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बांग्ला को बांग्लादेशी भाषा बताकर दिल्ली पुलिस ने ममता बनर्जी के आंदोलन में भर दिया ईंधन

ममता बनर्जी का भाषा आंदोलन को अपनेआम मौका मिल रहा है. और तो और, दिल्ली पुलिस ने भी एक चिट्ठी में 'बांग्लादेशी भाषा'शब्द का इस्तेमाल कर ममता बनर्जी को ईंधन मुहैया करा दिया है - और बांग्ला भाषा के मुद्दे पर ममता बनर्जी और बीजेपी नेता अमित मालवीय दो-दो हाथ करने लगे हैं.

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ममता बनर्जी तो स्वाभाविक रूप से मुद्दों को तलाश में रहती हैं, भाषा आंदोलन को ईंधन भी मिलता जा रहा है.
ममता बनर्जी तो स्वाभाविक रूप से मुद्दों को तलाश में रहती हैं, भाषा आंदोलन को ईंधन भी मिलता जा रहा है.

ममता बनर्जी के भाषा आंदोलन को दिल्ली पुलिस ने नया मसाला दे दिया है. दिल्ली पुलिस और बीजेपी शासित राज्यों की पुलिस पहले भी तृणमूल कांग्रेस नेता के निशाने पर रही है, लेकिन एक्शन को लेकर. ममता बनर्जी के निशाने पर दिल्ली पुलिस एक पत्र को लेकर आई है. 

ममता बनर्जी को दिल्ली पुलिस की भाषा और पत्र में इस्तेमाल किये गये शब्द पर आपत्ति है. दिल्ली पुलिस ने जो लिखा है, आम दिनों में शायद किसी का ध्यान भी नहीं जाता, ममता बनर्जी का भी. लेकिन अहमियत वक्त की होती है, मौके की होती है. ममता बनर्जी को मौका चाहिए था, मिल गया. जैसे बांग्ला बोलने वालों के साथ हुए एक्शन के मामलों में मिला था. मौका इसलिए भी मिल गया क्योंकि पुलिस की लापरवाही ले बांग्लादेश भेज दिये गये कई लोगों की वापसी हो गई - क्योंकि उनके पास वैध डॉक्यूमेंट थे, और सिर्फ बांग्ला बोलने के कारण पुलिस एक्शन के शिकार हो गये थे. 

दिल्ली पुलिस ने वैध दस्तावेजों के बगैर भारत रह रहे 8 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी के संबंध में बंग भवन के कार्यालय प्रभारी को एक पत्र लिखा है. दिल्ली पुलिस की रिक्वेस्ट है कि बंग भवन गिरफ्तार लोगों के पास से मिले 'बांग्लादेशी भाषा' में लिखे पहचान वाले दस्तावेजों का हिंदी या अंग्रेजी आधिकारिक ट्रांसलेशन उपलब्ध करा दे - ममता बनर्जी को इसी 'बांग्लादेशी' शब्द के इस्तेमाल पर घोर आपत्ति है. 

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ममता बनर्जी का सवाल

ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस के पत्र की कॉपी शेयर करते हुए सोशल साइट X पर लिखा है, अब देखिए... कैसे भारत सरकार के गृह मंत्रालय के सीधे नियंत्रण में काम करने वाली दिल्ली पुलिस बांग्ला को 'बांग्लादेशी भाषा' बता रही है... बांग्ला, जो हमारी मातृभाषा है. 

फिर ममता बनर्जी बताती हैं कि ये भाषा रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद की भाषा रही है. राष्ट्रगान और वंदे मातरम् जैसी रचनाएं भी बांग्ला भाषा में ही हैं. करोड़ों भारतीय ये भाषा बोलते और लिखते हैं. बांग्ला भाषा, जिसे भारतीय संविधान ने मान्यता दी है - और आश्चर्य से कहती हैं, अब उसे बांग्लादेशी भाषा बताया जा रहा है!

ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस के कृत्य को घोर अपमानजनक, राष्ट्रविरोधी और असंवैधानिक करार देते हुए कहा है, ये देश के सभी बांग्लाभाषी लोगों का अपमान है - और इसी आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र की बीजेपी सरकार को बंगाल विरोधी भी करार दिया है. 

