धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है (Smoking is injurious to health). लेकिन वेपिंग (Vaping)? वेपिंग यानी ई-सिगरेट पीना भी सेफ नहीं है, क्योंकि ऐसा नहीं माना जाता है कि ये नुकसानदेह नहीं है - और हां, देश में ई-सिगरेट पर पूरी तरह पाबंदी लगी हुई है.
हाल ही में संसद परिसर में सिगरेट पिये जाने की दो घटनाएं हुई हैं. एक संसद परिसर में, और दूसरी सदन के भीतर. दोनों घटनाओं के बाद बवाल हुआ है, और संयोग से दोनों ही घटनाएं तृणमूल कांग्रेस के सांसदों से जुड़ी हैं.
टीएमसी सांसद सौगत रॉय के सिगरेट पीने पर भी बवाल हुआ, जब सामने से दो केंद्रीय मंत्रियों ने उनको लगभग जलील करते हुए समझाने की कोशिश की थी. सांसद को मंत्री समझा रहे थे कि सिगरेट पीकर वो सेहत को नुकसान पहुंचाने का अपराध कर रहे हैं - और, दूसरे सांसद हैं कीर्ति आजाद जो क्रिकेटर भी रह चुके हैं.
कीर्ति आजाद का एक वीडियो भी अब वायरल हो गया है. बीजेपी ने कीर्ति आजाद का वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है. कीर्ति आजाद के खिलाफ लोकसभा स्पीकर के पास शिकायत भी दर्ज हो गई है. और, सबसे बड़ी बात टीएमसी भी कीर्ति आजाद के साथ वैसे नहीं खड़ी नजर आ रही थी, जैसे पिछली लोकसभा में महुआ मोइत्रा का समर्थन देखा गया था.
भारत में ई-सिगरेट प्रतिबंधित है, लेकिन वेपिंग यानी ई-सिगरेट पीने पर कोई स्पष्ट रोक नहीं है. ई-सिगरेट के लिए देश में PECA यानी प्रॉहिबिटेशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट ऐक्ट, 2019 जरूर बना हुआ है.
क्या कीर्ति आजाद ने संसद में सिगरेट पीकर कानून तोड़ा है? क्या वेपिंग के लिए कीर्ति आजाद के खिलाफ कोई कार्रवाई हो सकती है?
कीर्ति आजाद पर संसद में ई-सिगरेट पीने का आरोप
बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस सांसद कीर्ति आजाद पर लोकसभा में ई-सिगरेट पीने का आरोप लगाया है. बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में ये मुद्दा उठाया था, और स्पीकर से मांग की थी कि लोकसभा के नियमों के तहत संबंधित सदस्य के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.
स्पीकर ओम बिरला ने भी अनुराग ठाकुर को तत्काल भरोसा दिलाया कि अगर लिखित शिकायत दर्ज की जाती है तो वो कार्रवाई करेंगे. अगले ही दिन अनुराग ठाकुर ने लिखित शिकायत भी दर्ज करा दी, जिसमें लिखा है, संसद सत्र के दौरान सदन में बैठे टीएमसी के एक सांसद को सरेआम ई-सिगरेट पीते हुए देखा गया.
ये बात टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के सामने उठा, तो बीजेपी को घेरते हुए वो कहने लगे, ऐसे आरोप लगाने से पहले उन्हें घटना का पूरा वीडियो फुटेज जारी करना चाहिए.
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल साइट एक्स पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें कीर्ति आजाद कथित रूप से संसद में बैठे दिखाई देते हैं. अमित मालवीय ने लिखा है, बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने संसद के भीतर वेपिंग करने का जिस टीएमसी सांसद पर आरोप लगाया है, वो कोई और नहीं बल्कि किर्ति आजाद हैं. उनके जैसे लोगों के लिए नियम और कानून का कोई मतलब नहीं लगता. जरा सोचिए, सदन में हाथ में ई-सिगरेट छुपाए बैठना.
The TMC MP accused by BJP MP Anurag Thakur of vaping inside Parliament is none other than Kirti Azad. For people like him, rules and laws clearly hold no meaning. Just imagine the audacity, hiding an e-cigarette in his palm while in the House!
