डोनाल्ड ट्रंप का व्हाइट हाउस रियलिटी शो के अपने दूसरे सीज़न में है, लेकिन स्क्रिप्ट सिर्फ़ 100 दिन में ही बासी हो गई है. कोई ट्विस्ट नहीं, बस अंतहीन मोड़ और यू-टर्न. तानाशाह बनने का सपना देखने वाले शख्स को अपनी राह में अमेरिकी संविधान नाम की एक बड़ी चट्टान मिली है. उसके पास नेक इरादे हैं और वह उनके साथ वह नरक का रास्ता बना रहा है. कोई उसे पहले ही ब्रह्मांड के शांतिदूत का ताज पहना दे. या फिर सबसे रचनात्मक आत्म-विनाश के लिए एक अवॉर्ड दे दे.
दहल रहा है लॉस एंजिल्स
आइए उनकी घरेलू डिजास्टर रील से शुरू करते हैं. ट्रंप के कार्यकारी आदेशों को अदालतें बार-बार खारिज कर रही हैं. जो कुछ बचते हैं, वे उतने ही प्रभावशाली नतीजे देते हैं जितना उनकी बासी डाइट कोक. कैलिफोर्निया, जो नीला गढ़ है, लाल हो रहा है क्योंकि ट्रंप के पुराने ठिकाने के तौर पर शहर सचमुच आग की चपेट में है. इस आर्टिकल को लिखते समय, गवर्नर ने लॉस एंजिल्स में आपातकाल घोषित कर दिया है और कर्फ्यू लागू है. तीसरी दुनिया यहीं रहने आई है.
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ट्रंप ने नेशनल गार्ड और मरीन को भेज दिया है और एक ऐसे राज्य के साथ पूरी तरह टकराव की स्थिति में हैं जिसे वह डेमोक्रेटिक गढ़ होने की वजह से बहुत नापसंद करते हैं. गवर्नर और डेमोक्रेट्स झुकने को तैयार नहीं हैं और प्रदर्शनकारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से भिड़ रहे हैं. उनके बीच सीजफायर कौन करवाएगा? निश्चित रूप से सीजफायर चैंपियन ट्रंप नहीं, जो अपने घमंड और हकीकत के बीच शांति भी नहीं बना सकते.
अब कौन रोकेगा रूस-यूक्रेन जंग?
ग्लोबल लेवल पर, यह एक जोकर शो है और हमारे पॉपकॉर्न खत्म हो रहे हैं. ट्रंप ने सोचा था कि उनके सबसे अच्छे दोस्त व्लादिमीर रूस-यूक्रेन युद्ध को रोक देंगे. एक पल के लिए, यह आशाजनक लग रहा था, जब तक वोलोडिमिर, जिनको ट्रंप ने एक बार ओवल ऑफिस में बच्चे की तरह डांटा था, ने ड्रोन हमले शुरू नहीं किए थे, जिसने कई रूसी विमानन संपत्तियों को कबाड़ में बदल दिया. अब पुतिन पूरी तरह से मध्ययुगीन हो गए हैं, और ट्रंप के नोबेल ड्रीम उनकी कूटनीतिक चालबाजी की तरह ही मर चुके हैं.
फिर ईरान है. जिसे उन्होंने परमाणु समझौते के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन उसे गाजर का लालच देकर डंडे से पीटा गया. तेहरान के 'मुल्ला' जानते हैं कि ट्रंप की चिल्लाना उनके काटने से ज़्यादा तेज़ हैं, क्योंकि दुनिया अब अमेरिका के फीके पड़ चुके वर्चस्व के आगे नहीं झुकती.
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DJT यानी डोनाल्ड जॉन ट्रंप ने सीजफायर के लिए अपने कट्टर सहयोगी नेतन्याहू की पीठ में छुरा घोंपा, लेकिन सीजफायर न्यू ऑरलियन्स में उनके ताज महल से भी जल्दी ढह गया. यहां तक कि हमास ने भी उनके प्रस्तावों को खारिज कर दिया. सऊदी अरब ने उनके मुंह में डॉलर भरने में देर नहीं लगाई और कतर ने उन्हें घूस दी, सीधे-सादे तरीके से बिना कोई टाइपो किए.
सीरिया तक से मिलाया हाथ
नतीजा? ट्रंप ने सीरियाई राष्ट्रपति से हाथ मिलाया, जिनके सिर पर अमेरिका ने इनाम रखा था. उनकी बेशर्मी ही उनके बारे में एकमात्र सुसंगत बात है और यह इतनी पुरानी बात है कि पाकिस्तानियों ने भी इसे सुन लिया है. इस्लामाबाद ने उनके परिवार के स्वामित्व वाली क्रिप्टो कंपनी को एक डील में फंसाने के लिए क्रिप्टो काउंसिल बनाई और सौदा करने वाला इसके झांसे में आ गया. ट्रंप ने एक बार पाकिस्तान पर आतंकवाद का इस्तेमाल करके अमेरिका से पैसे ऐंठने का आरोप लगाया था. वही ट्रंप अब पाकिस्तानी नेतृत्व की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. सौदेबाजी की कला?