ममता बनर्जी ने लिखा है, हम सभी से अपील करते हैं कि केंद्री सरकार की बंगाल विरोधी नीतियों के खिलाफ तत्काल और सबसे कड़ा विरोध दर्ज कराया जाए, जो ऐसी असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल करके देश के बांग्लाभाषी नागरिकों को अपमानित करने का प्रयास कर रही है.

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अमित मालवीय का जवाब

बीजेपी की तरफ से ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा संभाला है, पार्टी की आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने X पर ही ममता बनर्जी के आरोपों का विस्तार से जवाब दिया है. अमित मालवीय ने पुलिस की कानूनी कार्रवाई का भाषा के आधार पर ममता बनर्जी के विरोध को शर्मनाक बताया है - और कहा है, 'ममता बनर्जी को भाषाई संघर्ष भड़काने के लिए, शायद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी, जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.'

अमित मालवीय लिखते हैं, प्रसंग उठा है तो बता दें... आनंदमठ तब बांग्ला युग में लिखा गया था, और उसकी पृष्ठभूमि संन्यासी विद्रोह वाली थी... प्रतिष्ठित गीत वंदे मातरम् अलग से संस्कृत में रचा गया था और बाद में उसमें जोड़ा गया... और जन गण मन की रचना संस्कृतनिष्ठ बांग्ला में हुई थी.

और फिर वो बांग्ला पर भी सवाल उठा देते हैं, वास्तव में ऐसी कोई भाषा नहीं है जिसे बंगाली कहा जा सके, जो तमाम विविधताओं को बराबर समेटे हुए हो. बंगाली शब्द, सजातीय-सामुदायिक (ethnicity) को पेश करता है, न कि किसी भाषाई एकरूपता को.

दिल्ली पुलिस के कदम को सही ठहराते हुए अमित मालवीय ले लिखा है, बांग्लादेशी भाषा शब्द का इस्तेमाल... बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए इस्तेमाल भाषाई संकेतों का संक्षिप्त उल्लेख है... न कि ये पश्चिम बंगाल में बोली जाने वाली बांग्ला भाषा पर किसी तरह की टिप्पणी है.

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ममता के आंदोलन को मिला मौका

ममता बनर्जी और अमित मालवीय दोनों के अपने अपने पक्ष हैं. अपनी अपनी राजनीति के हिसाब से. ये दोनों का अपना राजनीतिक बयान है. बीजेपी और टीएमसी दोनों ही तरफ से दिल्ली पुलिस को गलत और सही ठहराने की कोशिश की गई है - मामला, असल में, चुनावी मुद्दे का है, और चुनाव नतीजे आने तक ये सब ऐसे ही देखने को मिलता रहेगा. 

टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और अभिषेक बनर्जी ने भी दिल्ली पुलिस के बहाने केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश की है. महुआ मोइत्रा समझा रही हैं कि ये कोई टाइपो-एरर नहीं है, बल्कि जानबूझ कर की गई साजिश है. दिल्ली पुलिस से माफी मांगने की डिमांड के साथ ही, महुआ मोइत्रा ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है कि वो बंगाल की भाषा को मिटाने की कोशिश कर रही है. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने ममता बनर्जी के आरोपों को दोहराया है कि बीजेपी शासित राज्यों में महीनों से बांग्लाभाषी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है.

पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने भी दिल्ली पुलिस के एक्शन को उचित ठहराते हुए कहा है, पश्चिम बंगाल में बोली और लिखी जाने वाली बांग्ला भाषा, और बांग्लादेश की बोली में अंतर है. बीजेपी का ये भी आरोप है कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी उर्दू से प्रभावित बांग्ला बोलने वाले अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का बचाव करने की कोशिश कर रही है.

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली पुलिस के पत्र के बहाने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को निशाना बनाया है. आरोप है, दिल्ली पुलिस ने बांग्ला भाषा को 'बांग्लादेशी भाषा' बताया है, ये संविधान विरोधी भाषा है... और इसके जरिये बंगालियों को अपमानित किया जा रहा है - ये वही इल्जाम है जिसे 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मुद्दा बनाकर ममता बनर्जी भाषा आंदोलन चला रही हैं. 

भाषा आंदोलन के तहत ममता बनर्जी और उनके साथी, हिंदी और अंग्रेजी की जगह संसद में भी बांग्ला में भाषण दे रहे हैं - और आने वाले वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के हथियार के तौर पर देख रहे हैं. 
 

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