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Mallikarjuna Jyotirlinga: जब पुत्र वियोग में भोलेनाथ को लेना पड़ा ज्योति स्वरूप, पढ़ें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी

Mallikarjuna Jyotirlinga: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के नंदयाल जिले के श्रीशैलम नगर में स्थित है. माना जाता कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही, श्रीशैलम में स्थित यह मंदिर दक्षिण का कैलाश भी माना जाता है.

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Photo- srisailadevasthanam.org)
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Photo- srisailadevasthanam.org)

Mallikarjuna Jyotirlinga: आज सावन मास की अमावस्या है और आज के दिन महादेव की उपासना करना बहुत ही शुभ माना जाता है. वहीं, सावन के इस महीने में भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंगों की साधना-आराधना का अत्यंत विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव जहां-जहां स्वयं प्रकट हुए, उन्हीं 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है.

इन 12 ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है, बल्कि इनका महज प्रतिदिन नाम लेने से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं. आइए आज हम इन्हीं में से एक खास ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका नाम है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग. 

क्या है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा?

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के नंदयाल जिले के श्रीशैलम नगर में स्थित है. माना जाता कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही, श्रीशैलम में स्थित यह मंदिर दक्षिण का कैलाश भी माना जाता है. चलिए जानते हैं कि क्या है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी.

शिवपुराण के श्रीकोटिपरुद्र संहिता के पंद्रहवें अध्याय में दी गई कथा के अनुसार, श्री गणेश की शादी पहले होने से कार्तिकेय गुस्से में आ गए थे. उनके माता-पिता शिव-पार्वती ने उन्हें खूब समझाया, लेकिन वो नाराज होकर क्रौंच पर्वत पर चले गए. तब देवताओं ने भी जाकर कार्तिकेय को समझाने की कोशिश की. लेकिन उनके सभी प्रयास विफल हो गए. इससे शिव-पार्वती बहुत दुखी हुए और दोनों ने स्वयं क्रौंच पर्वत पर जाने का निर्णय लिया.

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जब कार्तिकेय को पता चला कि उसके माता-पिता आ गए हैं, तो वो वहां से भी चले गए. अंततः भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उस पर्वत पर मल्लिकार्जुन के नाम से निवास किया. मल्लिका का अर्थ पार्वती है, जबकि अर्जुन शिव का एक और नाम है. इस प्रकार, शिव और पार्वती दोनों इस लिंग में निवास करते हैं. जो लोग इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करते हैं, उनके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं. 

मल्ल्किार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग- अगर आप हवाई मार्ग से मल्ल्किार्जुन ज्योतिर्लिंग जाना पसंद करते हैं, तो कुर्नूल और हैदराबाद दो नजदीकी हवाई अड्डे हैं क्योंकि श्रीशैलम शहर में कोई हवाई अड्डा नहीं है. कुर्नूल हवाई अड्डा श्रीशैलम से लगभग 181 किमी. दूर एक घरेलू हवाई अड्डा है. निकटतम प्रमुख हवाई अड्डा हैदराबाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो श्रीशैलम से लगभग 217 किमी. दूर स्थित है.

रेल मार्ग- दिल्ली से पहले आपको आंध्रप्रदेश के मर्कापुर रोड रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. श्रीशैलम से लगभग 85 किमी. दूर मर्कापुर रोड रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हैृ. मर्कापुर रोड से श्रीशैलम जाने के लिए आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस से श्रीशैलम पहुंच सकते हैं.   

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