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 17, 2025
Smoking may not be illegal, but… pic.twitter.com/kZGnYcP0Iu
अमित मालवीय ने आगे लिखा है, धूम्रपान अवैध नहीं हो सकता, लेकिन संसद में इसका उपयोग पूरी तरह अव्यावहारिक और अस्वीकार्य है. ममता बनर्जी को अपने सांसद के इस व्यवहार पर स्पष्टीकरण देना चाहिए.
क्या कीर्ति आजाद पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है
राज्यसभा में, एक लिखित जवाब में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन प्रतिबंधित है.
कानून लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की है, जो अपनी एजेंसियों के माध्यम से इसे लागू करेंगे. कई राज्यों में जब्त किए गए वेप उपकरणों में केटामाइन जैसे मादक पदार्थ पाए जाने की खबरों के जवाब में नित्यानंद राय का कहना था, एनसीबी यानी नॉर्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने ऐसे किसी मामले की जांच नहीं की है.
1. पहली बार कानून का उल्लंघन करने पर एक साल की जेल, और अधिकतम 1 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है. बार-बार कानून का उल्लंघन पर तीन साल तक की जेल, और 5 लाख रुपेय का जुर्माना लगाया जा सकता है. स्टोर कर रखते हुए पकड़े जाने पर छह महीने की जेल, और अधिकतम 50,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.
2. कानून में ई-सिगरेट को ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी पदार्थ को, निकोटीन के साथ या बिना, गर्म करके एयरोसोल बनाता है जिसे उपयोगकर्ता सांस के साथ अंदर लेता है. जैसे वेप, ई-हुक्का, या बाकी स्मोकलेस इनहेलिंग प्रोडक्ट. खास बात है कि ये पारंपरिक सिगरेट की तरह धुआं नहीं छोड़ते, और आमतौर पर फ्लेवर्ड होते हैं.
3. ई-सिगरेट के उत्पादन से लेकर विज्ञापन तक कानूनी पाबंदी तो है, लेकिन इस कानून में एक बड़ा पेच भी है. क्योंकि, PECA ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने और इस्तेमाल करने के लिए रखने को अपराध की श्रेणी में नहीं रखता है. मतलब, अगर कोई निजी तौर पर इस्तेमाल करता है, या फिर निजी इस्तेमाल के लिए रखता है, तो वो कानून के दायरे में अपराध की श्रैणी में नहीं आता.
फिर तो कीर्ति आजाद पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती, लेकिन सवाल तो यहां सदन की गरिमा का भी. एक माननीय सदस्य के आचरण का भी है.
क्या कीर्ति आजाद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं
कीर्ति आजाद ने ई-सिगरेट से जुड़ा कानून भले न तोड़ा हो, लेकिन उन पर लगा आरोप संसद की गरिमा और सदस्यों के आचरण के उल्लंघन से जुड़ा है. सदन में अनुचित आचरण का दोषी पाए जाने पर लोकसभा स्पीकर सांसद के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई निश्चित तौर पर कर सकते हैं. यहां तक कि एक निश्चित अवधि के लिए सांसद को सस्पेंड किए जाने का भी प्रावधान है.
और, सबसे बड़ी बात, कीर्ति आजाद को उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से भी सपोर्ट मिलने का कोई संकेत नहीं मिला है. बीजेपी के आरोप पर टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी का कहना था, जब तक मैं पूरा वीडियो फुटेज नहीं देख लेता, तब तक मैं किसी के आरोप के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.
हां, अभिषेक बनर्जी कहते हैं, अगर पूरा वीडियो जारी होता है, तो आप मुझसे सवाल कर सकते हैं. और, हम कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और पार्टी स्तर पर उचित एक्शन भी लेंगे.
अभिषेक बनर्जी ने बड़े ही सख्त लहजे में बताया, हम इस तरह के व्यवहार को बढ़ावा नहीं देते. संसद धूम्रपान करने की जगह नहीं है, कम से कम सदन के अंदर तो बिल्कुल नहीं. हम संसद की गरिमा और नियमों का सम्मान करते हैं.
मतलब, सौगत रॉय तो ऐक्शन से बच भी जाएंगे लेकिन कीर्ति आजाद के खिलाफ टीएमसी भी ऐक्शन लेगी, अभिषेक बनर्जी का तो यही कहना है.