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कहीं और, दुनिया के नेता अमेरिका पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन वे ट्रंप को एक संदिग्ध रिकॉर्ड वाली पुरानी कार के डीलर की तरह देखते हैं. नामंजूर लेकिन अपनी सवारी खरीदनी होगी, इसलिए दबंगई को सहन करें. क्या कोई ऐसा सहयोगी है जिसे ट्रंप ने पद संभालने के बाद नहीं कोसा? कनाडाई, अमेरिकी युद्धों में मारे गए, लेकिन उन्हें '51वां राज्य' और वह भी नीला जैसा व्यवहार मिलता है. वह कनाडाई प्रधानमंत्री को गवर्नर कहने पर जोर देते हैं. कूटनीति, कोई? ब्रिटेन और यूरोप 47वें के 'मूर्ख' हैं. उनके साथी, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, ट्रंप के बिजी होने पर बेइज्जत करने का काम संभालते हैं. चीन के साथ 'जबरदस्त' टैरिफ वॉर? इतना बड़ा फ्लॉप कि बीजिंग के शी शायद दक्षिण चीन सागर में हंसते हुए जा रहे हैं.
भारत-पाक सीजफायर पर झूठा दावा
बस एक नकली पंख है जिसे वह मोर की तरह दिखाते हैं. भारत-पाकिस्तान सीजफायर. एक पंख जो उनकी टोपी का हिस्सा नहीं है. 10 मई, 2025 से ट्रंप यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने 'व्यापार का इस्तेमाल करके ऐसे शांति बनाई जैसा किसी ने कभी नहीं किया.' उनका सबूत? पाकिस्तान के शाहबाज शरीफ का एक ट्वीट जिसमें उन्होंने ट्रंप का शुक्रिया अदा किया. भारत के परिपक्व पक्ष ने इस मामले में उनकी भूमिका को स्वीकार भी नहीं किया, जिससे ट्रंप 'नाराज' हैं. सिर्फ इसलिए कि अमेरिका दोनों पक्षों से बात कर रहा था, ट्रंप अपने लिए ट्रॉफी चाहते हैं.
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वह जी-7 शिखर सम्मेलन में नखरे दिखाने के लिए बेताब हैं, जहां वह अपनी अपुष्ट वीरता के लिए तालियां बजाने की मांग करेंगे. सीजफायर इसलिए हुआ क्योंकि भारत, उस लड़ाई में दिलचस्पी नहीं रखता था जिसे उसने शुरू नहीं किया था, पाकिस्तान की गुहार पर सहमत हो गया, जबकि पाकिस्तान को ऐसी मार पड़ी जिसके बारे में उसके जनरलों ने सपने में भी नहीं सोचा था.
कार्यकाल पूरा कर पाएंगे ट्रंप?
ट्रंप की अपनी पार्टी डैमेज कंट्रोल की बातें कर रही है, प्रार्थना कर रही है कि अमेरिका की वैश्विक प्रतिष्ठा को इतना नुकसान न पहुंचे कि उसे सुधारा न जा सके. जिस दिन से ट्रंप ने अपने सबसे अच्छे दोस्त एलन मस्क को मोटा कहा, तब से टेक सम्राट का धैर्य जवाब दे गया. अब मस्क महाभियोग की मांग कर रहे हैं. ट्रंप ने सहयोगियों को अलग-थलग कर दिया, सीजफायर को बिगाड़ दिया और टैरिफ वॉर को वैश्विक स्तर पर नज़रअंदाज़ कर दिया. नॉर्वे के लोगों ने ओबामा को नोबेल दिया, उम्मीद थी कि वे अमेरिका के युद्धों को रोक देंगे. उन्हें ट्रंप को भी चुप कराने के लिए एक नोबेल दे देना चाहिए.
इस लड़ाई में बिना दांव के रहने वाले लोग, जिनमें मैं भी शामिल हूं, हैरान होंगे अगर ट्रंप इस कार्यकाल को पूरा कर पाएंगे. क्या वह अपना रास्ता बदलेंगे? इस पर दांव मत लगाइए. वह एक ऐसे शख्स हैं जो घर को जलाना पसंद करेगा बजाय इसके कि वह स्वीकार करें कि आग उसने लगाई है. हाथ में पॉपकॉर्न लिए हुए दुनिया देख रही है, क्योंकि ट्रंप का दूसरा सीज़न एक ऐसे समापन की ओर बढ़ रहा है जिसकी स्क्रिप्ट किसी ने नहीं लिखी, ट्रंप ने तो सबसे कम.
(कमलेश सिंह व्यंग्यकार और कॉलमिस्ट हैं. साथ ही इंडिया टुडे डिजिटल में न्यूज डायरेक्टर हैं.)
(इस आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं.)