अवशेषों का असर रहा. अनियोजित सड़क निर्माण और जंगल कटाई ने भूस्खलन को बढ़ावा दिया.
इन घटनाओं के पीछे मौसम के कारण: मॉनसून विदाई के बावजूद क्यों बारिश?
मॉनसून सामान्यतः 17 सितंबर से विदा होता है, लेकिन 2025 में यह 14 सितंबर से राजस्थान से पीछे हटना शुरू हो गया. फिर भी, उत्तर-पश्चिम भारत में भारी बारिश क्यों? मुख्य कारण ये हैं...
यह भी पढ़ें: लगभग हर दिन आपदा का सामना कर रहा हिमालय... बढ़ता जा रहा बर्बादी का सिलसिला