सावन
सावन (Sawan) महीना हिंदू कैलेंडर में छठा महिना है जिसे संस्कृत में श्रावण भी कहते हैं. श्रावण हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना है, जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है. इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि इस समय भारत में काफी वर्षा होती है (Monsoon Season).
श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है. सावन के महीने में शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस महीने में पड़ने वाला सोमवार अति पावन माना जाता है. सावन के हर सोमवार को श्रद्धालु व्रत रखते हैं और शिवलिंग की खास पूजा करते हैं (Monday in Sawan). सारे मासों में श्रावण महादेव को अत्यंत प्रिय है. महादेव का माहात्म्य सुनने योग्य है इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है. इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है. इसके माहात्म्य को सुनने मात्र से यह सिद्धि प्रदान करता है (Shiv Puja in Sawan).
कई जगहों पर लोग कांवर यात्रा निकालते हैं और शिव को जल चढ़ाते हैं. सावन के महीने में नाग पंचमी, पुत्रदा एकादशी और श्रावण के पूर्णिमा को रक्षाबन्धन मनाया जाता है (Festivals in Sawan).
Trimbakeshwar Mandir: भारत के 12 ज्योतिर्लिंग में से सबसे खास है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग. तो आज हम आपको महाराष्ट्र में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के बारे में कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं.
Mallikarjuna Jyotirlinga: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के नंदयाल जिले के श्रीशैलम नगर में स्थित है. माना जाता कि मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही, श्रीशैलम में स्थित यह मंदिर दक्षिण का कैलाश भी माना जाता है.
Nageshwar Jyotirling: नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को नागनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह गुजरात के द्वारका में नागेश्वर गांव में स्थित है. नागेश्वर महादेव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है. यह 12वां ज्योतिर्लिंग है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस ज्योतिर्लिंग की पूजा और इसका रुद्राभिषेक किया था.
Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर मां नर्मदा स्वयं ऊं के आकार में बहती है. तो चलिए जानते हैं कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा के बारे में.
सावन की पूर्णिमा भी बेहद खास है. पूर्णिमा के दिन भगवान शिव, श्रीहरि दोनों की उपासना की जाती है. इस दिन दान-पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में सावन के पवित्र महीने में एक शाकाहारी परिवार के साथ ऐसा वाकया हुआ, जिसने उनकी आस्था और विश्वास दोनों को हिला दिया. आरोप है कि ऑनलाइन ऑर्डर किए गए शाकाहारी भोजन के पैकेट में मांस का टुकड़ा मिला.
इस साल श्रावण पूर्णिमा 9 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है. यह पूर्णिमा साल की पांचवीं पूर्णिमा होती है. मान्यता है कि श्रावण पूर्णिमा की रात में कुछ खास उपाय करना बेहद लाभकारी होता है.
आज सावन माह का अंतिम दिन है. ऐसे में यदि आप इस माह शिव पूजन से वंचित रहे हैं, तो आज ये खास उपाय जरूर करें जिससे भोलेनाथ प्रसन्न हो सकते हैं.
Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन के पूजन की प्रक्रिया से अधिक जरूरी है रक्षाबंधन की थाली, जिसमें आरती और टीका करने के लिए सभी सामग्री सजाई जाती है. इस थाली का उपयोग भाई की आरती उतारने और उनकी कलाई पर राखी बांधने के लिए किया जाता है, जो इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
Rakhi Bandhne Ka Shubh Muhurt Kya Hai: इस साल रक्षाबंधन पर सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाले हैं. रक्षाबंधन पर भाई को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक रहने वाला है. यानी भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए बहनों को करीब 7 घंटे 37 मिनट का समय मिलने वाला है.
Shravan Purnima 2025: 9 अगस्त 2025 यानी आज श्रावण पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है. यह पूर्णिमा भगवान विष्णु और चंद्र देव को समर्पित है. इस शुभ दिन पर भक्त सत्यनारायण व्रत और सत्यनारायण पूजा करते हैं. भगवान सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं.
Hariyali Amavasya 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है. सावन महीने की शुरुआत होती है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहते हैं. हरियाली अमावस्या पर भी पितरों की शांति के लिए पिंडदान और दान-धर्म करने का महत्व है. इस बार हरियाली अमावस्या 24 जुलाई यानी आज मनाई जा रही है.
Shravan Purnima 2025: इस साल श्रावण पूर्णिमा 9 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी. पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंद को दान करना अत्यंत पुण्दायी माना गया है. हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा का खास महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है.
सावन इस बार 11 जुलाई से शुरू हुए थे और इसका समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा. माना जा रहा है कि सावन के समाप्त होने के बाद एक खास संयोग का निर्माण होगा जो कि कुछ राशियों के लिए शुभ है.
सावन, जो प्रेमिकाओं का शृंगार, प्रेम का ईंधन है, विरही की पुकार है और विरह की आग भी है. सावन विरोधाभासों का मौसम है. आषाढ़ के लगते-लगते जब ज्य़ेष्ठ की तपिश से तप्त धरती कुछ सिक्त हो चुकी होती है तब इसी कुछ गर्म-कुछ नम धरा को पूरी तरह डुबोने-भिगोने आता है सावन और क्या झूमकर आता है.
Kapaleshwar Mandir: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद इस मंदिर का भी खास महत्व है. यह एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शिव के वाहन नंदी स्थापित नहीं हैं. ब्रह्महत्या का पाप लगने के बाद भगवान शिव ब्रह्मांड में जगह जगह मुक्ति की तलाश में घूमते रहे, परंतु उन्हें कहीं भी मुक्ति नहीं मिली थी.
रक्षाबंधन पर भाई अपने बहन को ये गिफ्ट के रुप में चमड़े की वस्तु भेंट में न दें. ऐसे में भाई-बहन के रिश्ते में खटास पैदा हो सकती है.
श्रावण पूर्णिमा पर स्नान और दान का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं और दान जैसे शुभ कार्यों को करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
सावन पूर्णिमा का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, सालभर में 12 पूर्णिमा तिथि पड़ती हैं. सावन माह की पूर्णिमा तिथि 9 अगस्त को आ रही है. व्रत के साथ कुछ चीजों का दान भी जरूर करना चाहिए.
शास्त्रों के मुताबिक, सावन के आखिरी दिन ब्रह्ममुहूर्त में भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना भी बड़ा ही शुभ माना जाता है और ऐसा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इस बार सावन की पूर्णिमा 9 अगस्त 2025, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का विधान है. इस दिन तुलसी से जुड़ी गलतियां करने से बचना चाहिए.