तेजस्वी यादव ने बिहार के लोगों के लिए बड़ा चुनावी वादा किया है. मुफ्त बिजली देने का. ऐसी बातें अरविंद केजरीवाल की स्टाइल वाली राजनीति से निकल कर आई हैं - और बिहार में जन सुराज अभियान चला रहे प्रशांत किशोर को भी कुछ कुछ अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिकल लाइन पर ही आगे बढ़ते देखा जा रहा है.
वैसे प्रशांत किशोर खुद को अरविंद केजरीवाल के रास्ते राजनीति में आने की बात से इनकार करते हैं. पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर का कहना है कि वो अरविंद केजरीवाल की तरह आंदोलन के रास्ते नहीं आ रहे हैं, बल्कि जन सुराज अभियान लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहा है.
बिहार के लोग पहले से ही राजनीतिक रूप से सजग और समझदार माने जाते हैं, फिर भी प्रशांत किशोर बिहार के नेताओं की राजनीति को लेकर जिस तरह से जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं, वो थोड़ा अलग है. जब से वो जन सुराज यात्रा पर निकले हैं, अक्सर नीतीश कुमार की खामियां गिनाते हैं और ज्यादातर वक्त यही दोहराते रहते हैं कि बिहार के लोग किसी 'नौवीं फेल नेता' को सत्ता क्यों सौंपना चाहते हैं.
तो क्या तेजस्वी यादव के मुफ्त बिजली के वादे के पीछे प्रशांत किशोर की ही भूमिका है? या फिर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन को चैलेंज करने का कोई इरादा है? तेजस्वी यादव आरजेडी शासन को 'जंगलराज' के रूप में नीतीश कुमार और बीजेपी के हमलों से लंबे अरसे से परेशान रहे हैं. अव्वल तो वो जंगलराज के लिए कई बार माफी भी मांग चुके हैं, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बहुमत के काफी करीब पहुंच कर भी चूक गये.
पिता लालू यादव से मिली विरासत के तहत तेजस्वी यादव मुस्लिम-यादव वोट बैंक की राजनीति करते हैं, जिसे M-Y फैक्टर के नाम से जाना जाता है. कुछ दिनों से तेजस्वी यादव की राजनीति में जातीय जनगणना का मुद्दा भी जुड़ गया है, हालांकि, इसमें नीतीश कुमार की भी बहुत बड़ी भूमिका है.
लेकिन जिस तरीके से तेजस्वी यादव ने आभार यात्रा के दौरान मुफ्त बिजली का वादा किया है, विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के जातिगत जनगणना अभियान की धार कुंद होने के संकेत लगते हैं.
बिहार में मुफ्त बिजली का तेजस्वी वादा
10 सितंबर से शुरू हुई तेजस्वी यादव की आभार यात्रा 17 सितंबर तक चलेगी. यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव अपनी पार्टी आरजेडी के कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं, और जमीनी स्थिति जानने और समझने की कोशिश कर रहे हैं. तेजस्वी यादव की ये यात्रा कर्पूरी ठाकुर के इलाके समस्तीपुर से शुरू हुई है. तेजस्वी यादव अपनी यात्रा के दौरान समस्तीपुर के बाद दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर जिलों की 40 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करेंगे.
अपनी यात्रा को लेकर तेजस्वी यादव ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है, किसी भी नेक कार्य में निरंतर मार्गदर्शन और शुरुआत से पहले अपने पुरखों का आशीर्वाद अत्यंत आवश्यक होता है.
तेजस्वी यादव का दावा है कि बिहार में बिजली देशभर में सबसे ज्यादा महंगी है. कहते हैं, आम लोग बिजली बिल से परेशान हैं. स्मार्ट मीटर को लेकर भी वो बिहार सरकार को खरी खोटी सुनाते हैं, और कहते हैं कि जब आरजेडी की सरकार आएगी तो ऐसी सारी गड़बड़ियां ठीक कर दी जाएंगी.
मुफ्त बिजली को लेकर सोशल साइट X पर तेजस्वी यादव ने लिखा है, 'डबल इंजन सरकार होने एवं BJP/NDA के दशकों के शासन के बावजूद देश में सबसे महंगी बिजली बिहार में मिलती है... बिहार की जनता महंगे बिजली बिल तथा स्मार्ट मीटर की गड़बड़ियों से त्रस्त है... हमारी सरकार आने पर 200 यूनिट फ्री बिजली दी जाएगी.'
क्या ये पीके की मुहिम का असर है?
प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान में पहले तो निशाने पर अक्सर नीतीश कुमार ही नजर आते थे, लेकिन धीरे धीरे वो पूरी तरह तेजस्वी यादव पर फोकस होते गये. भले ही प्रशांत किशोर खुद को अरविंद केजरीवाल से अलग होने का दावा करें, लेकिन 'चौथी पास राजा' वाली स्टाइल में ही वो नौवीं फेल नेता का जिक्र करते आ रहे हैं.
तेजस्वी यादव के खिलाफ प्रशांत किशोर की सबसे बड़ी चाल मुस्लिम वोट बैंक को लेकर समझ में आई है. आने वाले बिहार चुनाव में जीत और उसके बाद सरकार बनाने का दावा कर रहे प्रशांत किशोर ने 40 मुस्लिम नेताओं को अपनी पार्टी का टिकट देने का ऐलान किया है. प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा करने वाले हैं.
देखा जाये तो तेजस्वी यादव मुस्लिम-यादव वोट बैंक के भरोसे ही राजनीति के मैदान में खड़े हैं. अगर मुस्लिम वोट थोड़ा भी छिटक जाये या चुनावों में पीके की वजह से बंट गया, तो बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने कैबिनेट की पहली मीटिंग में पहली दस्तखत से युवाओं को 10 लाख नौकरियां देने का वादा किया था - और जब नीतीश कुमार के साथ दोबारा डिप्टी सीएम बने तो उनके चुनावी वादे पर कुछ काम भी हुआ. हालांकि, शिक्षकों को बड़ी संख्या में नौकरी देने का श्रेय नीतीश कुमार ने अपने पास रखा है, और तेजस्वी यादव उस पर सवाल उठाते रहे हैं.
ये तो साफ है कि कि तेजस्वी यादव का 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा, RJD के मुस्लिम-यादव राजनीति की जड़ें कमजोर होने की तरफ एक मजबूत इशारा है.
क्या ये नीतीश कुमार के लिए चुनौती है
ये भी तेजस्वी यादव की राजनीतिक का ही असर है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी किसी भी मौके पर जातीय जनगणना के मुद्दे का जिक्र करना नहीं भूलते - और तेजस्वी यादव ने भी आरक्षण पर राहुल गांधी के बयान का स्वागत करते हुए बचाव भी किया है, लेकिन अब ये सब शायद नाकाफी लगने लगा है.
यादव समाज का नेता होने और मुस्लिम वोट की बदौलत तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता तो बन जाते हैं, लेकिन सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत से पीछे रह जाते हैं. हो सकता है तेजस्वी यादव के सलाहकारों को लगा हो कि नीतीश कुमार का सुशासन आरजेडी नेता पर भारी पड़ जाता हो.
और एक बड़ी वजह ये भी लगती है कि 10 लाख नौकरी के बाद तेजस्वी यादव 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का भी वादा कर रहे हैं. फिर डबल इंजन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार के लिए भी मुफ्त बिजली का वादा एक नया चैलेंज ही है, भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी चीजों को रेवड़ी बांटना कहते रहे हों.